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सूखाग्रस्त क्षेत्रों में वरदान बनी हाइड्रोजेल, अब ऐसे होगी बिना पानी के खेती

हमारा देश कहने को कृषि प्रधान देश है पर इसी कृषि को करने के लिए किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिनमें सबसे बड़ी परेशानी है पानी की कमी की जो समय के साथ बढ़ती जा रही है. जिस कारण किसानों को भविष्य में खेती करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है. इस वजह से भूखमरी, गरीबी के आंकड़ों में भी वृद्धि हो रही है.क्योंकि बिना पानी के खेती करना संभव नहीं है. किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए उन्हें इस समस्या से निजात दिलाने के लिए आईसीएआर (ICAR) द्वारा एक हाइड्रोजेल (Hydrogel) तैयार की गई है जोकि सूखाग्रस्त इलाकों में बिना पानी के खेती करने में काफी मददगार साबित हो रही है.

मनीशा शर्मा

हमारा देश कहने को कृषि प्रधान देश है पर इसी कृषि को करने के लिए किसानों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिनमें सबसे बड़ी परेशानी है पानी की कमी की जो समय के साथ बढ़ती जा रही है. जिस कारण किसानों को भविष्य में खेती करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है. इस वजह से भूखमरी, गरीबी के आंकड़ों में भी वृद्धि हो रही है.क्योंकि बिना पानी के खेती करना संभव नहीं है. किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए उन्हें इस समस्या से निजात दिलाने के लिए आईसीएआर (ICAR) द्वारा एक हाइड्रोजेल (Hydrogel)  तैयार की गई है जोकि सूखाग्रस्त इलाकों में बिना पानी के खेती करने में काफी मददगार साबित हो रही है.

इस हाइड्रोजेल का प्रयोग ऐसी जगहों पर किया जाता है जिन क्षेत्रों में पानी की कमी होती है या फिर जहां फसलों की सिंचाई के लिए उपलब्ध साधन नहीं मिल पाते है. क्योंकि फसलों में पानी देने के लिए किसानों को पानी खरीदना पड़ता है और जिस वजह लागत भी बहुत ज्यादा लगती है. ऐसे में यह हाइड्रोजेल पानी की कमी वाले क्षेत्रों में किसानों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद है.

बता दें कि हाइड्रोजेल एक प्रकार की जेल है जिसमें पानी में मिलते ही ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पानी को अपने अंदर तक सोख लेने की अद्भुत शक्ति होती है. यह पौधों की जड़ों के पास रहती है क्योंकि पौधों की जड़ों में ही पानी की सबसे ज्यादा कमी पाई जाती है. इसका इस्तेमाल आप अपनी फसलों में 3 से 4 बार आसानी से कर सकते है. इससे आपके खेतों को किसी भी प्रकार की कोई क्षति नहीं पहुंचती. आपको 1 एकड़ खेत में 2 से 3 किलोग्राम हाइड्रोजेल की आवश्यकता पड़ती है. यह जेल 40 से 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी खराब नहीं होती है. इसके द्वारा किसान आसानी से बिना किसी डर से खेती कर सकते है.

जो किसान इस हाइड्रोजेल को मंगवाना चाहते है वे सीधा कृषि विज्ञान केंद्र (Agricultural Science Center) या फिर कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा (Agricultural Research Council, Pusa) से भी सम्पर्क कर सकते हैं.

English Summary: Hydrogel became a boon in drought-hit areas, now it will be cultivated without water Published on: 07 April 2020, 05:37 PM IST

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