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अपने मवेशियों को खिलाए चारे की ये नई किस्म, दूध उत्पादन में होगा इजाफा

मवेशी पालकों के सामने सबसे बड़ी समस्या चारे की आती है. पर्याप्त मात्रा में चारा नहीं मिल पाने के कारण दूध उत्पादन में भी कमी हो जाती है. लेकिन वैज्ञानिकों ने पशु पालकों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए एक नई चारा फसल की सौगात दी है. जिसे चारा चुकंदर या चारा बीट नाम दिया है.

श्याम दांगी
fodder

मवेशी पालकों के सामने सबसे बड़ी समस्या चारे की आती है. पर्याप्त मात्रा में चारा नहीं मिल पाने के कारण दूध उत्पादन में भी कमी हो जाती है. लेकिन वैज्ञानिकों ने पशु पालकों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए एक नई चारा फसल की सौगात दी है. जिसे चारा चुकंदर या चारा बीट नाम दिया है. राजस्थान समेत कई राज्यों में चारा बीट पैदा की जा रही है. जिससे चारे की आपूर्ति खत्म हो रही है वहीं दूध उत्पादन में भी इजाफा हो रहा है. केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डा. सुरेष तंवर के मुताबिक, चारा बीट कम समय में अधिक उत्पादन देता है. कम क्षेत्रफल में लगाकर इसका अच्छी पैदावार ली जा सकती है. यह दिखने में सामान्य चुकंदर की तरह होता है लेकिन इसका आकार काफी बड़ा होता है. वहीं वजन तकरीबन 5 से 6 किलो का होता है. 

होती है बंपर पैदावार

चारे की यह नई किस्म भारत में भले ही नई हो लेकिन फ्रांस, ब्रिटेन, हालैंड, न्यूजीलैंड समेत कई देशों में काफी लोकप्रिय है. डॉ. तंवर का कहना है कि इसकी बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक की जाती है. महज चार महीने में एक हेक्टेयर से 200 टन की बंपर पैदावार होती है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि चारा बीट के उत्पादन में प्रति किलो 50 पैसे का खर्च आता है. जब चारा बीट थारपारकर नस्ल की गायों को खिलाया गया तो उनके दूध की पैदावार में आठ से दस फीसदी का इजाफा हुआ.

कैसे करें खेती

चारा बीट की खेती दोमट मिट्टी में भी की जा सकती है लेकिन इसकी अच्छी पैदावार ऊसर नमक प्रभावित मिट्टी में होती है. इसे क्यारी बनाकर बोया जाता है. इसके लिए 70 सेमी की दूरी पर 20 सेमी ऊंचाई की क्यारी या मेड़ बनाई जाती है. एक हेक्टेयर जमीन के लिए महज दो से ढाई किलो बीज की जरूरत पड़ती है. चारा बीट की किस्मों की बात करें तो जोमोन, मोनरो, जेके कुबेर और जेरोनिमो प्रमुख है. राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में किसान अब इसका उत्पादन करने लगे हैं जिसके सकारात्मक परिणाम आ रहे हैं.

कैसे करें सिंचाई

चारा बीट के अच्छे उत्पादन के लिए समय-समय पर सिंचाई बेहद जरूरी है. बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई कर देना चाहिए. वहीं अगर पपड़ी पड़ जाने पर बुवाई के 4 दिन बाद फिर से हल्की सिंचाई करें. इसके बाद नवंबर में 10 दिनों, दिसंबर से फरवरी में 13 से 15 दिनों और मार्च से अप्रैल में 7 से 10 दिनों के अंतराल से सिंचाई करना चाहिए. साथ ही समय समय पर निराई गुड़ाई करना चाहिए. बीमारी या कीट से बचाव के लिए अनुशंसित कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए.

कैसे करें उपयोग

जनवरी के मध्य जब इसकी जड़ें एक से डेढ़ किलो की हो जाए तब इसे अपने मवेशियों को आहार के रूप में देना शुरू करें. सुखे चारे में चारा बीट के छोटे-छोटे टुकड़े मिलाकर मवेशियों को देना चाहिए. गायों और भैंसों को प्रतिदिन 12 से 20 किलो चारा बीट दिया जा सकता है. वहीं छोटे जुगाली पशु को रोजाना 4 से 6 किलो चारा बीट खिलाए. इससे अधिक मात्रा पशुओं को नहीं खिलानी चाहिए क्योंकि इससे पशु में अम्लता हो सकती है. वहीं तीन से अधिक दिन का काटा हुआ चारा भी मवेशियों को नहीं खिलाना चाहिए.

English Summary: fodder beet for animal feed milk production Published on: 11 September 2020, 01:18 PM IST

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