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Sarso Ki Kheti: सरसों की खेती में रखें इन बातों का ध्यान, होगी बंपर कमाई

पहले अधिकतर लोगों को ऐसा लगता था कि खेती-बाड़ी फायदे का सौदा नहीं है, लेकिन अब दौर पूरी तरह बदल चुका है. मौजूदा समय में किसान खेती-बाड़ी से लाखों नहीं करोड़ों रुपए भी कमा रहे हैं. मगर इसके लिए किसान भाईयों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखकर खेती करनी पड़ती है, ताकि खेती-बाड़ी से बंपर कमाई की जा सके.

कंचन मौर्य
Sarso Ki Kheti
Sarso Ki Kheti

पहले अधिकतर लोगों को ऐसा लगता था कि खेती-बाड़ी फायदे का सौदा नहीं है, लेकिन अब दौर पूरी तरह बदल चुका है. मौजूदा समय में किसान खेती-बाड़ी से लाखों नहीं करोड़ों रुपए भी कमा रहे हैं. मगर इसके लिए किसान भाईयों को कुछ बातों का विशेष ध्यान रखकर खेती करनी पड़ती है, ताकि खेती-बाड़ी से बंपर कमाई की जा सके.

खासकर हाल के दिनों में किसान भाई पीली सरसों की खेती (Sarso Ki Kheti) कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. सरसों की खेती (Sarso Ki Kheti)  खरीफ और रबी सीजन की फसल के बीच में की जाती है. इसकी खेती पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और गुजरात में ज्यादा होती है. तो आइए किसान भाईयों को बताते हैं कि वे किस तरह सरसों की खेती से बंपर कमाई कर सकते हैं.

सरसों की बुवाई का सही समय (Right time for sowing mustard)

सरसों की खेती  (Sarso Ki Kheti) का सबसे सही समय 15 सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक का होता है. इसके लिए किसानों को सबसे पहले खेत को अच्छी तरह तैयार कर लेना चाहिए. खेत की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करना है और फिर 2 से 3 जुताई कल्टीवेटर से करना है. इसके बाद मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी. ऐसी मिट्टी में सरसों की बुवाई करने से अच्छी फसल प्राप्त होगी. ध्यान रहे कि सरसों का बीज भी 4 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना है.

सरसों की उन्नत किस्में (Improved varieties of mustard)

अगर पीली सरसों की उन्नत किस्मों की बात की जाए, तो इनमें पीतांबरी, नरेंद्र सरसों-2 और के-88 का नाम सबसे पहले आता है. वहीं, सरसों की पीतांबरी किस्म 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इसमें करीब 18 से 20 कुंतल प्रति हेक्टेयर की औसतन पैदावार देने की क्षमता है. इस किस्म से करीब 42 से 43 प्रतिशत तक तेल प्राप्त हो जाता है. इसके अलावा नरेंद्र सरसों-2 किस्म के पकने की अवधि 125 से 130 दिन माना गई है, जिससे करीब 16 से 20 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है. सरसों की इस किस्म में 44 से 45 प्रतिशत तक तेल निकल सकता है. वहीं, के-88 किस्म की सरसों करीब 125 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इससे 16-18 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है और करीब 42 से 43 प्रतिशत तेल निकल सकता है.

ये खबर भी पढ़ें: सरसों की फसल पर माहू कीट का प्रकोप, ऐसे करें बचाव

सरसों की सिंचाई का समय (Mustard irrigation time)

सरसों की फसल में सिंचाई का सही समय फूल आने के वक्त का समय होता है. जब फलियों में दाने भरने की अवस्था आ जाए, तब दूसरी सिंचाई कर देना चाहिए. अगर दूसरी सिंचाई से पहले बारिश हो जाए, तो दूसरी सिंचाई नहीं करनी है.  

संतुलित उर्वरकों का इस्तेमाल (Use of balanced fertilizers)

अगर किसान भाई फसल की बेहतर उपज लेना चाहते हैं, तो गर्मी में गहरी जुताई करें. इसके साथ ही संतुलित उर्वरकों का इस्तेमाल करें. वहीं, आरा मक्खी की सूड़ियों को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए. इसके अलावा माहूं कीट से प्रभावित फूलों, फलियों और शाखाओं को भी तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए.

English Summary: Keep in mind these things in mustard cultivation Published on: 30 November 2021, 11:22 AM IST

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