देश में रबी फसलों का सीजन खत्म हो चुका है. किसान अब खरीफ सीजन की तैयारियों में जुट गए हैं. वैसे तो खरीफ सीजन में कई फसलों की खेती की जाती है. लेकिन, देश के अधिकतर हिस्सों में धान या तो मक्का की खेती की जाती है. हालांकि, किसान कई बार असमंजस में रहते हैं की मक्का की खेती करें या धान की? बात अगर धान की करें तो ये खरीफ सीजन की प्रमुख फसल है. देश में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. लेकिन किसानों के लिए धान की तुलना में मक्का की खेती ज्यादा फायदेमंद है. मक्का की खेती में किसानों को धान की तुलना में दोगुना मुनाफा मिल सकता है. आइए जानते हैं कैसे?
सबसे पहले आपको बता मक्का की खेती देश में पूरे साल की जाती है. पानी की उपलब्धता होने पर अलग-अलग क्षेत्रों में किसान पूरे साल इसकी खेती करते हैं. लेकिन, मुख्य तौर पर यह खरीफ की फसल मानी जाती है. खरीफ सीजन में बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जाती है. खास कर उन राज्यों में जहां किसान वर्षा आधारित सिंचाई पर निर्भर रहते हैं. उन राज्यों में किसान बारिश के सीजन में ऊपरी जमीन पर मक्का की खेती करते हैं और इसकी खेती से अच्छा उत्पादन हासिल करते हैं. मक्का की कीमत भी अच्छी मिलती है तो किसानों को इसे बेचकर अच्छा मुनाफा होता है. खास कर मक्का का प्रसंस्करण होने के बाद इससे कई उत्पाद तैयार होते हैं, इसलिए बाजार में इसकी खूब डिमांड रहती है.
खरीफ में ही मक्का की अधिक खेती क्यों की जाती है, इसके पीछे क्या वजह है और इससे किसानों को क्या फायदा होता है? यह जानना बेहद जरूरी है. दरअसल खरीफ मौसम में मक्के की खेती से जलवायु परिवर्तन के दौर में फसल चक्र सुधारने में मदद मिलती है और अधिक मुनाफा भी किसानों को होता है. यह एक ऐसी फसल है जो कम बारिश में भी तैयार हो जाती है और बेहतर उपज देती है. इसलिए किसानों को इससे यह लाभ होता है. अगर धान की खेती में उत्पादन थोड़ा कम भी होता है तो इससे भारपाई हो जाती है. मक्का की खेती में धान की खेती से अधिक कमाई होती है.
मक्का की खेती में मुनाफा
मक्का के खेती करके किसान प्रति हेक्टेयर 68 हजार रुपये तक शुद्ध आय कमा सकते हैं. जबकि धान की खेती करके किसान प्रति हेक्टेयर मात्र 35 हजार रुपये का ही शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं. इसलिए इस खबर में हम आपको बताएंगे कि खरीफ सीजन में मकई की खेती करना क्यों अधिक लाभदायक होता है. अधिक से अधिक किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और अपनी आय को बढ़ा सकते हैं.
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खरीफ में मक्का की खेती के फायदे
कम पानी की आवश्यकत्ता: मक्का की फसल में बहुत कम पानी की आवश्यकत्ता होती है. जहां एक ओर मक्का के उपज में 627-628 मिमी/हेक्टेयर पानी की आवश्यकता है जबकि धान को उपजाने में औसतन 1000- 1200 मिमी/हेक्टेयर पानी की आवश्यकता होती है.
कम अवधि: मक्के का विकास चक्र धान की तुलना में छोटा होता है. जिससे किसानों को अपनी फसल तेजी से काटने एवं बेचने में सुविधा मिलती है.
उच्च उपज क्षमता: खरीफ मक्का का औसत उपज 50-55 क्विंटल/हेक्टेयर है. जबकि धान का औसत उपज 35-40 क्विंटल/हेक्टेयर है.
कीट और रोग का दबाव कम: मक्का में धान के मुकाबले कीट का प्रकोप कम होता है और कीट प्रबंधन की लागत भी कम आती है.
उच्च बाजार मांग और कीमतें: खरीफ मक्के की कटाई आम तौर पर रबी मक्के से पहले की जाती है और यह बाजार में तब उपलब्ध होता है जब आपूर्ति अपेक्षाकृत कम होती है. जिससे किसानों को काफी अच्छा दाम मिलता है.
फसल चक्र के लाभ: खरीफ मक्का को गेहूं या दालों जैसी अन्य फसलों के साथ चक्र में उगाया जा सकता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता में सुधार हो सकता है और कीटों और बीमारियों का जमाव कम हो सकता है.
विविधीकरण का अवसर: खरीफ मक्का फसल विविधीकरण का अवसर प्रदान करता है, जिससे एक ही फसल (जैसे धान) उगाने से जुड़े जोखिम कम हो जाते हैं.
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