किसान की खेती में प्रदूषण, पेड़-पौधों की कटाई से कई मुश्किलें पैदा होती हैं. पेड़ों की घटती तादाद से कम बारिश होती है. इस कारण फसल की सिंचाई के लिए पानी की किल्लत भी बढ़ गई है. अगर किसानों को इन समस्याओं से छुटकारा पाना है, तो ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने की तरफ ध्यान देना पड़ेगा, हालांकि, अब फलदार पौधों की मांग बढ़ रही है, लेकिन पौधों की नर्सरी ठीक से नहीं हो पा रही हैं. ऐसे में गूटी विधि से नर्सरी तैयार करना बहुत अच्छा माना जाता है. कई फलदार पेड़ हैं जिनकी नर्सरी के लिए गूटी विधि अपनाई जाती है. बागवानी में लीची, अनार, माल्टा, नींबू शामिल हैं, जिनमें नर्सरी गूटी विधि से तैयार करना अच्छा होता है, तो आइए आपको इसकी पूरी जानकारी देते हैं.
गूटी विधि से नर्सरी
कुछ फलदार पौधे ऐसे होते हैं, जिनकी नर्सरी गूटी विधि से करना अच्छा माना जाता है. वैसे तो अलग-अलग फलदार पेड़ों को तैयार करने के लिए कई विधियों को अपनाया जाता है, लेकिन गूटी विधि को ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. अगर किसी ने नींबू, लीची, अनार, माल्टा की उन्नत किस्मों का बाग लगाया है, तो वह गूटी विधि से नर्सरी का काम भी शुरू कर सकता है. इस विधि में उन्नत किस्म के पौधों को ज्यादा मात्रा में तैयार किया जाता है. ध्यान दें कि गूटी लगाए जाने वाले पेड़ करीब 5 साल पुराने होने चाहिए. अगर गूटी लगाने के लिए फलदार पौधे नहीं हैं, तो आप अपने यहां के वातावरण के अनुसार उन्नत किस्मों को रोपित कर नर्सरी का काम शुरू कर सकते हैं.
गूटी लगाने के लिए पेड़ की उन्नत किस्म
ध्यान दें कि अगर आप गूटी विधि से नर्सरी तैयार कर रहें हैं, तो फसल की ऐसी उन्नत किस्मों को चुनें, जिनसे ज्यादा पैदावार मिल सके, ताकि बाजार में पौधे का अच्छा भाव मिल सके. किसानों में जिन प्रजातियों के पौधों की मांग ज्यादा हो, उसी पौध को तैयार करना कारोबारी के लिए ज्यादा सही रहता है. जिन पौधों की नर्सरी गूटी विधि से तैयार होती है, उनकी कुछ उन्नत किस्मों के पुराने पौधे पहले से तैयार होने चाहिए.
जानिए उन्नत किस्में
अनार - इसकी उन्नत किस्म स्पैनिश, धोलका, गणेश, पेपर सैल, रूबी, मृदुला, अलाड़ी, रूबी हैं.
लीची - त्रिकोलिया, शाही, देशी, सबौर बेदाना, अझौली ग्रीन, बेहरारोज, अर्ली बेदाना, स्वर्ण रूपा, रोज सैंटेड प्रमुख हैं.
नींबू - इटैलियन लैमन, पहाड़ी नीबू, , कागजी नींबू, विक्रम, पंत लैमन खास माना जाता है.
गूटी विधि में गूटी बांधने का तरीका
गूटी को बांधने का सही समय जुलाई से अगस्त तक का माना जाता है. इस विधि में जिस फलदार पेड़ की नर्सरी के लिए पौध तैयार करनी है, उसकी सीधी टहनियों को 1 से 2 फुट नीचे से चाकू से चारों तरफ करीब 3 इंच की दूरी से मारकर छिलके उतार दिए जाते हैं. इसके बाद छिलके की जगह पर मास घास लगाई जाती है और इसको पन्नी से लपेटते हुए सूतली से कसकर बांध दिया जाता है. इस प्रक्रिया के करीब 5 दिन बाद गूटी में जड़ें फूटने लगती हैं.
ध्यान दें कि गूटी लगाने के एक महीने टहनियों को पौधे से काटकर अलग कर दें. अब कटी टहनियों को पॉलीबैग में रोपित कर दें, लेकिन उससे पहले मास घास के ऊपर की पन्नी को हटा दें. याद रखें कि पॉलीबैग में पहले से सड़ी गोबर की खाद, मिट्टी, भूसी और बालू मिलाकर भर दें. इसके बाद इन पौधों को क्यारियों में रख दें और इनकी स्प्रिंकलर से सिंचाई करते रहें. इस तरह ये पौधे एक महीने के अंदर ही बिकने के लिए तैयार हो जाते हैं. बता दें कि इस विधि से तैयार हुए पौधे बाजार में 30 से 200 रुपए तक में बिकते हैं. किसान खुद की नर्सरी में पौधों को तैयार करके ज्यादा आमदनी ले सकता है.
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