हमारे देश में फलों को कई तरीकों से पकाया जाता है. आपको बता दें कि फलों को पकाने की लिए कई तरह की आधुनिक तकनीकें भी कारगर साबित हुई हैं, लेकिन फलों को पकाने के लिए हमेशा से पुरानी घरेलू तकनीक ही चर्चा में रहती हैं. तो आज हम अपने इस लेख में आपको पारंपरिक और राइपनिंग तरीके से फल पकाने के बारे में बतायेंगे. तो आइये जानते हैं इसके बारे में...
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प्राचीन काल में फलों को पकाने के लिए घरेलू और पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता था. जोकि अभी भी ज्यादातर लोग करते ही हैं. कुछ व्यापारी पैरावट में फलों को दबाकर रखते हैं. ये तरीका बहुत सुरक्षित और कम खर्चीला होता है, लेकिन इसमें समय ज्यादा लगता है.
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इसके अलावा पकाने के लिए फल को बोरे, पैरा और भूसे में दबाकर रखने से भी फल समय से पहले पक जाता है या फिर फल को कागज में लपेटकर रखने से भी फल अच्छे से पक जाता है.
राइपनिंग तकनीक (Ripening Technique)
यह एक आधुनिक तकनीक है जिससे फल समय से पहले पक जाते हैं. इसका ज्यादातर उपयोग कई बड़े फल विक्रेता करते हैं. इस तकनीक से फल पकाने के लिए छोटे-छोटे चैंबर वाला कोल्ड स्टोरेज बनाया जाता है. इस चैंबर में एथिलीन गैस को छोड़ दिया जाता है. इससे फल जल्दी पकने लगते हैं. इससे किसी प्रकार का फलों को खतरा नहीं होता. सरकार द्वारा इसपर किसानों को लगभग 35 से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी भी दी जाती है. इस तकनीक को आम, पपीता और केला पकाने में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.
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कितने समय में पकने लगते हैं फल (How long do fruits take to ripen)
आपको बता दें कि इन तरीकों से फल 4 से 5 दिनों में पककर तैयार हो जाते हैं और इनकी क्वालिटी भी अच्छी रहती है.
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