मक्का को मुख्य खरीफ फसल माना जाता है. इसकी खेती दाने, भुट्टे और हरे चारे के लिए होती है. लेकिन किसानों के लिए मक्का फसल में सबसे बड़ी परेशानी फसल में लगने वाली कीट व रोगों की होती है. देखा जाए तो मक्का फसल में फॉल आर्मीवर्म कीट सबसे अधिक लगते हैं. अगर मक्का की फसल में एक बार यह कीट लग जाता हैं, तो यह पूरी फसल को खराब कर देता है, जिसके चलते किसानों को काफी नुकसान पहुंचता है.
किसानों की इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए बिहार कृषि विभाग ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर मक्का फसल में फॉल आर्मीवर्म कीट की पहचान एवं प्रबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है. ऐसे में आइए इसके बारे में जानते हैं-
मक्का फसल में फॉल आर्मीवर्म कीट की पहचान
फॉल आर्मीवर्म कीट के लार्वा हरे, जैतून, हल्के गुलाबी या भूरे रंगों में दिखाई देते हैं तथा प्रत्येक उदर खंड में चार काले धब्बों और पीठ के नीचे तीन पैटर्न और उदर खंड नौ पर समलम्बाकार (ट्रेपीजॉयड) आकार में व्यवस्थित होते हैं. सिर पर आँखों के बीच में अंग्रेजी भाषा के उल्टा Y आकार की एक सफेद रंग की संरचना बनी होती है. बता दें कि फॉल आर्मीवर्म कीट के वयस्क पतंगे एक दिन में लगभग 100 किलोमीटर से भी अधिक उड़ सकते हैं.
फॉल आर्मी वर्म कीट को रोकने के उपाय
फॉल आर्मी वर्म कीट नियंत्रण हेतु प्रति हेक्टेयर 10 फेरोमोन फंदा का प्रयोग करें. फॉल आर्मीवर्म कीट की पहचान एवं लार्वा की तीसरी और चौथी इंस्टार के द्वारा नुकसान होने पर नियंत्रण हेतु निम्नलिखित रासायनिक कीटनाशकों के छिड़काव की आवश्यकता होती है :-
#मक्का फसल में फॉल आर्मी कीट की पहचान एवम प्रबंधन। @SAgarwal_IAS @dralokghosh @abhitwittt @BametiBihar @IPRD_Bihar pic.twitter.com/7ivCbuBqCB
— Agriculture Department, Govt. of Bihar (@Agribih) January 31, 2024
-
स्पिनेटोरम 11.7% एस०सी० @0.5 मिली०/ लीटर पानी
-
क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस०सी० @ 0.4 मिली० / लीटर पानी
-
थियामेथॉक्सम 12.6%+लैम्बडा साइहैलोथ्रीन 9.5% जेड सी @ 0.25 मिली० / लीटर पानी
-
इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस०जी० @ 0.4 ग्राम / लीटर पानी
ये भी पढ़ें: मक्का की खेती की संपूर्ण जानकारी, किसान कमा सकते हैं भारी मुनाफा
पांचवें एवं छठे इंस्टार लार्वा बड़े पैमाने पर पत्तियों को खाकर नष्ट करते हैं और बड़ी मात्रा में मल पदार्थ का उत्सर्जन करते हैं . इस स्तर पर केवल विशेष चारा (फँसाने हेतु जहरीला पदार्थ चुग्गा) ही एक प्रभावी उपाय है. इसके लिए 2-3 लीटर पानी में 10 किलोग्राम चावल की भूसी और 2 किलोग्राम गुड़ मिलायें और मिश्रण को 24 घंटे तक (किण्वन) के लिए रखें. खेतों में प्रयोग करने से ठीक आधे घंटे पहले 100 ग्राम थार्थोडिकार्ब 75% WP मिलाएं और 0.5-1 से०मी० व्यास के आकार की गोलियां तैयार करें . इस तरह तैयार किए गए विशेष जहरीले पदार्थ चुग्गा को शाम के समय पौधे की गम्भा (Whorl) में डालना चाहिए. यह मिश्रण एक एकड़ क्षेत्र के लिए पर्याप्त होता है.
Share your comments