Bihar: बिहार के समस्तीपुर जिले में खेती में बढ़ती लागत एवं फसल में कीट व रोगों की प्रकोप से किसान परेशान हो रहे हैं. ऐसे में किसान खेती में वैज्ञानिक तौर- तरीकों को अपनाकर कीटों और रोगों से छुटाकरा पा कर खेती को एक लाभदायक व्यवसाय साबित कर रहे हैं.
खेती से जुड़ी जानकारी वारी गांव में आयोजित प्रक्षेत्र कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र लादा के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. अभिषेक सिंह द्वारा किसानों को दी गई. किसानों से वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि इसका मुख्य उद्देश्य किसानों के बीच दलहनी फसलों का महत्व एवं लाभ के बारे में जागरूक करना है. क्षेत्र में दलहनी फसल उत्पादन की असीम संभावनाएं हैं, उन्होंने बताया की फसल चक्र अपनाकर किसान खेतों में कम हो रही उर्वरा शक्ति को बचा सकते हैं.
उन्होंने किसानों को जानकारी देते हुए बताया की किसान लगातार एकल फसल पद्धति के साथ काफी मात्रा में रासायनिक उर्वरक व दवा का प्रयोग करते हैं, जिसके कारण दिन प्रतिदिन खेतों की मिट्टी की उर्वरा शक्ति में हरास होती जा रही है.
हमारे किसान भाई फसल चक्र अपनाकर खेत में दलहन, चना, मसूर, मटर, मूंग, उड़द, आदि दलहनी फसल खेत में उगाकर मिट्टी की भौतिक एवं रासायनिक संरचना में सुधार कर सकते हैं और साथ ही प्रति इकाई क्षेत्रफल से कम लागत में अधिक लाभ भी प्राप्त कर सकते हैं.
इस अवसर पर केंद्र के फसल उत्पादन वैज्ञानिक डॉ. अर्नव कुंडू ने बताया कि अगले साल चने की खेती को अधिक से अधिक करें. हमारे शरीर में दिन पर दिन पोषक तत्वों की कमी के कारण स्वास्थ्य में गिरावट होती जा रही है.
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पशुपालन के वैज्ञानिक डॉ. कुंदन कुमार ने बताया कि खेती और पशुपालन दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. खेती में सफलता के लिए आवश्यक है कि किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन पर भी ध्यान दें. इस दौरान उन्होंने किसानों को पशुपालन के साथ खेती करने की सलाह देते हुए प्राकृतिक खेती के महत्व के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी है.
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