 
            किसानों भाई फसलों को कीटों से बचाव के लिए विभिन्न प्रकार के रसायनों का इस्तेमाल करते हैं. फसलों की अच्छी उत्पादन के लिए इन रसायनों का इस्तेमाल बहुत जरुरी होता है. हमारे किसान भाई अधिकतर किसी भी प्रकार के रसायन का इस्तेमाल करते हैं, इससे फसलों की पैदावार काफी कम हो जाती है और यह फसलों के लिए घातक साबित हो जाता है. इसलिए फसल के आधार पर ही रसायन का इस्तेमाल करना चाहिए.
कीटनाशक की बात की जाए तो इसके पैकेट के पीछे अलग-अलग रंग छपे होते हैं. यह रंग कीटनाशक की तीव्रता के बारे बताते हैं. यह मुख्यत: लाल, पीला, हरा और नीले रंग का होता है. आइये आज हम आपको बताते हैं कि इन विभिन्न रंगों का क्या असर होता है.
लाल रंग
लाल रंग जहर की तेजी नापने वाले स्केल पर सबसे तेज माना जाता है. अगर किसी कीटनाशक के पैकेट के पीछे लाल रंग है, तो वह सबसे तेज कीटनाशक रसायन की कैटेगरी में आता है. इसकी केवल 1.50 मिली ग्राम मात्रा किसी जानवर को प्रति किलो वजन के हिसाब से देने की सलाह दी जाती है.
पीला रंग
यह पील रंग जहर की तेजी नापने वाले स्केल पर दूसरे स्तर का खतरा दर्शाता है. इसके उपयोग करने की मात्रा को इसके पैकेट पर अच्छे से दर्शाया गया है.
नीला रंग
जिस कीटनाशक का पैकेट नीला रंग होता है, यह मध्यम तेजी को दर्शाने वाला रंग है. किसानों को बता दें कि इस रंग के कीटनाशक की कितनी मात्रा का प्रयोग करना है, यह आपको पैकेट पर लिखी जानकारी को पढ़कर पता लग जाएगा.
हरा रंग
हरे रंग वाला पैकेट सबसे कम तेजी वाले कीटनाशक रसायन होता है. इसकी तेजी बहुत ही कम होती है.
ये भी पढ़ें: रंगों से पहचानें कौन-सा कीटनाशक है फसल के लिए ख़तरनाक
बता दें कि फसलों को जितनी कीटनाशकों के प्रयोग की जरूरत होती है. इस सावधानी के साथ इस्तेमाल करना चाहिए. यह मनुष्य, जीव-जंतुओं और फसलों के लिए घातक हो सकते हैं. ऐसे में इनका सावधानी पूर्वक इस्तेमाल बहुत जरुरी होता है.
 
                 
                     
                     
                     
                     
                                                 
                                                 
                         
                         
                         
                         
                         
                    
                
Share your comments