कुछ लघु और सीमांत किसानों के पास खेती करने के लिए भूमि बहुत कम होती है. ऐसी स्थिति में किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. उन्हें खेती से फसल का कम उत्पादन मिल पाता है, जिस कारण उनकी आमदनी भी घट जाती है. मगर आज हम लघु और सीमांत किसानों को एक ऐसी तकनीक के विषय में बताने जा रहे हैं, जिसको अपनाकर किसान अपनी खेती को काफी बेहतर बना सकते हैं. हम मल्टी लेयर फार्मिंग की बात कर रहे हैं, जिसको कई किसान बहुस्तरीय खेती के नाम से जानते होंगे. आज की खेती के लिए यह तकनीक बहुत उपयोगी है.
मल्टी लेयर फार्मिंग क्या है? (What is multi layer farming?)
इस तकनीक से किसान एक ही खेत में एक साथ 4 से 5 फसलों की खेती आसानी से कर सकता है. इसके लिए किसान पहले जमीन में ऐसी फसल लगाए, जो कि भूमि के अंदर उगती है. इसके बाद उसी भूमि में सब्जी और फूलदार पौधे लगा सकते हैं. इन फसलों के अलावा छायादार और फलदार वृक्ष भी लगा सकते हैं. इस तकनीक से किसान कम भूमि में भी एक से अधिक फसल की खेती कर सकता है. किसान मल्टी लेयर फार्मिंग में अदरक, चौलाई, पपीता, करेला, कुंदरू समेत कई अन्य फसलों की खेती कर सकता है.
मल्टी लेयर फार्मिंग के फायदे (Advantages of multilayer farming)
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किसान अपनी फसलों को कीट और रोग से बचा सकता है.
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भूमि में खरपतवार लगने का खतरा कम हो जाता है.
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जैविक खाद का उपयोग होता है, जिससे निराई-गुड़ाई का खर्चा भी बच जाता है.
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खाद की बचत होती है, क्योंकि एक फसल में जितनी खाद पड़ती है, उतनी खाद से 4 से 5 फसलों के लिए पर्याप्त होती है.
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इस तकनीक में पानी की 70 प्रतिशत तक बचत होती है.
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किसानों के लिए अधिक मुनाफा मिलता है.
मल्टी लेयर फार्मिंग में कम लागत से ज्यादा मुनाफ़ा
कृषि विशेषज्ञों की मानें, तो अगर किसान मल्टीलेयर फॉर्मिंग से खेती करता है, तो उनकी लागत 4 गुना कम लगती है. इसके साथ ही मुनाफा 6 से 8 गुना तक बढ़ जाता है. अगर किसान खेत में एक साथ कई फसलों की खेती करता है, तो फसलों को एक-दूसरे से पोषक तत्व मिल जाते हैं. इस तरह भूमि उपजाऊ भी बनती है, साथ ही पानी और खाद की बचत होती है.
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