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Fish-Rice Farming: धान की खेती और मछली पालन करें एक साथ, होगा डबल मुनाफा!

इस तकनीक के तहत धान की फसल में जमा पानी में मछली पालन किया जाता है. अगर किसान चाहते हैं, तो धान से पहले ही मछली का कल्चर तैयार कर सकते हैं. इसके अलावा मछली कल्चर खरीद भी सकते हैं. किसानों को इस तरह 1.5 से 1.7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति सीज़न के हिसाब से मछली की उपज मिल सकती है. ध्यान रहे कि इस तरीके से मछलियों का उत्पादन खेती, प्रजाति और उसके प्रबंधन पर निर्भर करता है.

कंचन मौर्य
Fish-Rice Farming
Fish-Rice Farming

अगर आप किसान हैं और धान की खेती (Paddy Farming) कर रहे हैं, तो आपको डबल मुनाफ कमाने का एक शानदार मौका मिल सकता है. दरअसल, एक खास तकनीक हैं, जिसकी मदद से आप धान की खेती और मछली पालन एक साथ कर सकते हैं.

इस खास तरह की खेती को फिश-राइस फार्मिंग (Fish-Rice Farming) कहा जाता है. इस तरह धान की खेती के साथ-साथ मछली पालन का भी काम हो जाएगा. इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी, क्योंकि उन्हें धान के दाम मिलेंगे ही, साथ ही उन्हें मछली बिक्री से भी लाभ मिलेगा. सबसे अच्छी बात यह है कि धान की खेत में मछली पालन करने से फसल की पैदावार अच्छी होगी. बता दें कि फिश-राइस फार्मिंग (Fish-Rice Farming) चीन, बांग्लादेश, मलेशिया, कोरिया, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, थाईलैंड में हो रही है. इसके साथ ही भारत में कई इलाकों में फिश-राइस फार्मिंग की मदद से किसान दोगुनी आमदनी कर रहे हैं. ऐसे में आइये आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं.

सबसे अच्छी बात यह है कि धान की खेत में मछली पालन करने से फसल की पैदावार अच्छी होगी. बता दें कि फिश-राइस फार्मिंग (Fish-Rice Farming) चीन, बांग्लादेश, मलेशिया, कोरिया, इंडोनेशिया, फिलिपिंस, थाईलैंड में हो रही है. इसके साथ ही भारत में कई इलाकों में फिश-राइस फार्मिंग की मदद से किसान दोगुनी आमदनी कर रहे हैं. ऐसे में आइये आज हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देते हैं.

क्या है फिश-राइस फार्मिंग? (What is Fish-Rice Farming?)

इस तकनीक के तहत धान की फसल में जमा पानी में मछली पालन किया जाता है. अगर किसान चाहते हैं, तो धान से पहले ही मछली का कल्चर तैयार कर सकते हैं. इसके अलावा मछली कल्चर खरीद भी सकते हैं. किसानों को इस तरह 1.5 से 1.7 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति सीज़न के हिसाब से मछली की उपज मिल सकती है. ध्यान रहे कि इस तरीके से मछलियों का उत्पादन खेती, प्रजाति और उसके प्रबंधन पर निर्भर करता है.

क्यों बेहतर है फिश-राइस फार्मिंग? (Why Fish-Rice Farming is Better?)

खेती की इस तकनीक में एक ही खेत में मछली व दूसरे जलजीवों को एक साथ रखा जाता है. इससे धान के उत्पादन पर किसी तरह का असर नहीं पड़ता है, बल्कि खेत में मछली पालन से धान के पौधों में लगने वाली कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है.

किस तरह का खेत है बेहतर (What kind of Farm is Better)

अगर आप फिश-राइस फार्मिंग (Fish-Rice Farming) करना चाहते हैं, तो इसके लिए निचली ज़मीन वाले खेत का चुनाव करें. इस तरह के खेत में काफी आसनी से पानी इकट्ठा हो जाता है. इसके साथ ही खेत को तैयार करते समय जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए.

यह खबर भी पढ़ें : Black Jeera की खेती से मिला 400 क्विंटल से अधिक उत्पादन, जैविक तरीके से उपजाई बासमती धान की कई किस्में

इस तरह की खेती के क्या फायदे हैं? (What are the Advantages of this type of Farming?)

  • मिट्टी की सेहत अच्छी रहती है.

  • फसल का उत्पादन बढ़ती है.

  • प्रति यूनिट एरिया पर कमाई अच्छी होती है.

  • उत्पादन में खर्च कम होता है.

  • फार्म इनपुट की कम जरूरत पड़ती है.

  • किसानों की आमदनी बढ़ती है.

  • केमिकल उर्वरक पर कम खर्च होता है.

English Summary: how to do fish-rice farming Published on: 17 June 2021, 01:55 PM IST

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