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Kalanamak Rice: भगवान बुद्ध द्वारा लोगों को उपहार के रूप में दिए गए ‘कालानमक चावल’ को मिला नया नाम

कालानमक, एक पारंपरिक रुप से उगाया जाने वाला चावल है. इसे विशेष प्रकार की सुगंध और पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा के लिए जाना जाता है.

मनीष कुमार
खेती कर रहे किसान ने बताया कि पुराने किस्म के  कालानमक धान  के पौधों की लंबाई 140 सेंटीमीटर थी , इससे पौध खेत में गिरकर खराब हो जाती थी जबकि नई किस्म के पौधों की लंबाई 95-100 सेंटीमीटर है. (फोटो-सोशल मीडिया)
खेती कर रहे किसान ने बताया कि पुराने किस्म के कालानमक धान के पौधों की लंबाई 140 सेंटीमीटर थी , इससे पौध खेत में गिरकर खराब हो जाती थी जबकि नई किस्म के पौधों की लंबाई 95-100 सेंटीमीटर है. (फोटो-सोशल मीडिया)

कुशीनगर: माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने अपने भ्रमण काल के दौरान कालानमक चावल के बीज श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश के लोगों को उपहार के रूप में दिए थे. अब इसे नया नाम दिया जा रहा है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के 11 जिलों में इसकी खेती का रकबा लगातार कम हो रहा है. इस असंतुलन के लिए कृषि विशेषज्ञ लॉड्जिंग (Lodging) को जिम्मेदार मान रहे हैं.

'पारंपरिक कालानमक के पौधों में लॉजिंग की थी समस्या'

लॉड्जिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अनाज उत्पादन के कारण पौधे का शीर्ष भारी हो जाता है, तना कमजोर हो जाता है और पौधा जमीन पर गिर जाता है. इस मुद्दे को हल करने के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने कालानमक चावल की दो किस्में बनाई हैं. इनके नाम पूसा नरेंद्र कालानमक 1638 और पूसा नरेंद्र कालानमक 1652 रखा गया है.

आईएआरआई का कहना है दोनों नाम आचार्य नरेंद्र देव कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सहयोग से रखा गए हैं. दोनों किस्मों की उपज पारंपरिक किस्म की तुलना में दोगुनी है. आईएआरआई और उत्तर प्रदेश कृषि परिषद किसानों को इनके जल्द से जल्द बीज मिल सकें इस पर कार्य कर रहे हैं.

'2007 से बीज उत्पादन किया था शुरू'

आईएआरआई के निदेशक ए.के. सिंह के अनुसार, उनका लक्ष्य नई किस्म के पौधों की उंचाई कम रखना था, जिससे इसके पौधे गिरें नहीं. योजना पारंपरिक कालानमक की गुणवत्ता के साथ अधिक उपज देने वाली किस्म को मिलाने की थी. हमने चावल की किस्म बिंदली म्यूटेंट 68, साथ ही पूसा बासमती 1176 के जीन को कालानमक के साथ आनुवांशिकी इंजीनियरिंग कर बीज उत्पादन 2007 से शुरु किया.  चावल की नई किस्म में बेहतर सुगंध और पोषण संबंधी विशेषताएं हैं.

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खरीफ फसल तैयार कर चुके किसान ने बताए अनुभव

सिद्धार्थ नगर के किसान तिलक राम पांडे ने कहा है कि उनका परिवारी पीढ़ियों से पारंपरिक कालानमक धान की खेती और उत्पादन कर रहा है. हम इस चावल को भगवान बुद्ध का प्रसाद मानते हैं. नई किस्म का उन्होंने अपनी 8 एकड़ जमीन पर परीक्षण किया.

पुराने किस्म के पौधों की लंबाई 140 सेंटीमीटर थी जबकि नई किस्म के पौधों की लंबाई 95-100 सेंटीमीटर है. फसल पक चुकी है 20 नवंबर के आसपास इसकी कटाई होगी. फसल पर कीटों ने हमला किया लेकिन यह पिछली फसल की तुलना में बहुत कम था.

English Summary: Kalanamak Rice given as a gift to the people by Lord Buddha got a new name by IARI Published on: 08 November 2022, 06:42 PM IST

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