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Potato Cultivation 2022: वैज्ञानिक विधि से करें आलू की फसल, कम श्रम और लागत से मिलेगी अच्छी पैदावार

आलू रबी सीजन की एक प्रमुख फसल है. इसे किसानों के लिए नकदी का प्रमुख स्त्रोत माना जाता है. आलू का प्रत्येक कंद पोषक तत्वों का भंडार है.

मनीष कुमार
आलू की फसल  भूमि की सतह से ही भोजन प्राप्त करती है. इसलिए आवश्यक खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग आवश्यक है, लेकिन रासायनिक खाद डालते समय किसान इसका आलू के बीज से सीधा संपर्क न  होने दें. इससे आलू सड़ने का खतरा रहता है. (फोटो-सोशल मीडिया)
आलू की फसल भूमि की सतह से ही भोजन प्राप्त करती है. इसलिए आवश्यक खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग आवश्यक है, लेकिन रासायनिक खाद डालते समय किसान इसका आलू के बीज से सीधा संपर्क न होने दें. इससे आलू सड़ने का खतरा रहता है. (फोटो-सोशल मीडिया)

आलू में स्टार्च, प्रोटीन, विटामिन-सी और मिनरल्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. इसे ‘अकाल नाशक’ फसल भी कहा जाता है, क्योंकि बढ़ता कुपोषण हो या भूखमरी की समस्या, आलू ही सबसे बड़ा उपाय है. आलू के गुण संपन्न होने के कारण देश-विदेश में इसकी भारी डिमांड रहती है. सऊदी अरब सहित खाड़ी देशों में भारतीय आलू का निर्यात पिछले सालों में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा है. अगर किसान वैज्ञानिक विधि से किसान आलू की फसल करें तो कम श्रम और लागत से बढ़िया फसल प्राप्त की जा सकती है.

भूमि का चयन और खेत की जोताई

आलू क्षारीय मिट्टी को छोड़कर किसी भी मिट्टी में बोया जा सकता है. हालांकि विशेषज्ञ आलू की खेती के लिए बुलई या दोमट मिट्टी को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं. किसान आलू की फसल के लिए ऐसी भूमि का चयन करें जहां सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्थाएं हों. खरीफ फसलों की कटाई के बाद किसान मिट्टी पलटने वाले डिस्क प्लाऊ या एम.बी. प्लाऊ से एक जोताई करने के बाद, डिस्क हैरो 12 से एक बार (दो चास) बाद कल्टीवेटर से एक बार (दो चास) कर दें. प्रत्येक जोताई में दो दिन का अंतर रखने से खर-पतवार में कमी आती है और मिट्टी पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. अब कुदाली की सहायता से मिट्टी चढ़ाकर लगभग 15 सेंटीमीटर ऊंची मेड़ बना लें.

खाद एवं उर्वरक का प्रयोग

आलू की फसल बढ़ने के लिए मिट्टी की ऊपरी सतह से ही पोषक तत्व प्राप्त करती है. इसलिए फसल को भरपूर मात्रा में जैविक और रासायनिक खाद की आवश्यकता होती है. जोताई के बाद कंपोस्ट या सड़े गोबर की खाद में खल्ली मिलाकर खेत में डालें. रासायनिक उर्वरकों में 150 किलोग्राम नेत्रजन में 330 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर मिलाकर डालें. इसमें यूरिया की आधी मात्रा यानी 165 किलोग्राम बीज रोपनी के समय और आधी मात्रा रोपनी के 30 दिन बाद मिट्टी चढ़ाने के समय डालें. रोपनी के समय आलू की पंक्तियों में खाद डालना लाभकारी रहता है, लेकिन इस दौरान याद रहे कि रसायन आलू के बीज से सीधा संपर्क न करे. इससे आलू सड़ने का खतरा रहता है.

आलू के बीज रोपने का समय और सही तरीका

दीपावली के बाद दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक आलू की फसल को बोया जा सकता है. आलू के बीज बोते समय उनके बीच की दूरी का हमेशा ध्यान रखें. इससे पौधों तक धूप, पानी आसानी से पहुंचता है. वैज्ञानिकों के अनुसार आलू की शुद्ध फसल के लिए के बीच की दूरी 40 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. इससे आलू के कंदों को बढ़ने के लिए पर्याप्त स्थान मिलेगा, आलू बड़ा और तंदुरुस्त होगा. एक हेक्टेयर आलू की खेती के लिए लगभग 15-30 क्विंटल बीज की आवश्यकता पड़ती है. अब तैयार मेड़ों में बीज की बुवाई कर दें.

‘आलू पानी चाटता है पीता नहीं है’

आलू की फसल की थोड़े-थोड़े अंतराल पर कम पानी से सिंचाई करते रहना आवश्यक है. प्रथम सिंचाई बीज रोपने के 10-20 दिन बाद करें. इस दौरान खुरपी से खर-पतवार भी छांटते रहें. ऐसा करने से अंकुरण शीघ्र होगा. दो सिंचाई के बीच 20 दिन से ज्यादा का अंतर न रखें.

ये भी पढ़ें- चना की खेती 2022: बुवाई से पहले इन सुझावों पर अमल करें किसान, मिलेगी भरपूर उपज

कीट और रोग प्रबंधन

आलू की फसल को एक ओर खरपतवार लगने का खतरा होता है. तो दूसरी ओर कीट-पतंग और अन्य बीमारियां लगने की संभावना होती है. खर-पतवार के लिए किसान बुवाई के एक सप्ताह के अंदर आधा किलो सिमैजिन 50 डब्ल्यूएपी या फिर लिन्यूरोन का 700 लीटर पानी में घोल बनाकर खेत पर स्प्रे करें. कीट-पतंगों से बचाव के लिए एंडोसल्फान या फिर मैलाथियान का छिड़काव अंकुरण के पौधे बनने के बाद करें. जड़ काटने वाले कटुआ कीड़ों की रोकथाम के लिए किसान एल्ड्रिन या हैप्टाक्लोर का छिड़काव बनाई गई मेड़ों की निचली सतह पर करें.

आलू की प्रमुख किस्में

वैसे तो आलू की कई किस्में हैं. लेकिन वैज्ञानिक अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए कुफरी गंगा, कुफरी मोहन, कुफरी नीलकंठ, कुफरी पुखराज, कुफरी संगम, कुफरी ललित, कुफरी लीमा, कुफरी चिप्सोना-4, कुफरी गरिम को अच्छा मानते हैं.

English Summary: Potato cultivation 2022 Harvest potato by using modern farming for great production with less labor and cost Published on: 28 October 2022, 12:38 PM IST

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