इन दिनों किसान मशरूम की खेती (Mushroom Farming) की तरफ ज्यादा रुख कर रहे हैं. इसकी खेती से किसानों को फायदा हो, इसलिए कृषि वैज्ञानिक भी नई तकनीक विकसित करते रहते हैं. इसी कड़ी में मशरूम की खेती के लिए एक तकनीक विकसित की गई है. इसके तहत किसान मशरूम की खेती घड़े में भी कर सकते हैं. इस तकनीक को राजस्थान के कृषि अनुसंधान केंद्र, श्रीगंगानगर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है.
घड़े में मशरूम की खेती करने की तकनीक (Mushroom cultivation technology in pot)
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नई तकनीक में ज्यादा फर्क नहीं है, जो किसान ढिंगरी यानी ऑयस्टर मशरूम की खेती करना चाहते हैं, उनके लिए स्पॉन और कम्पोस्ट को पॉलिथिन में पैक करते हैं, ताकि उस थैली में स्पॉन अच्छी तरह से तैयार हो जाए. इसमें थोड़ा से बदलाव किया है. बता दें कि राजस्थान में घर-घर मटके मिल जाते हैं. पुराने मटको को फेक दिया जाता है या तोड़ दिया जाता है. मगर इस तकनीक के तहत वही पुराने मटकों में ड्रिल की मदद से चारों तरफ कई छेद कर दिए. जिस तरह पॉलिथिन बैग में स्पॉन और कम्पोस्ट भरते थे, उसी तरह मटकों में भर दिया. इसके बाद तकनीक वैसी ही होती है.
ऑयस्टर मशरूम की खेती (Oyster mushroom cultivation)
आपको बता दें कि ऑयस्टर मशरूम की खेती दूसरे मशरूम के मुकाबले में आसान और सस्ती होती है. इसकी खेती देभर में की जाती है. इसकी मांग दिल्ली, कलकत्ता, मुंबई जैसे बड़े शहरों में रहती है.
यह मशरूम लगभग 3 महीने में तैयार हो जाता है. खास बात है कि इस सुखाकर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इससे बाजार में अच्छी कीमत मिल जाती है. इस मशरूम की अलग-अलग प्रजाति की खेती तापमान की आवश्यकता के अनुसार की जाती है, इसलिए यह मशरुम सालभर उगाया जा सकता है.
स्पॉन से मशरुम का उत्पादन (Production of mushroom from spawn)
स्पॉन (बीज) से ऑयस्टर मशरूम का उत्पादन होता है, इसलिए यह अच्छी गुणवत्ता का लेना चाहिए. इसकी खेती के लिए स्पॉन, भूसा, मटके और फंगीसाइड की जरूरत होती है. बता दें कि भूसे को पानी में फंगीसाइड डालकर अच्छी तरह से शोधन किया जाता है. इसके बाद लगभग 12 घंटे के लिए भूसे को पानी में भिगोया जाता है. अब भूसे को पानी से निकालकर फैला दिया जाता है.
फिर सूखे भूसे को मटके में भरा जाता है. इसमें किनारे स्पॉन लगाया जाता है. उस पर भूसा रखा जाता है और ऊपर से इसका मुंह बांध दिया जाता है. इसके बाद इन्हें अंदर कमरों में रख दिया जाता है. लगभग 10 से 15 पंद्रह दिनों में स्पॉन पूरी तरह फैल जाता है और ऑयस्टर मशरूम निकलने लगता है.
कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए (a few things to keep in mind)
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स्पॉन और भूसा भरने के बाद मटकों के छेद 10 से 15 दिनों के लिए कॉटन या फिर टेप से बंद रहना चाहिए.
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कमरे के अंदर नमी बनी रहे.
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जब स्पॉन अच्छी तरह से फैल जाए, तो उन्हें खोल देना चाहिए, ताकि मशरूम निकल सके.
लोगों को दिया जा रहा है प्रशिक्षण (training is being given to the people)
कृषि अनुसंधान केंद्र श्रीगंगानगर द्वारा लोगों को इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. कई लोगों ने इस विधि से शुरू भी कर दी है. बता दें कि मशरूम उत्पादन के बाद पॉलिथिन बैग फेक दिए जाते थे. इससे प्रदूषण भी ज्यादा होता था. मगर अब मटके में मशरूम की खेती करने से प्रदूषण की समस्या नहीं होती है.
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