रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बुवाई की तैयारियां किसान अभी से ही करने लगे हैं. लेकिन उनके पास चुनौती है कि वो आखिरकार गेहूं की फसलों की बुवाई के लिए किस्मों का चयन कैसे करें. इसलिए कृषि जागरण किसानों की इस समस्या का सामाधान करने के लिए लगातार अपने लेख के माध्यम से गेहूं की अलग-अलग किस्मों के बारे में जानकारी लेकर आता रहता है.
इसी कड़ी में आज इस लेख में हम आपके लिए गेहूं की दो किस्में 'कुदरत 8' और 'कुदरत विश्वनाथ' के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं. ये दोनों देसी गेहूं की किस्में हैं. जिसे वाराणसी जिले के कुदरत कृषि शोध संस्था, टडि़या, जाक्खिनी के किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी द्वारा विकसित किया गया है.
गेहूं की 'कुदरत 8' किस्म के बारे में जानें-
उत्तरप्रदेश में गेहूं की इस बौनी किस्म की प्रजाति को विकसित किया गया है. शोधकर्ता के दावे के मुताबिक, गेहूं की कुदरत 8 किस्म मौसम के घटते-बढ़ते तापमान को सहने की क्षमता रखता है. यानी इस किस्म के गेहूं तापमान बढ़ने पर भी नष्ट नहीं होगा. ऐसे में इसका पूरा फायदा किसान उठा सकते हैं.
गेहूं की कुदरत-8 किस्म प्रजाति के पौधों की ऊंचाई करीब 90 सेंटीमीटर और बाली की लंबाई करीब 20 सेंटीमीटर (यानी नौ इंच) होती है. इसके दाने मोटे और चमत्कार होते हैं. इसकी फसल को पकने में 110 दिन का समय लगता है. गेहूं की इस किस्म की प्रजाति की बुवाई कर किसान प्रति एकड़ 25-30 कुंतल पैदावार प्राप्त कर सकते हैं.
गेहूं की 'कुदरत विश्वनाथ' किस्म के बारे में जानें-
कुदरत विश्वनाथ प्रजाति की गेहूं की किस्म की बुवाई नवंबर से लेकर 10 जनवरी तक की जा सकती है. शोधकर्ता का दावा है कि गेहूं की इस किस्म की फसलें तेज बारिश-हवा-आंधी आने पर भी नहीं गिरेगी. क्योंकि इसके पौधों का तना मोटा और मजबूत होगा जिससे जड़ें मजबूत होंगी और मिट्टी से पकड़ भी अच्छी होगी. इस कारण यह पौधा तेज-हवा आंधी से नहीं गिरेगा.
कुदरत विश्वनाथ गेहूं की किस्मों के पत्ते लंबे-चौड़े होंगे और इसकी 9-10 इंच लंबी बालियां होंगी.
गेहूं की किस्मों को यहां से खरीदे किसान
अगर कोई भी किसान देसी बीज मंगवाना चाहते हैं तो वो उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी के कुदरत कृषि शोध संस्था, टड़िया, जाक्खिनी, पिन 221305 से संपर्क कर सकते हैं. साथ ही अपने जिले के नजदीकी सरकारी बीज केंद्र से भी संपर्क कर सकते हैं.
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