कईं वर्षों से हिमालय में उगने वाली जड़ी-बूटीयों का प्रयोग मानव अपने खान-पान और औषधियों के रूप में करता आ रहा है। हिमालय की गोद में बसा होने के कारण 'बुरांस' दिव्य औषधीय से भरपूर है। हिमाचल का 66.52 प्रतिशत भूमि वन्य भूमि है और इन वनों में बहुत से औषधीय गुणों वाले पौधे पाए जाते हैं। उन्ही दिव्य पौधों में से एक है बुरांस जो कि हिमालय क्षेत्र में 1500 से 3600 की मध्यम ऊंचाई पर पाया जाने वाला वृक्ष है। इस वृक्ष की पत्तियां देखने में मोटी और फूल घंटी की तरह होते हैं।
परिचय :
बुरांस को पहाड़ी बोली में 'बराह' के नाम से जाना जाता है हालांकि इसका वैज्ञानिक नाम रहोडोडेंड्रन है। इसके पेड़ों पर मार्च-अप्रैल के महीने में लाल रंग के फूल खिलते हैं। यह पौधा अधिकांश ठंडे जहां तापमान 120 डिग्री सेल्सियस रहता है और ढलान वाली जगहों में उगता है। इसके लिए अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। बुरांस भूटान, नेपाल, म्यंनमार, भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, थाईलैंड और चीन में पाया जाता है। हिमाचल में यह फूल भरपूर मात्रा में पाया जाता है। शिमला, कांगड़ा, सोलन, धर्मशाला और किन्नौर में इस फूल का प्रयोग अचार, मुरब्बा और जूस के रूप में किया जाता है। हिमाचल में शिमला के निचले क्षेत्र समरहिल, जतोग और मिलिट्री एरिया में यह फूल देखा जा सकता है। इसके अलावा किन्नौर, धर्मशाला, और कांगड़ा में भी पाया जाता है। यह एक ऐसा पौधा है जो बिना मेहनत किए बिना आराम से प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हो जाता है। धर्मशाला में चिन्मय संत तपोवन में इस फूल की नर्सरी है और भारत के अनेक भागों में इसकी सप्लाई की जाती है। भारत में अन्य भागों में भी यह फूल उगता है परंतु जिस गति से यह हिमाचल में बढता है कहीं और नहीं देखा गया है।
बुरांस की लगभग 300 प्रजातियां पाई जाती हैं। वैसे तो बुरांस के फूल लाल और पिंक रंग के होते हैं लेकिन हिमाचल में कईं स्थानों पर सफेद बुरांस भी देखा जा सकता है। सफेद बुरांस बर्फीले क्षेत्रों में पाया जाता है और ओक वृक्ष के नीचे उगता है। वैज्ञानिक तरीके से सिद्ध किया गया है कि ओक वृक्ष की छाया में यह वृक्ष बहुत अच्छी तरह उगता है। शिमला के लोग गर्मियों के लिए इस फूल का अचार बनाते हैं जिसे स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि विदेशी भी बहुत पसंद करते हैं। यह अचार शुद्ध, प्राकृतिक सुगंध और कम चीनी होने के कारण रोगियों के लिए भी लाभकारी है।
बुरांस नेपाल का राष्ट्रीय फूल है और नेपाली में इसे लाल गुरांस कहते हैं। इसके अलावा उतराखण्ड और नागालैण्ड का राज्य फूल है जबकि पिंक बुरांस को हिमाचल के राज्य फूल का दर्जा दिया गया है। मुगल इतिहास में कहा जाता है कि शाहजहां की पत्नी मुमताज महल को बुरांस का फूल बहुत पसंद था। इसलिए रानी के लिए हर शुक्रवार शिमला से बुरांस के फूलों का गुच्छा मंगवाया जाता था। बहुत से कवियों ने बुरांस के फूलों का वर्णन अपनी कविताओं के माध्यम से किया है। जब यह फूल खिलता है तो मानो पहाड़ जी उठते हैं।
औषधीय गुण
बुरांस के फूल में बहुत से औषधीय गुण पाए जाते हैं। यह फूल दिल की बीमारी, डायबीटीज, कैंसर और लिवर के लिए बहुत लाभकारी है। बुरांस के फूल में मीथेनॉल होता है जो कि डायबीटिज के रोगियों के लिए फायदेमंद है। यह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को नियमित रखता है और हायपरटेंशन और डायरिया में भी लाभकारी है।
बुरांस में विटामिन ए, बी-1, बी-2, सी, ई और के पाई जाती हैं जो की वजन बढने नहीं देते और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रखता है। क्वेरसिटिन और रुटिन नामक पिंगमेंट पाए जाने के कारण बुरांस अचानक से होने वाले हार्ट अटैक के खतरे को कम कर देता है। इसका शर्बत दिमाग को ठंडक देता है और एक अच्छा एंटीऑक्सीडेंट होने के कारण त्वचा रोगों से बचाता है। बराह के फूलों की चटनी बहुत ही स्वादिष्ट होती है जो कि लू और नकसीर से बचने का अचूक नुस्खा है। इसकी पंखुड़ियां लोग सुखाकर रख लेते हैं और सालभर इसका लुत्फ़ उठाते हैं।
गिरीश पांडेय, कृषि जागरण
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