1. Home
  2. खेती-बाड़ी

कृषि क्षेत्र में प्लास्टिक मल्च की उपयोगिता

खेती के लिए विशेषकर सब्जियवर्गीय फसलों जैसे- मिर्च, बैंगन, गोभी, टमाटर, आलू, कद्दूवर्गीय फसल, खीरा आदि में मल्च की उपयोगिता साबित हो चुकी है. खेत में लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक शीट (फिल्म) द्वारा अच्छी तरह ढक दिया जाता है, तो इस विधि को प्लास्टिक मल्चिंग कहा जाता है. इस तरह पौधों की सुरक्षा होती है औऱ फसल उत्पादन भी बढ़ता है.

हेमन्त वर्मा
mulch

खेती के लिए विशेषकर सब्जियवर्गीय फसलों जैसे- मिर्च, बैंगन, गोभी, टमाटर, आलू, कद्दूवर्गीय फसल, खीरा आदि में मल्च की उपयोगिता साबित हो चुकी है. खेत में लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक शीट (फिल्म) द्वारा अच्छी तरह ढक दिया जाता है, तो इस विधि को प्लास्टिक मल्चिंग कहा जाता है. इस तरह पौधों की सुरक्षा होती है औऱ फसल उत्पादन भी बढ़ता है.  

मल्चिंग का अर्थ उस प्रक्रिया से है जिसमें पौधों के चारो ओर की जमीन को सुव्यवस्थित रूप से ढक दिया जाता है. यह मल्चिंग दो प्रकार की होती है. पहली-प्राकृतिक मल्चिंग (पुआल, भूसा, सूखी घास, गन्ने की पत्तियों, फसल अवशेष) का प्रयोग कर तथा दूसरी प्रकार से प्लास्टिक मल्चिंग के द्वारा (पोलिथीन शीट). इन दोनों तरीके को फसल के पास की जमीन को ढक दिया जाता है और उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है.

mulch

मल्चिंग की उपयोगिता

  • वर्षा की बुँदे गिरने या फवारा विधि द्वारा पानी देने से जमीन की मिट्टी पौधों की पत्तियों पर लग जाती है जिससे फंगस रोग की संभावना बढ़ जाती है. किन्तु मल्च के में पौधो की पत्तियाँ प्लास्टिक शीट पर ही स्पर्श होती है.

  • फसल के बीच निराई गुड़ाई और खरपतवार प्रबंधन करने की आवश्यकता खत्म हो जाती है, क्योंकि पानी सीमित क्षेत्र में ही जाता है और खरपतवारों को नहीं मिल पाता अतः मल्चिंग से किसान का समय और लगने वाली मजदूरी में भी कमी आती है.

  • मल्च मिट्टी को फल और पत्तियों के संपर्क में आने से रोकता है, जिससे फलों की सड़न और फंगस की बीमारी कम होती है.

  • पानी और हवा के द्वारा मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है.

  • कीट व रोग कम आने से कीटनाशी में लगने वाला अतिरिक्त खर्चे से मुक्ति हो जाती है.

  • मल्च पौधे के पास की जमीन को ढक देता है इसलिए वाष्पोत्सर्जन बहुत ही कम हो पाता है अतः पानी का अधिकतम उपयोग पौधे द्वारा किया जाता है.

  • मल्च से जमीन के अन्दर का ताप नियंत्रित रहता है और पौधे की नई जड़ों को विकसित करता है, जिसका सीधा सम्बंध पौधे की बढ़वार और उपज से है.

  • मल्चिंग शीट और बूंद बूंद सिंचाई के माध्यम से सिंचाई जल के साथ पोषक तत्व और कीटनाशक भी जमीन से दिया जा सकता है. 

मल्चिंग की तकनीक

  • मल्चिंग करने से पहले खेत को खरपतवार मुक्त और पत्थर मुक्त कर लेना चाहिए.

  • खेत को अच्छी तरह से जोत कर हल्का पानी दे देना चाहिए.

  • पौधे की बढ़वार को ध्यान में रखते हुये मल्च शीट (फिल्म) का चुनाव करना चाहिए. बाजार में 1 से 3 मीटर चौड़ाई की शीट आसानी से मिल जाती है, जिनकी लम्बाई 400 मीटर तक होती है.

  • बूद बूंद (ड्रीप) सिंचाई की पाइप को मल्च से पहले ही बिछा देना चाहिए.

  • मल्च शीट को किनारों से कम से कम 4-6 इंच जमीन के नीचे गाढ़ देना चाहिए ताकि मल्च के अन्दर से पानी उत्सर्जन न हो और हवा से मल्च शीट न फटे.

  • अलग अलग फसलों में अलग अलग प्रकार की माइक्रोन मल्च शीट का उपयोग किया जाता है, जैसे सब्जीवर्गीय फसलों के लिए 25 माइक्रोन, दो वर्षीय फसल जैसे केला, पपीता के लिए 50 माइक्रोन और बहुवर्षीय फसलों के लिए 100 माइक्रोन का उपयोग किया जाता है.

  • 25 माइक्रोन मोटाई, 25 मीटर चौड़ाई और 400 मीटर लम्बाई की मल्च शीट मूल्य 1400 से 1700 रुपये के बीच है.

  • असली मल्च शीट खिचने पर ज्यादा खिची जा सकती है और इसका रंग भी हल्का नहीं पड़ता, इसके विपरीत दुबारा तैयार की गई या घटिया गुणवत्ता की शीट थोड़ा सा खिचने पर ही टूट जाती है. अतः किसान को खरीदते समय इसकी गुणवत्ता पर भी ध्यान देना चाहिए.

English Summary: Importance of Plastic Mulch in agriculture Published on: 04 November 2020, 05:39 PM IST

Like this article?

Hey! I am हेमन्त वर्मा. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News