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Lemon Grass: लेमन घास की जैविक खेती करने की महत्वपूर्ण तकनीक

अगर आप किसान हैं और खेती करना चाहते हैं तो ऐसे में आप लेमन घास की खेती (Lemon Grass Farming) कर सकते हैं. जो आपको कम समय, कम निवेश में ज्यादा मुनाफा देती है...

हेमन्त वर्मा
Lemon grass
Lemon grass

लेमन घास एक सुंगधित पौधा है जिसकी पतियों से तेल निकाला जाता है. इस तेल का उपयोग कई प्रकार की औषधियों को बनाने, अच्छी गुणवत्ता के इत्र बनाने, सुगंधित साबुन और विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों को बनाने में किया जाता है. देश में ’एरोमा मिशन’ के तहत लेमन घास की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. लेमन घास में इसकी खुशबू के कारण मच्छर नहीं आते और फसल को कोई पशु भी नहीं खाता है. 

  • इसके तेल में विशेष सुगंध सिट्रीन नामक रसायन के कारण होती है. लेमन घास में एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant) और विटामिन ए अधिक पाए जाते हैं जो कैंसर में लाभदायक हो सकती है.

  • इसकी पत्तियों में नींबू जैसी मधुर सुगंध पाए जाने के कारण इसकी कुछ पत्तियाँ चाय में डालकर लेमन-टी बनाई जाती है. यह लेमन टी पीने से ताजगी आती है. इसकी देखरेख पर भी कोई ज्यादा खर्चा नहीं आता है.

  • इस घास को उष्ण एवं उपोष्ण दोनों ही जलवायु वाली जगह पर अच्छे से लगा सकते हैं. 250 मि.मी. वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी खेती आसानी से की जा सकती हैं. यह फसल उपजाऊ से लेकर बंजर (Barren) जमीन पर ऊगाई जा सकती है.

  • लेमन (नींबू) घास की अच्छी क़िस्मों में राजस्थान के लिए कावेरी, प्रगति, कृष्णा एवं नीमा किस्में उचित है.

  • जमीन की तैयारी (Soil preparation) के लिए मिट्टी पलटने वाले एमबी प्लाऊ (MB plough) चलाकर फिर पाटा लगाकर खेत तैयार करना चाहिए.

  • 4 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से वर्मीकम्पोस्ट, 4 क्विंटल नीम की खली प्रति हेक्टेयर और 250 किलो जिप्सम (Gypsum) प्रति हेक्टेयर जमीन में आखिरी जुताई के समय डालना चाहिए.

  • लेमन घास (Lemon grass) की बुवाई का सब से उचित समय फरवरी-मार्च है तथा इसको जुलाई-अगस्त में भी लगाया जा सकता हैं. लेमन घास की बुवाई बीज या स्लिपस दोनों के द्वारा कर सकते हैं लेकिन स्लिपस (sucker) से बुवाई करना लाभदायक होता है.

  • चूहों से जैविक तरीके के लिए बिलों में नीम की खली भर देते हैं तथा आटे में नीम का तेल मिलाकर एवं आटे के लड्डू बनाकर बिलों के पास रख देते हैं जिससे जब चूहा उनको खाता है तो उसके शरीर में संक्रमण हो जाता है तथा वो मर जाता है.  

  • पौधे से पौधे व कतार से कतार (Plant to plant & Row to row) के मध्य की दूरी 45×45 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. इस प्रकार एक हेक्टेयर में 50,000 स्लिप की आवश्यकता होती है.

  • पौध रोपाई (Transplanting) के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिए उसके बाद दूसरी सिंचाई 10 दिन बाद और फिर 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए.

  • लेमन घास के पौधे लगाने के बाद 5 से 8 साल तक उत्पादन ले सकते हैं. पहली कटाई रोपाई के 70 से 90 दिन बाद में करते हैं, फिर एक साल में पांच से छः कटाई ले सकते हैं.

  • एक साल में एक हेक्टेयर क्षेत्र से लगभग 60-70 टन हरी पत्तियाँ (Green leaves) मिलती हैं, जिनको सुखाने से 70 से 80 प्रतिशत तक भार कम हो जाता है.

  • सुखाने के बाद पत्तियों से आसवन विधि से तेल निकाला जाता है. इस विधि से 350 से 400 लीटर तेल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है जिसकी बाजार में कीमत 700 से 900 रुपये प्रति लीटर है. एक साल में एक हेक्टेयर से 2 से 2.5 लाख की आमदनी कमा सकते हैं.

English Summary: Important technique of organic farming of lemon grass Published on: 29 December 2020, 07:19 PM IST

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