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जौ की उन्नत खेती एवं कीट प्रबंधन की सम्पूर्ण जानकारी के लिए पढ़ें यह लेख

जौ (Barley) में पोषक तत्वों की बात करें, तो यह पोषक तत्वों का भंडार है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैंगनीज़, विटामिन, कैल्शियम समेत महत्वपूर्ण पोषक तत्व शामिल हैं, जो मानव शरीर और उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक साबित होते हैं. इसके ‌‌सेवन के फायदे भी कम नहीं हैं. इसमें तमाम बीमारियों में लड़ने की क्षमता होती है. समय के साथ किसानों ने एक तरफ जहाँ इसकी खेती करनी छोड़ दी, तो वहीँ इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है.

प्राची वत्स
जौ की फसल में प्रमुख हानिकारक कीट
जौ की फसल में प्रमुख हानिकारक कीट

भारत में हर साल लगभग सभी तरह का अनाज किसानों द्वारा उपजाया जाता है. गेहूं, चावल, बाजरा, दाल, मक्का और ना जानें कितने ही अनगिनत अनाज की खेती होती है. जो ना सिर्फ भारत बल्कि विदेशी लोगों के लिए भी भोजन का एक खास हिस्सा है.

ऐसा ही ही एक अनाज जौ (barley) है. आपको बता दें कि जौ की खेती (jau ki kheti) हमारे देश में प्राचीन काल से की जाती रही है. ऐसे आज हम जौ की खेती की बात करेंगे.

  • जौ के फ़ायदे

  • जौ की उन्नत खेती

  • जौ में किट प्रबंधन

जौ (Barley) में पोषक तत्वों की बात करें, तो यह पोषक तत्वों का भंडार है. इसमें प्रोटीन, फाइबर, आयरन, मैंगनीज़, विटामिन, कैल्शियम समेत  महत्वपूर्ण पोषक तत्व शामिल हैं, जो मानव शरीर और उनके स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक साबित होते हैं. इसके ‌‌सेवन के फायदे भी कम नहीं हैं. इसमें तमाम बीमारियों में लड़ने की क्षमता होती है. समय के साथ किसानों ने एक तरफ जहाँ इसकी खेती करनी छोड़ दी, तो वहीँ इसकी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके फायदे को देखते हुए अब लोगों की भी मांग बढ़ने लगी है. जिसके लिए अनुसंधान केंद्र  हर साल ज्यादा उपज देने वाली किस्में तैयार कर रही है. जिससे हमारे किसान लाभान्वित हो रहे हैं, जौ के बीज पर छिलका होता है, जो उसके उपयोग में बाधा डालता है, लेकिन अब छिलका रहित किस्में जैसे- करण- 16, 19, 521, एन डी बी- 10, गीतांजलि उपलब्ध होने के कारण उसे भोजन में उपयोग करना सरल हो गया हैं.

उपज की बात करें, तो किसान जौ की कीटों रोकथाम करके भी उपज बढ़ा सकते हैं. आज हम आपको बताएँगे कि कैसे किसान भाई जौ के फसल में कीट प्रबंधन कर सकते हैं.

जौ की फसल में प्रमुख हानिकारक कीट और उसकी रोकथाम

माहू कीट 

लक्षण:-

जौ में माहू कीट पूरी पत्ती पर पाया जाता है. इसके मल के कारण पत्ती पर चिपचिपाहट पैदा होती है और  माहू अपने मुँह का उपयोग करके पत्तियों से रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देता है. जिस वजह से पत्तियों झुलसकर सूखने लगती हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं. इसके कारण जौ के उत्पादन पर भारी असर पड़ता है. किसान जितनी देर से बुवाई करता है, माहू का प्रकोप उतना ज्यादा होता है.

रोकथाम:-

  • अगर जौ की बुवाई समय पर हो जाये, तो इस कीट का प्रकोप काफी औसत में कम हो जाता है.

  • यदि शुरू में कीट जौ के क्षेत्र में दिखने लगे, तो उन पत्तियों को तोड़कर जला देना चाहिये, ताकि उनका फैलाव दूसरे पौधों पर ना हो.

  • नाइट्रोजन खादों के अधिक उपयोग के कारण माहू का प्रकोप बढ़ जाता है. इसलिए किसान को नत्रजन खादों का प्रयोग जरुरत से ज्यादा नहीं करना चाहिये.

  • अगर लेडी बग बीटल जैसे परभक्षी मित्र कीट पौधों पर दिखने लगे, तो हमें नीम अर्क, 5 प्रतिशत यानी 10 लीटर पानी में 500 मिलीलीटर अर्क का इस्तेमाल करना चाहिए.

  • यदि माहू की संख्या एक पत्तों पर 50 से ज्यादा पाई जाती है, तो मैलाथियान 50 ई सी का या डाईमेथोएट 30 ई सी या मेटासिस्टॉक्स 25 ई सी का 15 से 20 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.

दीमक

लक्षण:-

इसके प्रकोप से जौ के पौधे सूखने लगते हैं और हाथ से खिचने के बाद जड़ से निकल जाता है. इसका प्रकोप फसल की सम्पूर्ण अवस्थाओं में पाया जाता है. यह जमीन में रहकर जड़ को खा जाता है, जिसके कारण जौ के पौधे सुखकर मर जाते हैं.

रोकथाम:-

  • हमेशा सड़ी जैविक खाद का ही खेत में उपयोग करें.

  • बीज को बुवाई से 2 से 3 दिन पूर्व इमिडाक्लोरोप्रीड 70 डब्ल्यू एस 1 प्रतिशत प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचारित करना चाहिये.

  • आवश्यकता होने पर क्लोरोपायरीफॉस 20 ई सी, 3.5 लीटर प्रति हेक्टर इस्तेमाल करना चाहिये.

  • खेत के 80 मीटर दायरे में यदि इसकी वांबी (vain) हो, तो उसे ढूंढ कर समूल नष्ट कर देना चाहिये.

  • चीटियाँ या लाल चीटें इनके स्वाभाविक दुश्मन होते हैं, इनको गुड़, चीनी या अन्य किसी माध्यम से इनकी वॉबी तक पहुँचाकर इनको भी नष्ट कर दें.

सैनिक कीट

लक्षण:-

यह भी एक हानिकारक कीट है, इसकी लम्बाई लगभग 4 सेंटीमीटर तक होती है. उसकी नवजात सूडी शुरू में पौधे के मध्य वाली कोमल पत्तियों को खाती हैं. जैसे-जैसे सूडी प्रौढ़ होने लगती है, वैसे-वैसे इसका रंग भूरा होने लगता है. यह कीट शाम के समय पौधों पर पत्तियाँ खाते दिखता है.

रोकथाम:-

  • फसल की बुवाई से पूर्व खेत में से कीट लगे फसल के अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिये.

  • फसल में से खरपतवार निकालकर नष्ट करने से भी इस कीट का प्रकोप कम हो जाता है.

  • इस कीट का ज्यादा प्रकोप होने पर डाइमेथोएट 30 ई सी 15 से 20 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिये.

English Summary: How to Improved cultivation and pest management of barley Published on: 08 February 2022, 12:12 PM IST

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