भारतीय मसाले दुनियाभर में फेमस है, इनमें इलायची की बात ना हो तो सब अधूरा है क्योंकि इलायची ना सिर्फ मसालों के रूप में जानी जाती है बल्कि इसमे बहुत सारे औषधीय गुण भी मौजूद हैं. आयुर्वेदिक डॉक्टरों के मुताबिक इलायची के उपयोग से शरीर से वात, सांस, खांसी, खुजली, बवासीर और पित्त जनित रोग, पथरी और सुजाक जैसी बीमारियों में फायदा होता है. इसका इस्तेमाल पुरुषों के लिए भी बहुत फायदेमंद रहता है. मिठाइयों में सुगंध बढ़ाने के लिए भी इलायची का उपयोग होता रहा है.
भारत में इलायची की खेती कहां होती है?
दक्षिण भारत के राज्यों में इलायची की खेती मुख्य तौर पर की जाती है. इलायची के उत्पादन के लिए कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु सबसे आगे हैं.
इलायची के लिए उपयुक्त जलवायु और तापमान (climate and temperature)
वैसे तो भारत के कई इलाकों में इलायची की खेती की जा रही है लेकिन उष्णकटिबंधीय जलवायु इलायची की खेती के लिए सबसे सही मानी जाती है. इलायची की अच्छी खेती समुद्र ताल से 600 से 1500 मीटर की ऊंचाई वाली जगहों पर आसानी से की जा सकती है. इलायची की खेती ऐसे क्षेत्र में करना सबसे उचित रहता है जहां गर्मी होने के साथ-साथ मिट्टी में नमी भी मौजूद रहे, यानी इसकी फार्मिंग के लिए छायादार जगह और हवा में नमी होनी चाहिए. इलायची की खेती के लिए अगर तापमान की बात करें तो 10 से 35 डिग्री के बीच का तापमान उचित माना जाता है.
इलायची की खेती के लिए कैसी मिट्टी चाहिए?
जीवांशयुक्त बलुई दोमट मिट्टी जिसमें नमी रहे और जल निकास की ठीक व्यवस्था हो इलायची की खेती के लिए सबसे अनुकूल है. लाल दोमट मिट्टी भी इलायची की खेती के लिए उपयुक्त है. इसकी खेती के लिए जमीन का पीएच. मान 5 से 7.5 होना चाहिए.
इलायची की पौध कैसे तैयार करें?
इलायची की पौध (Cardamom Plant) दो तरीके से तैयार की जा सकती है, इसे बीज और पौधे से भी तैयार किया जा सकता है. अगर बीज से उगाने की बात करें तो इसके लिए अच्छी क्वालिटी का बीज हो, ये बीज ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए. इलायची की नर्सरी तैयार करने के लिए 10 सेमी की दूरी पर बीज लगाएं. बीजों को बोने से पहले उसका उपचारण जरूर कर लें. आपको बता दें कि एक हेक्टेयर जमीन के लिए करीब सवा किलो बीजों की जरूरत पड़ती है.
इलायची के पौधों का कैसे करें रोपण?
इलायची के पौधों की रोपाई बारिश के मौसम में की जाती है यानी इसके रोपण के लिए जुलाई का महीना सबसे सही होता है, क्योंकि इस मौसम में पौधों को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं रहती. ध्यान रखें कि इलायची का पौधा छायादार जगह पर लगाएं, डायरेक्ट सनलाइट में ये ज्यादा ग्रो नहीं करेगा.
इलायची की फसल में लगने वाले रोग
सफेद मक्खी कीट- सफेद मक्खी लगने की वजह से पौधों की ग्रोथ रुक जाती है. ये कीट पौधों की पत्तियों को चूसकर नष्ट कर देते हैं.
ब्रिंग लार्वा- इस रोग के चलते इलायची के पौधे के नर्म भाग नष्ट हो जाते हैं क्योंकि ये एक जनित रोग हैं.
झुरमुट और फंगल रोग- इस बीमारी से इलायची के पौधों को बहुत नुकसान होता है. इस रोग के लगने के कारण पत्तियां सिकुड़कर नष्ट होने लगती है. रोकथाम के लिए बीजों का उपचारण जरूरी है, इससे बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा से इलायची के बीजों का उपचारण करें, क्योंकि ये संक्रमण वाली बीमारी है इसलिए ऐसे पौधों को उखाड़कर फेंकना ही सही रहेगा ताकि दूसरे पौधें संक्रमित न हो.
इलायची की उन्नत किस्में
इलायची दो प्रकार की होती है. इन्हें छोटी इलायची और बड़ी इलायची के रूप में जाना जाता है.
इलायची की उपज और लाभ
इलायची के पौधों से 3 साल बाद फल मिलना शुरू होते हैं. इससे पहले इसकी विशेष देखभाल बहुत जरूरी है. एक हेक्टेयर जमीन से 130 से 150 किलो के करीब सूखी इलायची मिलती है, क्योंकि बाज़ार में इसकी कीमत 2000 रूपए प्रति किलो है. अत: इसकी खेती करके 3 लाख रुपए की कमाई बड़े आराम से की जा सकती है.
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