पौधे के विकास के लिए मिटटी की भूमिका बहुत अहम होती है. अलग-अलग फसलों में अलग- अलग के प्रकार की मिटटी की अपनी महत्वता होती है. मिटटी के प्रकारों की बात करें, तो मिटटी करीब 5 प्रकार की होती हैं.
जैसे, काली मिटटी, रेतीली मिटटी, जलोढ़ मिटटी यानि दोमट मिटटी, लाल मिटटी आदि. वैसे तो सभी प्रकार की मिटटी की अपनी खासियत होती है, लेकिन यहां इस लेख में आपको काली मिटटी की खासियत (Characteristic Of Black Soil ) के बारे में बताने जा रहे हैं, ताकि आपको इस बात की पूरी जानकारी मिल सके कि किस फसल के लिए काली मिटटी उपयुक्त होती है. इससे आपको अपनी फसल से अच्छा मुनाफा भी मिल सकेगा, साथ ही पैदावार भी अच्छी प्राप्त हो सकेगी.
काली मिटटी की विशेषता (Characteristic Of Black Soil)
काली मिटटी जिसका सबसे अधिक इस्तेमाल पौधों की उपज के लिए किया जाता है. काली मिटटी में लोहा, चूना, मैग्नीशियम एवं एलूमिना जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, इसलिए काली मिटटी का उपयोग फसलों के उत्पादन के लिए सर्वाधिक अच्छा माना जाता है. काली मिटटी में अन्य मिटटी के प्रकारों की तुलना में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश की मात्रा भी अधिक नहीं होती है.
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किन फसलों के लिए उपयोगी है काली मिटटी (For Which Crops Black Soil Is Useful)
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काली मिटटी का उपयोग कपास फसल (Cotton Crop ) के उत्पादन में बहुत अधिक किया जाता है. अतः काली मिट्टी को काली कपास मिट्टी भी कहा जाता है.
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धान की फसल के लिए भी काली मिटटी का उपयोग किया जाता है.
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मसूर, चना आदि दलों की फसलों में भी काली मिटटी का उपयोग किया जाता है.
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अन्य फसलों में गेहूं, अनाज, चावल, ज्वार, गन्ना, अलसी, सूरजमुखी, मूंगफली, तंबाकू, बाजरा, खट्टे फल, सभी प्रकार की तिलहन फसलें और सब्जियां की फसलों में काली मिटटी का अधिक इस्तेमाल किया जाता है.
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बागवानी फसलों में - आम, सपोटा, अमरूद और केला आदि की खेती काली मिटटी में उगाई जाती हैं.
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