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ककोड़ा की खेती कैसे करें? यहां जानिए उन्नत किस्में और बुवाई का तरीका

ककोड़ा की खेती किसानों के लिए एक अच्छी खासी कमाई करने का जरिया हो सकती है, क्योंकि इसे लगाने में कम लागत आती है, इसलिए आज के इस लेख में हम ककोड़ा की खेती के बारे में विस्तार से बात करने जा रहे हैं...

देवेश शर्मा

अब भारत पूरी तरह से तकनीक पर निर्भर हो रहा है. इस समय में दुनिया के हर क्षेत्र में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं, इसलिए खेती-किसानी के स्तर पर  भी परंपरागत खेती करने की वजाय नई चीजों की खेती को किया जाना एक बेहतर विकल्प होगा, जिसमें ककोड़ा की खेती हमारे सामने एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरकर आती है.

आपको बता दें कि ककोड़ा की खेती से किसान अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं और वर्तमान समय में यूपी के कई किसान इसकी खेती करके अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन अभी ककोड़ा की खेती देश के कुछ ही राज्यों में की जाती है. यदि इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाए, तो इससे अच्छा खासा मुनाफ़ा हो सकता है.

ककोड़ा खेती करने की सम्पूर्ण जानकारी कुछ इस प्रकार है:

ककोड़ा की खेती करने के लाभ

ककोड़ा एक बहुवर्षीय खेती है. इसका उपयोग सब्जी और अचार बनाने के रूप में किया जाता है. ककोड़ा की एक बार बुवाई करने के बाद इसका पौधा लगभग 8 से 10 सालों तक फल देता रहता है. इसके फलों में कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं. इसका सेवन करने से कफ़, खांसी, दिल में होने वाले दर्द से राहत मिलती है.

ककोड़ा की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु व मिट्टी

ककोड़ा की खेती करने के लिए नमी वाले मौसम की जरुरत होती है और साथ ही लगभग 1500-2500 मिली बारिश होनी चाहिए. इसके पौधों के लिए सही तरीके से ग्रोथ करने के लिए 20 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त रहता है. वहीं अगर उपयुक्त भूमि की बात करें, तो इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है, लेकिन जैविक पदार्थों से युक्त रेतीली भूमि काफी उपयुक्त रहती है.

ककोड़ा की खेती करने के लिए उन्नत किस्में

ककोड़ा की खेती के लिए कई प्रकार की उन्नत किस्में तैयार की गईं हैं, जिसमें इंदिरा कंकोड़-1, अम्बिका-12-1, अम्बिका-12-2, अम्बिका-12-3 जसी कई किस्में हैं.

ककोड़ा की खेती की तैयारी करने के गुण

ककोड़ा की खेती करने से सबसे पहले किसी भी अन्य फसल की तरह खेत की जुताई करनी होती है और पुराने फसल अवशेषों को नष्ट करना होता है. इसके बाद खेत को नम करने के लिए पानी छोड़ दें और पानी सूख जाने पर दो से तीन तिरछी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें. इसके बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर दें.

सबसे अंत में समतल खेत में पौध रोपाई के लिए गड्डे तैयार किए जाते हैं और उसमें बीजों को बोया जाता है. 

खाद की मात्रा इतनी होनी चाहिए

किसी भी खेत में बुवाई से पहले खाद की मात्रा का ध्यान रखना बड़ा जरुरी होता है. ऐसे ही ककोड़ा की बुवाई के पहले भी खाद डालना जरुरी होता है. ककोड़ा की बुवाई से पहले अंतिम जुताई के समय 200 से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिला देनी चाहिए. इसके अलावा 65 किग्रा. यूरिया, 375 किग्रा. एसएसपी तथा 67 किग्रा. एमओपी प्रति हेक्टेयर देना चाहिए.

ककोड़ा में कीट प्रबंधन करने का तरीका

ककोड़ा की फसल में लगने वाले कीटों और रोगों के बारे में बात की जाये, तो इसकी फसल में बहुत कम रोग लगते हैं, लेकिन मक्खी इसे ज़्यादा नुकसान पहुंचती है, इसलिए 1 लीटर पानी में 2-3 मिली लीटर इमिडाक्लोप्रिड या क्विनालफॉस को मिला कर छिडक़ाव करना जरुरी होता है.

ककोड़ा की फसल की कटाई का ये है ठीक समय

ककोड़ा का उपयोग कई तरीके से किया जाता है, इसलिए इसकी कटाई भी कई अलग-अलग समय पर की जाती है. जैसे आप अगर सब्जी के लिए उपयोग करना चाहते हैं, तो फसल की बुवाई के तीन महीने बाद तोड़ सकते हैं, लेकिन अगर आपको फसल एकदम परिपक्व अवस्था में चाहिए, तो आप इसे एक साल बाद भी तोड़ सकते हैं.

ककोड़ा का बाज़ार भाव

सीजन की शुरुआत में ककोड़ा की कीमत काफी अच्छी होती है. जैसे 90 से 100 रुपए प्रति किलो के भाव पर बिकता है. किसान इसकी खेती करने से अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं.  

English Summary: How to cultivate Kakoda? Know here improved varieties and method of sowing Published on: 19 August 2022, 11:51 AM IST

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