दलहनी फसलों का भारतीय कृषि में विशेष योगदान व महत्व सर्वविदित है. यह शाकाहारी भोजन में प्रोटीन का मुख्य व सस्ता स्रोत है. इनमें गेहूं, मक्का, जौ, चावल व बाजरे जैसे अनाजों की तुलना में 2-3 गुना प्रोटीन होता है. हमारी शाकाहारी भोजन में प्रोटीन की अधिकांश मात्रा दालों द्वारा ही पूरी होती है. जनसंख्या की अधिक वृद्धि व दालों के कम उत्पादन के कारण प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दलों की उपलब्धता में निरंतर कमी आई है.
दालों का उत्पादन बढ़ाने में मुख्य बाधाएं
प्रतिकूल मौसम, अनुसंधान अंतराल, असामान्य भूमि, जैविक कारण, उन्नत किस्में व प्रमाणित बीज का अभाव, असामयिक बजाई, कम बीज मात्रा, अपर्याप्त सिंचाई, निराई गुड़ाई, खाद का अपर्याप्त प्रयोग, राइजोबियम टीका न लगाना, पौध संरक्षण की कमी, प्रसार व प्रशिक्षण अभाव, सरकार की समुचित नीतियों का अभाव आदि रहा है. इन सब बाधाओं के उपरांत ही सूझबूझ द्वारा दलहन का उत्पादन बढ़ाने की संभावनाएं हैं.
यह फसलें वायुमंडल की नाइट्रोजन को भूमि में स्थापित करके उर्वरा शक्ति बढ़ती है. इन फसलों की गहरी जड़ें भूमि की संरचना में सुधार करती हैं. यद्यपि विगत 2-3 दशकों में रासायनिक खादों का प्रचलन और प्रयोग तीव्र गति से बड़ा है, तथापि अनुमान लगाया जाता है कि आज भी भूमि में लेग्यूमिनेसी कुल के पौधों द्वारा इस पृथ्वी पर इन से कहीं अधिक नाइट्रोजन प्रदान की जाती है. लोबिया, मोंठ वह मूंग जैसी दलहनी फसलें हरी खाद के रूप में भी प्रयोग की जाती है. सूखा सहन करने की क्षमता के कारण इन फसलों को बारानी क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है.
प्रमाणित बीज का औसत उपज से सीधा संबंध है, क्योंकि खाद, पानी व फसल उत्पादन में अपने गए अन्य सभी प्रबंध इस पर आधारित है. अतः किस्मों का प्रमाणित बीज उपलब्ध कराना नितांत आवश्यक है. स्पष्टत: बीज उत्पादन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. दलहनी फसलों को उगने वाली फसलों की अपेक्षा अधिक जोखिम रहता है.
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अतः किसानों में इन फसलों की कास्ट को बढ़ावा देने के लिए बीमा योजना आरंभ करनी चाहिए और इस योजना को किसानों में खूब लोकप्रिय बनाया जाए. ऐसा करने से किसान दलहनों को उगाने में तत्पर होंगे. सरकार को दलहनी फसलों के लिए समुचित विपणन सेवाएं किसान को उपलब्ध कराने की व्यवस्था करनी चाहिए. इसके अलावा किसान को उचित मूल्य दिलाने संबंधित समुचित प्रबंध करना चाहिए. ऐसा करने से किसानों में दलहनों को उगाने को लेकर जागरूकता आएगी.
रबीन्द्रनाथ चौबे ब्यूरो चीफ कृषि जागरण बलिया, उत्तर प्रदेश
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