पहाड़ी इलाकों में उगने वाले सिंदूरी जिसे अंग्रेजी में इसे लिपस्टिक ट्री भी कहा जाता हैं. इसका वैज्ञानिक नाम बिक्सा ओरेलाना है. इसके करीब एक लाख से भी ज्यादा पौधे कोरिया कृषि विज्ञान केंद्र में तैयार किये जाएंगे. जिसके लिए अब केवीके ने तैयारी भी करना शुरू कर दिया है. वर्तमान समय में कोरिया कृषि विज्ञान केंद्र में लगभग 500 पौधे तीन साल पहले लगाये थे, जिसमें अब बीज आना शुरू हो गये हैं. पहाड़ी इलाकों में तैयार हो रहे इस सिंदूरी (लिपस्टिक पौधे ) के बीज की मांग विदेशों में काफी बढ़ी रही है. अब तो इसका अमेजन से लेकर कोरिया केवीके केंद्र में बिक्री के लिए डिमांड आना भी शुरू हो गया है. इसे तो कई जगह अनटाइल्ड पौधा भी कहा जाता है. इस पौधे की खासियत के बारे में तो कृषि वैज्ञानिकों को भी पता नहीं था, लेकिन अब इसकी प्राकृतिक रंग के रूप में पहचान होने के बाद से इसकी मांग काफी ज्यादा हो गयी है. यह पौधा ऑनलाइन 1200 रुपए में बिक रहा है. इसलिए विवि करीब 1 लाख पौधे तैयार करने में लगा है.
कृषि वैज्ञानिक डॉ. केशवचंद्र राजहंस
कोरिया विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. केशवचंद्र राजहंस ने जानकारी देते हुए कहा कि सिंदूर के पौधे अमूमन 07 से 08 फुट लंबे होते हैं. ये ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इसके साथ ही कोरिया जिला प्रशासन ने पौधे के बीजों से समूह की महिलाओं को जोड़ने की बात भी कही है.
इस पौधे को रोपित करने के लिए दिसंबर और जनवरी माह सबसे उत्तम माना जाता है, जबकि जुलाई से सितंबर माह में भी इन्हें लगाया जा सकता है.यह 30 डिग्री तापमान में भी बढ़ सकता हैं.
इसकी मांग बढ़ने की वजह से केवीके में करीब 30 एकड़ जगह में इन पौधा का रोपण किया जाएगा. इसके लिए किसानों को भी इसकी खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है.
औषधीय गुणों से समृद्ध
इस पौधे में ढेरों औषधीय गुण मौजूद हैं. जो हमारे शरीर की कई तरह की समस्याओं से निजात दिलाने में सहायक माने जाते है. जैसे - त्वचा सम्बंधित रोग, जलने या कटने और पीलिया आदि समस्याओं में काफी असरकारी है. इसके साथ ही इस पौधे से बना सिंदूर महिलाओं को सिंथेटिक सिंदूर के रसायनों से होने वाले दुष्प्रभावों से बचाने में भी मदद करता है. जिससे आपको त्वचा सम्बंधित समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा. क्योंकि यह सिंदूर कुदरती होता है जो पौधे के बीजों से बनाया जाता है.
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