भारत एवं अन्य देशों में भी आलू एक प्रमुख सब्जी के रूप में उत्पादित की जाती है. भारत में आलू की फसल कई राज्यों की अहम फसल होती है. साथ ही उत्तर भारत में मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि राज्यों में सबसे ज्यादा उत्पादित की जाने वाली सब्जी के रूप में होती है. आलू के विभिन्न रोगों में से कुछ प्रमुख रोग आलू के दाग रोग (Early Blight), लेटल ब्लाइट (Late Blight), वायरस से होने वाले रोग (Viral Diseases), आलू का रूईदार रोग (Potato Cyst Nematode) आदि होते हैं. आज हम आपको इनमें से आलू की पत्तियों में होने वाले दाग रोग के बारे में बताने जा रहे हैं. आलू के दाग रोग (Early Blight) एक प्रमुख पत्तियों का रोग है जो आलू के पौधों को प्रभावित करता है. यह रोग प्रकृति में मौजूद कई प्रकार के फंगस से हो सकता है, जिनमें Alternaria solani और Alternaria alternata फंगस प्रमुख होते हैं. इस रोग के कारण पत्तियों पर गहरे बौने या काले रंग के दाग बन जाते हैं. यह दाग सामान्यतः पत्ती की परिधि से शुरू होते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं.
आलू के दाग रोग के प्रमुख लक्षण
- पत्तियों पर गहरे बौने या काले रंग के दाग
- दागों के आसपास पत्ती की परिधि पर पतला पीला या सफेद रंग का रिंग
- पत्तियों की आकार में कमी और सूखे हुए रंग की उपस्थिति
- पत्तियों का पतला होना और पत्ती में कटाव की उपस्थिति
- आलू के दाग रोग से सुरक्षा के उपाय
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स्वच्छ बीज चुनना: स्वच्छता के माध्यम से रोगों का प्रसार कम होता है, इसलिए रोगमुक्त बीजों का उपयोग करना चाहिए.
रोगप्रतिरोधी प्रजातियों का चयन करना: रोगप्रतिरोधी प्रजातियों को चुनकर आलू की खेती करनी चाहिए, जो दाग रोग के प्रति प्रतिरोधी हो सकती हैं.
संक्रमित पौधों का निकालना: जब भी संक्रमित पौधे या पत्तियां होती हुई दिखें तो उन्हे तुरंत निकाल देना चाहिए ताकि रोग का प्रसार रोका जा सके.
कीटनाशकों का उपयोग करना: गंभीर संक्रामण के मामलों में कीटनाशकों का उपयोग करना जरूरी हो सकता है.
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