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किनोवा की खेती से कम लागत में कमाएं ज्यादा मुनाफा, मेहनत भी लगती है कम

किनोवा फसल जो अनाज के रूप में उगाई जाती है, अमेरिका को किनोवा का जन्मदाता कहा जाता है. किनोवा के बीजों में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं. जिसका सेवन करने से कैंसर, खून की कमी, हार्ट अटैक, सांस की बीमारियों में काफी फायदा मिलता है. इसलिए इसकी खेती भी मुनाफेमंद है.

राशि श्रीवास्तव
किनोवा की खेती का तरीका
किनोवा की खेती का तरीका

किनोवा को रबी सीजन की प्रमुख नकदी फसल कहते हैंजिसकी खेती अक्टूबर से लेकर मार्च तक होती है. किनोवा पत्तेदार सब्जी बथुआ की प्रजाती का सदस्य पौधा है इसी के साथयह एक पोषक अनाज भी हैजिसे प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत भी कहते हैं जो शरीर में वसा कम करनेकोलस्ट्रॉल घटाने और वजन कम करने के लिए लाभदायक है. इसके चमत्कारी गुणों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे पोषण अनाज की श्रेणी में शामिल किया है वहीं बाजार में इसकी मांग काफी बढ़ रही हैजिससे किसानों के लिए खेती भी फायदे का सौदा साबित हो रही है.

उपयुक्त जलवायु और तापमान- इसकी खेती हिमालयीन क्षेत्र से लेकर उत्तर मैदानी हिस्सों में आसानी से हो सकती है. सर्दियों का मौसम खेती के लिए उचित माना जाता है. इसके पौधे सर्दियों में गिरने वाले पाले को भी आसानी से सहन कर लेते हैं. बीजों को अंकुरित होने के लिए 18 से 22 डिग्री तापमान की जरूरत होती है. अधिकतम 35 डिग्री तापमान को ही बीज सहन कर सकते हैं. 

उपयुक्त मिट्टी- किनोवा की खेती लगभग सभी मिट्टी में की जा सकती हैलेकिन भूमि अच्छी जल निकासी वाली जरूर हो. भूमि का पीएच मान सामान्य होना चाहिए. भारत में किनोवा की खेती रबी सीजन में की जाती है.

बुवाई का समय - भारत की जलवायु के हिसाब से बीजों की बुआई नवम्बर से मार्च के समय करनी चाहिए,  लेकिन कई जगहों पर इसकी खेती जून से जुलाई के महीनों में भी की जा सकती है. 

बीजों की मात्रा और बीज उपचार- किनोवा की खेती के लिए प्रति एकड़ लगभग से 1.5 किलो बीज की जरूरत होती है. बीजों को बोने से पहले उपचारित जरूर करना चाहिएबीज उपचारित होने से अंकुरण के समय कोई परेशानी नहीं होती और फसल भी रोग मुक्त होती है. किनोवा की बुआई से पहले बीज को गाय के मूत्र में 24 घंटे के लिए डालकर उपचारित करना चाहिए.

बीजों की बुवाई विधि- किनोवा के बीजों की बुवाई ड्रिल विधि से करनी चाहिए. जिसके लिए पंक्तियों को तैयार करते समय प्रत्येक पंक्ति के बीच एक फीट की दूरी रखी जाती है फिर पंक्तियो में बीजों की रोपाई 15 सेमी. की दूरी रख कर करते हैंइसके अलावा बीजों की बुवाई छिड़काव विधि से भी की जा सकती है छिड़काव विधि से बीज को रेत या राख मिलाकर छिड़काव करें. 

सिंचाई- किनोवा के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं होती,  इसके पौधे सूखे मौसम को भी आसानी से सहन कर लेते हैं किनोवा की फसल 3-4 सिंचाई के बाद पककर तैयार हो जाती है इसके पौधों की प्रारंभिक सिंचाई बीज रोपाई के बाद की जाती है इसके बाद की सिंचाई को पौधों के विकास और बीज अंकुरण के दौरान करना चाहिए. 

उत्पादन और लाभ- किनोवा की बुआई के लगभग 100 से 150 दिन में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है.  फसल की ऊंचाई से फिट तक होती है और इसको सरसों की तरह काट कर थ्रेसर से दाना निकाला जाता है. एक अनुमान के मुताबिक एक एकड़ जमीन पर 20 से 24 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है. 

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मंडियों में किनोवा की प्रति क्विंटल उपज का भाव 8,000 से 10,000 रुपये है इस प्रकार सिर्फ एक एकड़ जमीन पर किनोवा उगाकर कम समय में लाख से 2.4 लाख रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं.

English Summary: Earn more profit in less cost from quinoa farming, it also takes less effort Published on: 14 March 2023, 10:19 AM IST

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