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कपास की उन्नत खेती कैसे करें?

हम सभी रुई व रेशम से बने वस्त्रों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सब किस तरह बनाए जाते हैं. दरअसल, इसका सीधा संबंध कपास की खेती है, जो कि सबसे महत्वपूर्ण रेशा और नगदी फसल मानी गई है. कपास, वस्त्र को बुनियादी कच्चा माल प्रदान करता है.

कंचन मौर्य
Cotton Cultivation
Cotton Cultivation

हम सभी रुई व रेशम से बने वस्त्रों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सब किस तरह बनाए जाते हैं. दरअसल, इसका सीधा संबंध कपास की खेती है, जो कि सबसे महत्वपूर्ण रेशा और नगदी फसल मानी गई है. कपास, वस्त्र को बुनियादी कच्चा माल प्रदान करता है. वैसे तो इसकी खेती विश्व स्तर पर होती है, लेकिन हमारे देश की औद्योगिक व कृषि अर्थव्यवस्था में इसकी प्रमुख भूमिका है. कृषि जागरण के इस लेख में कपास की खेती से जुड़ी कुछ अहम बातें जानने के लिए, लेख को अंत तक जरूरी पढ़ते रहिए. पहले जानिएं, कपास पर आए नए शोध के बारे में

कपास पर नया शोध

सरदार बल्लभ भाई पटेल अनुसंधान केंद्र द्वारा कपास पर शोध किया गया, जिसमें बिना सिंचाई के ही  फसल देने योग्य किस्म तैयार की गई है. कपास की इस किस्म को नाममात्र ही पानी देने की जरूरत होती है. इसकी खेती करके किसान लाभ कमा सकते है.

कपास की खेती के लिए उत्तम है ये जलवायु

कपास की अच्छी फसल उगाने के लिए कम से कम 16 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान होना चाहिए. इसके साथ ही अंकुरण के लिए 32 से 34 डिग्री सेंटीग्रेट, बढ़वार के लिए 21 से 27 डिग्री सेंटीग्रेट, फलन  लगते समय 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान चाहिए. इसके अलाव रातें ठंडी होनी चाहिए.

कपास की खेती के लिए उत्तम है ये भूमि

कपास के लिए जल निकास की क्षमता अच्छी रखनी चाहिए. जिन क्षेत्रों में बारिश कम होती है, वहां अधिक जल-धारण क्षमता वाली मटियार भूमि उपयुक्त रहती है. जहां सिंचाई की सुविधाएं हों, वहां बलुई व बलुई दोमट मिटटी उपयुक्त है. इसके अलावा पी.एच.मान 5.5 से 6.0 उपयुक्त माना जाता है.  

कपास की खेती के लिए फसल चक्र

कपास की फसल भिन्न-भिन्न फसल चक्र के अंतर्गत उगाई जा सकती है, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है.

वर्षा आधारित क्षेत्र

मध्य और दक्षिण भारत के वर्षा आधारित क्षेत्र हैं, जहां कपास की फसल लेने के बाद अगले वर्ष बाजरा, ज्वार या मिर्च आदि की फसलें उगाई जाती हैं.

सिंचाई आधारित क्षेत्र

  • कपास- गेहूं या जौ

  • कपास – बरसीम या सेंजी या जई

  • कपास – सूरजमुखी

  • कपास – मूंगफली

कपास की खेती के लिए उत्तम है ये उन्नत किस्में

बाज़ार में कपास की उन्नत किस्में आती हैं, लेकिन इन सभी किस्मों को उनके रेशों के आधार पर बांटा गया है. खासतौर पर इन्हें तीन भागों में रखा गया है. मौजूदा समय में किसान भाइयों बी. टी. कपास का बोलबाला है. बाकी कपास की किस्मों का चुनाव आप अपने क्षेत्र, परिस्थितियों और प्रचलित किस्मों के आधार पर कर सकते हैं.

  1. छोटे रेशों वाली कपास

  2. मध्यम रेशों वाली कपास

  3. बड़े रेशों वाली कपास

पंजाब- एफ- 286, एल एस- 886, एफ- 414, एफ- 846, एफ- 1861, एल एच- 1556, एयू- 626, मोती, एल डी- 694     

हरियाणा- एच एस- 45, एच एस- 6, एच- 1098, पूसा 8-6  डी एस- 1, डी एस- 5, एच डी- 123 धनलक्ष्मी, एच एच एच- 223

राजस्थान- गंगानगर अगेती, बीकानेरी नरमा, पूसा 8 व 6, आर एस- 2013    आर जी- 8 राज एच एच- 116 (मरू विकास)

पश्चिमी उत्तर प्रदेशविकास लोहित यामली 

मध्य प्रदेश- कंडवा- 3, के सी- 94-2  माल्जरी,जे के एच वाई 1, जे के एच वाई 2

महाराष्ट्र- पी के वी- 081, एल आर के- 516, सी एन एच- 36, ए के ए- 4, रोहिणी एन एच एच- 44

गुजरात- गुजरात कॉटन- 12, गुजरात कॉटन- 16, एल आर के- 516, सी एन एच- 36, गुजरात कॉटन 11     

आंध्र प्रदेश- एल आर ए- 5166, एल ए- 920, कंचन   श्रीसाईंलम महानदी, एच बी- 224

कर्नाटक- शारदा, जे के- 119, अबदीता जी- 22, ए के- 235  डी सी एच- 32, डी डी एच- 2

तमिलनाडु- एम सी यू- 5, एम सी यू- 7, एम सी यू- 9, सुरभि के- 10, सूर्या, एच बी- 224, आर सी एच- 2

कपास के लिए खेत को तैयार करना

  • सबसे पहले खेत की अच्छे से जुताई कर लें.

  • उसे कुछ दिनों के लिए खुला छोड़ दें.

  • फिर खेत में गोबर की खाद डालें.

  • अब खेत की 2 से 3 बार जुताई कर दें, ताकि गोबर की खाद अच्छी करह मिल जाए.

  • अगर बारिश न हो, तो खेत में पानी (पलेव) छोड़ दें.

  • खेत सूखने के कुछ दिन बाद जुताई कर दें, लेकिन इस बार खेत की मिट्टी को समतल करके पाटा लगा लें.

  • अब में उर्वरक डालकर खेत की जुताई के साथ पाटा लगा दें.

  • इसके एक दिन बाद खेत में बीज को लगाएं.

  • ध्यान रहे कि कपास के बीज को शाम के वक्त लगाना चाहिए.

बीज की मात्रा

  • संकर या बी.टी. के लिए 4 किलो प्रमाणित बीज प्रति हेक्टेयर चाहिए.

  • देशी और नरमा किस्म हैं, तो बुवाई के लिए 12 से 16 किलोग्राम प्रमाणित बीज प्रति हेक्टेयर चाहिए.

  • बीज लगभग 4 से 5 सेंटीमीटर की गहराई पर डालना चाहिए.

बीज उपचार

  • कपास के बीजों में गुलाबी सुंडियां छुपी रहती है, इसलिए इन्हें खत्म करने के लिए बीजों को धूमित कर लें. इसके लिए एल्यूमीनियम फॉस्फॉइड की एक गोली बीज में डाल दें फिर हवा रोधी बनाकर 24 घंटे तक बन्द रखें.

  • अगर ये प्रक्रिया संभव न हो, तो तेज धूप में बीजों को पतली तह के रूप में फैलाकर करीब 6 घंटे तक तपने दे.

बुवाई का समय

जब पहली बारिश हो जाए, तब खेत में उर्वरक डाल दें और बीजों की रोपाई कर दें. इसके साथ ही ध्यान रखें कि कपास के बीजों को किस्मों के आधार पर बोया जाता है. अगर खेत में सिंचाई की उचित व्यवस्था है, तो अप्रैल से मई के बीच बुवाई कर सकते हैं. अगर सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं है, तो उस खेत को तैयार करना पड़ता है.

बुवाई का तरीका

देशी किस्म-  दो कतारों के बीच करीब 40 सेंटीमीटर और दो पौधों के बीच करीब 30 से 35 सेंटीमीटर की दूरी रखें.

अमेरिकन किस्म- दो कतारों के बीच करीब 50 से 60 सेंटीमीटर और दो पौधों के बीच करीब  40 सेंटीमीटर की दूरी रखें.

ध्यान रहे कि इसको ज़मीन के अंदर करीब 4 से 5 सेंटीमीटर नीचे डालना है, तो वहीं अधिक क्षारीय भूमि में मेड़ों के ऊपर बीज लगाएं.

खाद एवं उर्वरक

बीज बुवाई से 3 से 4 सप्ताह पहले 25 से 30 गाड़ी गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से जुताई कर भूमि में अच्छी तरह मिला दें.

अमेरिकन और बीटी किस्म- इसके लिए प्रति हेक्टेयर 75 किलोग्राम नाइट्रोजन  और 35 किलोग्राम फास्फोरस की आवश्यकता पड़ती है.

देशी किस्म- इनके लिए प्रति हेक्टेयर 50 किलोग्राम नाइट्रोजन और 25 किलो फास्फोरस की आवश्यकता होती है.

कपास की सिंचाई

  • इसकी बुवाई के बाद 5 से 6 सिंचाई करना चाहिए.

  • उर्वरक देने के बाद एवं फूल आते समय सिंचाई करें.

  • दो फसली क्षेत्र में 15 अक्टूबर के बाद सिंचाई नहीं करनी चाहिए.

  • बारिश ज्यादा होती है, तो शुरुआती सिंचाई न करें.

  • बारिश न हो, तो इसकी पहली सिंचाई लगभग 45 से 50 दिन बाद या पत्तियां मुरझाने पर कर दें.

कपास की तुड़ाई

फसल की तुड़ाई सितम्बर और अक्टूबर में शुरू की जाती है. जब कपास की टिंडे लगभग 40 से 60 प्रतिशत खिल जाएं, तो पहली तुड़ाई कर देनी चाहिए. इसके बाद जब सभी टिंडे खिल जाएं, तो दूसरी तुड़ाई कर दें.

कपास की खेती से पैदावार

जहां देशी किस्मों की खेती होती है, वहां करीब 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार प्राप्त हो सकती है. जहां अमेरिकन संकर किस्मों की खेती होती है, वहां करीब 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिल सकती है. बाजार में इसका भाव 5 हज़ार प्रति क्विंटल के हिसाब से मिल जाता है. ऐसे में किसान एक हेक्टेयर से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

किसान भाई  उपरोक्त बातों का ध्यान रखकर आप कपास की खेती करके अच्छा  मुनाफ़ा कमा सकते है. 

(खेती से जुड़ी और अधिक जानकारी के लिए कृषि जागरण की हिंदी वेबसाइट पर जाकर विजिट करें.)

English Summary: method of cultivation of cotton Published on: 16 July 2021, 02:01 PM IST

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