Pest management:देश में जायद की फसल का समय चल रहा है. गर्मी में खाई जाने वाली सब्जियां जायद के सीजन में ही उगाई जाती हैं. इस समय किसान तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी, लौकी, तोरई की नर्सरी तैयार करते हैं. मार्च के अंत तक फसलों की बुवाई हो जाती है जिसके बाद अप्रैल महीने से इन फसलों की पैदावार किसानों को मिलने लगती है. जायद के सीजन में किसानों को अपनी फसलों को कीड़ों से बचाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है क्योंकि इन दिनों फंगस से लेकर फसल पर अलग-अलग तरह के कीटों का आक्रमण होता है. आइये आपको कीड़ों से बचने के तरीकों के बारे में बताते हैं.
मिट्टी की तैयारी
भूमि को तैयार करते समय ट्राइकोडरमा और नीम के तेल को मिलाना चाहिए. इसके लिए ढाई किलोग्राम ट्राइकोडरमा को 70 किलो गोबर की खाद में मिलाकर एक एकड़ जमीन में छिड़काव किया जा सकता है. जमीन में नीम की खली को भी मिला लें, जो दीमक रोधी का काम करती है. किसानों को जमीन तैयार करते समय इसमें कार्बैंडाजोल भी मिला लेना चाहिए. फिर इस मिट्टी में ही पौधों की नर्सरी की बुवाई करनी चाहिए, जिससे पौधों में लगने वाली कई बीमारियों से बचाव किया जा सकता है.
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कीटों से बचाव
जायद की फसल के अंतर्गत आने वाली सब्जियों के पौधों पर कई तरह के कीट का संक्रमण होता है. कीट सबसे पहले पौधों की मुलायम पत्तियों को अपना निशाना बनाते हैं. चूसक कीट पत्तियों के रस को चूस लेते हैं जिससे पौधे सूखने लगते हैं. वही एक दूसरा कीट जिसे रेड पंपकिन बीटल कीट कहते हैं, वह सबसे ज्यादा हानिकारक होता है. यह कीट पत्ती को काटता हुआ चलता है. कीट से बचाव के लिए किसानों को बायोपेस्टिसाइड के रूप में नीम के तेल का छिड़काव करना चाहिए. किसान को 10 से 15 एमएल नीम के तेल को एक लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करना चाहिए. इसके बाद भी अगर कीट नियंत्रण न हो तो मेलाथियान का प्रयोग किया जा सकता है.
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