Wheat Variety: किसान गेहूं की फसल से अधिक से अधिक उपज प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए वह बाजार से कई तरह के उत्पादों को खरीदते हैं. लेकिन गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए किसान को इसकी उन्नत किस्म के बीजों को अपनाना चाहिए. भारतीय बाजार में गेहूं की कई उन्नत किस्में हैं. उन्हीं किस्मों से एक गेहूं HD-3086 किस्म है, जिसको पूसा यशस्वी के नाम से भी जाना जाता है. गेहूं की इस उन्नत किस्म से किसान कम समय में उच्च उपज प्राप्त कर सकते हैं. ऐसे में आइए गेहूं की उन्नत किस्म HD-3086 के बारे में यहां विस्तार से जानते हैं...
खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र
गेहूं की HD-3086 किस्म को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा व उदयपुर क्षेत्र को छोड़कर) पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी क्षेत्र को छोड़कर), जम्मू और कश्मीर का क्षेत्र (जम्मू व कटुवा जिला) हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र (उना जिला व पौन्टा वैली) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) में समय से बुवाई के लिए उपयुक्त है.
कृषि प्रबंधन और खेती के तरीके
खेत का चुनाव : समतल उपजाऊ भूमि जिसमे पलेवा करने के बाद डिस्क व टिलर से जुताई करनी चाहिए.
बीज उपचार : बीज का उपचार 2 ग्रां, वीटावैक्स प्रति किग्रा. से किया जा सकता है. इसके बीज के लिए उपयुक्त समय 10 से 20 नवम्बर होता है.
बुवाई का समय: गेहूं की इस उन्नत किस्म की बुवाई का सही समय 10 से 20 नवम्बर तक है. इसके अलावा बीज दर/बोने की विधि-पंक्ति में रोपाई, पंक्ति से पंक्ति व पौधे से पौधे की दूरी: बीज दर 40 किग्रा. प्रति एकड़, पंक्ति में रोपाई-पंक्ति की दूरी 20 सेमी. पौधे से पौधे की दूरी 5 सेमी. है.
उर्वरक की मात्रा : गेहूं की उन्नत किस्म HD-3086 के लिए उर्वरक की मात्रा 60:24:16 (ना: फा: पो) किग्रा. प्रति एकड़, नाइट्रोजन की मात्रा 3 हिस्सों में दी जाती है. पहला हिस्सा बुवाई के समय, दूसरा हिस्सा कल्ले निकलते समय बुवाई के 25 से 30 दिन बाद व तीसरा आवश्यकता अनुसार सिंचाई के समय 45 से 60 दिन बाद ही दें.
सिंचाई : 5-6 सिंचाई, पहली सिंचाई बुवाई के 20 से 22 दिन बाद करते हैं और उसके बाद 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए.
फसल की कटाई : बुवाई के 127 से 160 दिन बाद (औसतन 143 दिन) में फसल की कटाई कर सकते हैं.
गुणवत्ता लक्षण : इसमें चपाती बनने के लिए उत्तरदायी जून ग्लू-1 सूचक 10/10 है, प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है.
संभावित उपज : गेहूं की उन्नत किस्म HD-3086 से किसान 21.52 कु. से 22.64 कु. प्रति एकड़ (3 वर्ष के समन्वित परीक्षण के आधार पर औसतन उपज) इस किस्म की अनुवांशिक क्षमता 28.44 कु./एकड़ है.
खरपतवार नियंत्रण
- चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिए मैटसल्फूरोन 1.6 ग्राम प्रति एकड़ या कारफन्ट्राजोन 8 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 100-200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.
- संकरी पत्ती वाले खरपतवार नियंत्रण के लिए क्लोडीनाफोप 24 ग्राम या फिनोक्साप्रोप 40 ग्राम या सल्फुसल्फोरोन 10 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करना चाहिए.
- मिश्रित खरपतावर नियंत्रण के लिए क्लोडीनाफोप और कारफेन्ट्राजोन या सल्फुसल्फोरोन के साथ मैटसल्फूरोन का उपयोग बुवाई के 30 से 35 दिन के बाद करना चाहिए.
कीट व रोग प्रबंधन
गेहूं की यह किस्म संस्तुत उत्पादक क्षेत्रों में यह किस्म पीला रतुआ के प्रति प्रतिरोधी है. इसके उपरांत यदि पीला रतुआ, भूरा रतुआ, करनाल बंट और पाउड्री मिल्डयू रोग के लक्षण दिखाई देते हैं, तो प्रोपीकोनाजोल/टेबूकोनाजोल 0.1 प्रतिशत (1 एम एल प्रति ली) का पत्तियों पर 1 बार छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करना चाहिए.
दीमक की रोकथाम के लिए 1.0 लीटर क्लोरोपाईरीफोस सिंचाई के साथ या 16 से 20 किग्रा प्रति एकड़ रेत में मिलाकर छिड़काव करते हैं. एफिड से बचाव के लिए डाईमेथोड़ 400 मिली या फेनवालरेट 200 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करते हैं.
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गेहूं की उन्नत किस्म HD 3086 का बीज/Seed of Improved Wheat Variety HD 3086
गेहूं की उन्नत किस्म HD 3086 अब ऑनलाइन उपलब्ध है. किसान पूसा बीज पोर्टल से 40 किलो बीज 2000 रुपये में खरीद सकते हैं. इस किस्म का बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूसा बीज पोर्टल लिंक पर ऑनलाइन ऑर्डर करके आसानी से मंगवाया जा सकता है.
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