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Microgreen farming: घर में आसानी से करें इस फसल की खेती, मिलेंगे कई फायदे

देशभर में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है. सभी लोग अपने-अपने घरों में कैद हैं. किसान भी खेती संबंधी काम ही कर पा रहे हैं. इस बीच कृषि वैज्ञानिकों ने माइक्रोग्रीन्स की खेती करने का मंत्र साझा किया है. खास बात है कि माइक्रोग्रीन्स की खेती घर में आराम से की जा सकती है. इसकी फसल 1 से 2 सप्ताह में तैयार हो जाती है. यह सफल खेती गांव या शहरी घरों के सीमित जगह में हो सकती है, जो कि शारीरिक और मानसिक, दोनों के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है.

कंचन मौर्य

देशभर में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है. सभी लोग अपने-अपने घरों में कैद हैं. किसान भी खेती संबंधी काम ही कर पा रहे हैं. इस बीच कृषि वैज्ञानिकों ने माइक्रोग्रीन्स की खेती करने का मंत्र साझा किया है. खास बात है कि माइक्रोग्रीन्स की खेती घर में आराम से की जा सकती है. इसकी फसल 1 से 2 सप्ताह में तैयार हो जाती है. यह सफल खेती गांव या शहरी घरों के सीमित जगह में हो सकती है, जो कि शारीरिक और मानसिक, दोनों के लिए बहुत अच्छी मानी जाती है.

इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च के मुताबिक...

घरों में माइक्रोग्रीन्स उगाना बहुत आसान है. इसमें करीब 1 से 2 सप्ताह का समय लगता है. इस वक्त यानी लॉकडाउन के समय इसकी खेती कर सकते हैं. इसको उगाने में मेहनत भी कम लगती है. आप समय-समय पर इसको उगा सकते हैं.

माइक्रोग्रीन्स की खेती

आप सालभर माइक्रोग्रीन्स का उत्पादन कर सकते हैं. इसके लिए सूर्य की रोशनी मिलना जरूरी होता है. इससे आपको विटामिन समेत कई पोषक तत्व मिलते हैं. इसको बायोएक्टिव कंपाउंड्स के खजाने की तरह माना जाता है. इसके साथ ही माइक्रोग्रीन्स सूपर फूड की श्रेणी में भी आता है. इसको उगाने के लिए सबसे पहले 3 से 4 इंच मिट्टी की परत वाले किसी भी डब्बे की जरूरत पड़ती है. आप इसकी जगह किसी ट्रे का उपयोग भी कर सकते हैं. इसके बाद मिट्टी की सतह पर बीज को फैला दें. अब मिट्टी में अच्छी तरह माइक्रोग्रीन्स के बीजों को अंकुरित कर दें.

ध्यान दें कि मिट्टी में नमी बनी रहे. इस तरह 2 से 3 दिन में बीज अंकुरित होने लगते हैं. इसको धूप वाली जगह में रख दें. इसके साथ ही 2 से 3 बार पानी का छिड़काव भी करते रहें. इस तरह 1 से 2 सप्ताह में माइक्रोग्रीन्स तैयार हो जाएगा. इसको कैंची से काटकर खाने में उपयोग किया जा सकता है. इससे पहले फसल को काटकर धूप में फैला दें, ताकि उसमें पाए जाने वाले रोग जनक सूक्ष्म जीव मर जाएं. खास बात है कि इसकी खेती बिना मिट्टी के भी हो सकती है. कई लोग इसकी खेती पानी में भी करते हैं.

तने, पत्तियों एवं बीज-पत्र का उपयोग किया जाता है, जड़ों का नहीं

सभी घरों में चना, मूंग और मसूर को अंकुरित करके खाया जाता है, लेकिन माइक्रोग्रीन्स इनसे थोड़ा अलग है. आमतौर पर हम जड़, तना और बीज को खाने में इस्तेमाल करते हैं. मगर माइक्रोग्रीन्स  में तने, पत्तियों और बीज-पत्र का इस्तेमाल होता है. यानी इसकी जड़ों को नहीं खाया जाता है.

माइक्रोग्रीन्स भोजन को बनाता है पौष्टिक और स्वादिष्ट

इसको बहुत आसानी और कम समय में तैयार किया जा सकता है, क्योंकि इसमें मूली और सरसों जैसी सामान्य सब्जियों के बीज का इस्तेमाल होता है. आप घर में माइक्रोग्रीन्स  को उगाकर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बना सकते हैं.

आपको बता दें कि माइक्रोग्रीन्स को उगाना बहुत आसान है. इसकी खेती बहुत आनंददायक होती है. आप कम खर्च, समय और मेहनत में इसकी खेती कर सकते हैं. गांव और शहरों के लोगों के लिए इसकी खेती करना बहुत अच्छा विकल्प है. इसकी खेती का मुख्य उद्देश्य है कि इससे आपको शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है. यह बच्चों के लिए भी बहुत रोचक खेल है. इसका उपयोग पिज़्ज़ा में भी होता है. लॉकडाउन की स्थिति में माइक्रोग्रीन्स उगाना बहुत आनंदमय होगा.

ये खबर भी पढ़ें: किसान इस तारीख़ तक कर लें मूंग की बुवाई, जानें दलहनी वैज्ञानिकों ने क्यों दिया ये सुझाव

English Summary: microgreen cultivation in lockdown will have many benefits Published on: 07 April 2020, 06:02 PM IST

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