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ग्राफ्टिंग तकनीक से एक ही पौधे में उगाएं बैंगन और टमाटर, जानिए इसकी विधि

जब कृषि वैज्ञानिक खेती की नई तकनीक विकसित करते हैं, तो कृषि क्षेत्र विकास के पथ पर एक और कदम आगे बढ़ता है. हमारे देश के कृषि वैज्ञानिक समय-समय पर खेती की एक नई तकनीक ईजाद करते रहते हैं, ताकि हमारे देश के अन्नदाता आसानी से लोगों का पेट भर सकें.

कंचन मौर्य
Grafting Technique
Grafting Technique

जब कृषि वैज्ञानिक खेती की नई तकनीक विकसित करते हैं, तो कृषि क्षेत्र विकास के पथ पर एक और कदम आगे बढ़ता है. हमारे देश के कृषि वैज्ञानिक समय-समय पर खेती की एक नई तकनीक ईजाद करते रहते हैं, ताकि हमारे देश के अन्नदाता आसानी से लोगों का पेट भर सकें.

इसी क्रम में एक बार फिर कृषि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research/ICAR)  के वैज्ञानिकों ने एक बड़ी सफलता हासिल की है.

वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग तकनीक की विकसित

आईसीएआर (ICAR) के वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग तकनीक विकसित की है, जिसके तहत ऐसे पौधों को विकसित किया है, जिसमें एक ही साथ टमाटर और बैंगन का उत्पादन प्राप्त किया जाएगा. इस पौधे का नाम ब्रिमैटो (Brimato) रखा गया है. बता दें कि यह शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद होगा, क्योंकि वे कम जगह में एक ही पौधे से टमाटर और बैंगन की पैदावार हासिल कर सकेंगे.

ये खबर भी पढ़ें: पटियाल ग्राफ्टिंग से एक ही पेड़ पर लगेगी गुठलीदार फलों की कलम

ग्राफ्टिंग करने का तरीका

दरअसल, अब आईसीएआर और भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने ग्राफ्टेड पोमैटो (आलू-टमाटर) की सफलतापूर्वक उत्पादन के बाद ब्रिमैटो की किस्म को तैयार की गई है. ICAR की मानें, तो तब ग्राफ्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया गया, जब बैंगन की पौध 25 से 30 दिन और टमाटर की पौध 22 से 25 दिन की थी. बैंगन की रूटस्टॉक – IC 111056 किस्म में लगभग 5 प्रतिशत रोपाई में 2 शाखाएं विकसित करने की प्रवृत्ति है.

इसके लिए ग्राफ्टिंग साइड/स्प्लिस विधि अपनाई गई. इसमें रूटस्टॉक और स्कोन, दोनों में 5 से 7 एमएम के 45 डिग्री कोण बनाए गए थे. ग्राफ्टिंग के तुरंत बाद रोपे गए पौध को एक नियंत्रित वायुमंडलीय स्थिति में रखा गया था. इसके शुरुआती 5 से 7 दिनों में तापमान, आर्द्रता और प्रकाश को इष्टतम रखा गया था. इसके बाद 5 से 7 दिनों के लिए आंशिक छाया में रखा गया था.

15 से 18 दिन बाद ग्राफ्टेड पौधों को किया प्रत्यारोपित

वैज्ञानिकों के मुताबिक, ग्राफ्टिंग ऑपरेशन के 15 से 18 दिन बाद ग्राफ्टेड पौधों को खेत में प्रत्यारोपित किया गया. शुरुआत में बैंगन और टमाटर में संतुलित विकास को बनाए रखने के लिए सावधानी बरती गई. अगर ग्राफ्टिंग की गई जगह पर दिक्कत आई, तो उसे तुरंत हटा दिया गया.  इसके साथ ही जरूरत के हिसाब से खेत में खाद दी गई.

60 से 70 दिन बाद आने लगे फल

आपको बता दें कि रोपाई के 60 से 70 दिन बाद पौधे से टमाटर और बैंगन के फल आने लगे. खास बात यह है कि एक ही पौधे से 2.383 किलो ग्राम टमाटर और 2.64 किलो ग्राम बैंगन प्राप्त हुए.

वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्राफ्टिंग तकनीक शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों के लिए बहुत उपयोगी है. आप वर्टिकल गार्डन या पॉट कल्चर में एक ही पौधे से दो तरह की सब्जियों का उत्पादन हासिल कर सकते हैं. फिलहाल, अभी ICAR-आईआईवीआर, वाराणसी में ग्राफ्टेड ब्रिमैटो के वाणिज्यिक उत्पादन पर रिसर्च जारी है.

English Summary: Grow brinjal and tomato in the same plant by grafting technique Published on: 08 October 2021, 01:27 PM IST

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