आजकल खेती में नई-नई तकनीकों का प्रयोग होने लगा है. वैज्ञानिकों ने कई ऐसी किस्मों को विकसित किया है, जो कम समय में ही तैयार हो जाती हैं. इन किस्मों के साथ किसानभाई सहफसली कर सकते हैं, या फसल तैयार होने पर किसी अन्य पछेती किस्म की बुआई कर सकते हैं. आज इस आर्टिकल में हम आपको ऐसी ही दो फसलों के बारे में बता रहे हैं, वह है अगेती आलू के साथ पिछेती गेंहू की खेती.
देश में अगेती गेहूं की बुवाई पूरी हो चुकी है. कई किसान किन्हीं कारणों से अगेती गेहूं की बुवाई नहीं कर पाए. ऐसे में किसान खाली खेत में अगेती आलू की बुवाई कर सकते हैं, फसल लेने के बाद पिछेती गेहूं की बुवाई कर दोहरा लाभ कमा सकते हैं. अगेती आलू की फसल अक्टूबर के आखिर सप्ताह से नवम्बर के पहले सप्ताह तक की जाती है, 2 से 3 माह में फसल तैयार हो जाती है. इसके बाद किसान दिसंबर में पिछेती गेहूं की बुवाई कर सकते हैं. अगेती आलू के साथ पिछेती गेहूं की खेती करने के लिए किसानों को फसलों के बीज, बुवाई के तरीके का ध्यान रखना होगा, ताकि अच्छा उत्पादन हो और डबल मुनाफा हो सके.
अगेती आलू की बुवाई के लिए उत्तम समयः
अगेती आलू को विकसित करने के लिए हल्की ठंड की आवश्यकता होती है. ऐसे में सितंबर-अक्टूबर में इसकी बुवाई शुरु हो जाती है. सर्वोत्तम समय अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह तक रहता है. आलू की यह किस्म दो से तीन महीने में तैयार हो जाती है, यानि दिसंबर तक इसकी खुदाई हो जाती है. ऐसे में किसान आलू के बाद पछेती गेहूं की बुवाई कर सकते हैं.
अगेती आलू की किस्में-
अगेत आलू की उन्नत किस्मों में कुफरी पुखराज, कुफरी अशोक, कुफरी सूर्या शामिल है. कुफरी चंद्र मुखी, कुफरी अलंकार, कुफरी बहार 3792ई, कुफरी नवताल जी 2524, चिप्सोना जल्दी तैयार होने वाली फसले हैं. चिप्सोना प्रजाति के आलू का अच्छा दाम मिलता है.
कुफरी अशोक और कुफरी चंद्रमुखी उत्तरभारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म है. कुफरी अशोक 75 से 85 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है. इसमें 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन होता है. वहीं कुफरी चंद्रमुखी को 75 दिन में तैयार हो जाती है, अगर 90 दिन बाद खुदाई हो तो 100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन हो जाता है.
अगेती आलू की कुछ फसलें 3 महीने या उससे ज्यादा समय में पकती हैं. लेकिन उत्पादन काफी ज्यादा देती हैं. इसमें कुफरी शीलमान, कुफरी स्वर्ण, कुफरी सिंदूरी, कुफरी देवा है, जो प्रति हेक्टेयर 300 से 400 क्विंटल तक उपज देती हैं.
अगेती आलू के लिए कैसे तैयार करें खेत
अगेती आलू के लिए दोमट मिट्टी सर्वोत्तम है. आलू के खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. खेत की अच्छे से जुताई हो, और पाटा लगाकर खेत को समतल बनाना जरुरी है. आलू में हल्की सिंचाई होती है, इसलिए खेत में स्पिंक्रलर या ड्रिंप सिंचाई का उपयोग होना चाहिए. खेत की नालियों में मेंढों की ऊंचाई के तीन चौथाई से अधिक ऊंचा पानी नहीं भरना चाहिए.
चलिए अब जानते हैं गेहूं की पछेती किस्म की बुवाई के बारे में
गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई दिसंबर से जनवरी के बीच में होती है. अच्छे उत्पान के लिए किस्मों की बुवाई 25 दिसंबर तक पूरी कर लेनी चाहिए. गेंहू की पछेती किस्में कम समय में तैयार हो जाती है. लेकिन अच्छे उत्पादन के लिए सर्वोत्तम बीज का उपयोग करना चाहिए.
पछेती गेहूं की उत्तम किस्में
पछेती गेहूं की कम समय में पककर तैयार होने वाली फसलों में डब्ल्यूएच-291, पीबीडब्ल्यू-373, यूपी-2338, एचडी-2932, राज-3765, सोनक, एचडी-1553, 2285, 2643, डीबीडब्ल्यू-16 आदि शामिल हैं. गेंहू की पूसा वाणी और पूसा अहिल्या किस्में रतुआ रोग प्रतिरोधक भी हैं. किसानभाई इनकी बुवाई कर नुकसान से बच सकते हैं.
अधिक उत्पादन के लिए रखें इन बातों का ध्यान
पछेती किस्म के लिए दोमट मिट्टी अच्छी होती है. पछेती किस्मों की खेती में बीज की मात्रा 25 फीसदी तक बढ़ाई जाती है, ऐसे में अच्छे उत्पादन के लिए 4 से 5 सिंचाई के साथ ही प्रति एकड़ 50 से 55 किलोग्राम बीज डालना आवश्यक है. इस गेंहू की खेती के लिए 120 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फास्फोरस और 50 किलो पोटाश की जरुरत होती है. दीमक से बचाव हेतु 150 मिली क्लोरोपाइरीफोस 20 फीसद का साढ़े चार लीटर पानी में घोल बनाकर 1 क्विंटल बीज को उपचारित करें.
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