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गेहूं, मटर, चना और लहसुन की अगेती खेती के लिए बोएं ये किस्में

किसान धान की कटाई के बाद रबी फसलों की बुवाई में जुट गए हैं. रबी सीजन में हिमाचल प्रदेश के अधिकतर किसान गेहूं, मटर, चना और लहसुन की खेती करते हैं. ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि एवं पशुपालन वैज्ञानिकों ने किसानों को एक जरूरी सलाह दी है.

कंचन मौर्य
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किसान धान की कटाई के बाद रबी फसलों की बुवाई में जुट गए हैं. रबी सीजन में हिमाचल प्रदेश के अधिकतर किसान गेहूं, मटर, चना और लहसुन की खेती करते हैं. ऐसे में के अलावा  दी है.ऐसे में कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कृषि एवं पशुपालन वैज्ञानिकों ने किसानों को एक जरूरी सलाह दी है.

गेहूं की अगेती किस्में (Early wheat varieties)

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को अक्टूबर के पहले पखवाड़े में गेहूं की अगेती किस्मों की बुवाई करना चाहिए. बता दें कि गेहूं की अगेती किस्मों में 3 किस्मों की बुवाई करने की सलाह दी है.

  • एचएस-542

  • एचपी डब्ल्यू-360

  • वीएल-829

बीज उपचार (Seed treatment)

बीज उपचारित करने के लिए बैविस्टिन, ढाई ग्राम प्रति किलोग्राम बीज का प्रयोग करें. इसके अलावा वीटावैक्स 2 ग्राम प्रति किलोग्राम या रैक्सिल 1 ग्राम प्रति किलोग्राम से बीज उपचारित करें. ध्यान रहें कि गेहूं की अगेती किस्मों की बुवाई करने के लिए एक हेक्टेयर में लगभग 100 किलोग्राम बीज डालें.  

चने की अगेती किस्में (Early varieties of chickpeas)

कृषि वैज्ञानिकों ने हिमाचल प्रदेश के किसानों को चने की कुछ खास उन्नत किस्मों की बुवाई करने की सलाह दी है.

  • चना-1

  • हिमाचल चना-2

  • जीपीएफ-2

  • डीकेजी-986

  • पालम चना-1

  • एचपीजी-17

खेत की तैयारी (Farm preparation)

चने की खेती करने के लिए जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. इसके साथ ही दोमट और रेतीली भूमि उपयुक्त मानी जाती है. इसकी खेती के लिए जमीन थोड़ी भिकड़ों ली होनी चाहिए, ताकि जड़ों में हवा का अच्छी तरह प्रवेश हो सके. ध्यान रहे कि बीज को 10 से 12.5 सेंटीमीटर गहरा डालें, क्योंकि कम गहरी पर बुवाई करने पर उखेड़ा रोग लग जाता है.

खेत की बुवाई (Field sowing)

अगर किसान जीपीएफ-2, हिमाचल चना-2, हिमाचल चना-1 और पालम चना-1 किस्मों की बुवाई करते हैं, तो कतारों की दूरी 30 टीमीटर की दूरी होनी चाहिए. इसके अलावा एचपीजी-17 किस्मों की बुवाई करने के लिए कतारों में 50 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए.

निचले पर्वतीय क्षेत्रों के लिए मटर की अगेती किस्में

हिमाचल प्रदेश के निचले पर्वतीय क्षेत्रों में मटर की अगेती किस्मों की बुवाई करने के लिए किसान पालम, त्रिलोकी, अरकल और  वीएल-7 आदि किस्मों का चुनाव कर सकते हैं.

निचले पर्वतीय क्षेत्रों के लिए लहसुन की अगेती किस्में

इन्हीं क्षेत्रों में लहसुन की सुधरी किस्मों जैसे जीएचसी-1, एग्रीफॉउफड पार्वती आदि किस्मों की बुवाई कर सकते हैं.

English Summary: Knowledge of varieties for early crops of wheat, peas, gram and garlic Published on: 12 October 2020, 12:27 PM IST

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