देश में चावल उत्पादक किसान आज पानी की समस्या से जुझ रहे हैं. किसानों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (IIRR ) ने धान की ऐसी किस्में विकसित की है, जिनकी खेती कम पानी में भी की जा सकती है. ऐसा माना जा रहा है धान की यह नई किस्में किसानों के लिए वरदान साबित होगी. आईआईआरआर के निदेशक का कहना है कि संस्थान ने चावल की चार नई किस्में विकसित की है जो इसके उत्पादन को स्थिर करने में मददगार साबित होगी. वहीं यह किस्में विभिन्न संक्रमण व जीवाणुरोग प्रतिरोधक है.
आइए जानते हैं चावल की इन किस्मों के बारे में-
आईआईआरआर द्वारा विकसित की गई चावल की ये किस्में हैं-डीआरआर धन 53, डीआरआर धन 54, डीआरआर धन-55 तथा डीआरआर धन 56.
डीआरआर धन 53 (DRR Dhan 53 )- चावल की यह किस्म उत्पादन को कम करने वाली गंभीर बीमारीओरिजे रोग प्रतिरोधक है, जिससे उत्पादन अच्छा मिलेगा. 130 से 135 दिनों में पकने वाली इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 5.50 टन उत्पादन लिया जा सकेगा. महीन दाने वाली यह किस्म बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी है. इस किस्म के लिए अनुशंसित राज्य कनार्टक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, गुजरात, तमिलनाडु तथा बिहार हैं.
डीआरआर धन 54 तथा 55 (DRR Dhan 54& DRR Dhan 55 )- आज हरियाणा समेत कई राज्यों के चावल किसान पानी की समस्या के कारण इसकी खेती छोड़ रहे हैं. वहीं हरियाणा में तो सरकार किसानों को चावल की जगह वैकल्पिक खेती करने के लिए प्रेरित कर रही है. ऐसे में इन क्षेत्रों के किसानों के लिए यह दोनों किस्में वरदान साबित हो सकती है. जल सीमित क्षेत्रों के लिए इन किस्मों को ईजाद किया गया है. वहीं ये किस्में गॉल मिज, लीफ ब्लास्ट, नेक ब्लास्ट, राइस थ्रिप्स, प्लॉट हॉपर तथा स्टेम बोरर जैसे रोगों के लिए मध्यम प्रतिरोधी है. हरियाणा के अलावा ये किस्में बिहार, ओडिशा, झारखंड, तेलंगाना और गुजरात राज्य के लिए अनुशंसित है.
डीआरआर धन 56 (DRR Dhan 56 )-इस किस्म को हैदराबाद एवं फिलीपिंस स्थित भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान ने संयुक्त रूप से विकसित किया है. डीआरआर धन 56 किस्म चावल की हुआंग-हुआ-झान तथा फाल्गुनन की क्रास ब्रीड किस्म है. यह किस्म लीफ ब्लास्ट व फाॅल्स स्मट प्रतिरोधी है. वहीं बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट रोग के लिए मध्यम प्रतिरोधी है. हरियाणा और पंजाब राज्य के लिए यह किस्म अनुशंसित है.
आईआईआरआर द्वारा विकसित राइस की अन्य किस्में
इससे पहले भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान द्वारा राइस की कई उन्नत किस्में विकसित की जा चुकी है, इनमें पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1121, पूसा बासमती 1637, पूसा बासमती 1718 आदि है. इन किस्मों के निर्यात से भारत ने साल 2018-19 में 32800 करोड़ रूपए की विदेशी करेंसी अर्जित की थी.
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