कृषि कार्य करने के लिए किसानों के पास ये जानकारी होनी बहुत जरुरी है कि वो किस माह में कौन - सा कृषि कार्य करें. क्योंकि मौसम कृषि कार्य को बहुत प्रभावित करता है. इसलिए तो अलग- अलग सीजन में अलग फसलों की खेती की जाती है ताकि फसल की अच्छी पैदावार ली जा सकें. ऐसे में आइये जानते है कि सितंबर माह में किसान कौन -सा कृषि कार्य करें-
धान
• धान में बालियॉ फूटने तथा फूल निकलने के समय पर्याप्त नमी बनाएं रखने के लिए आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.
• धान के भूरे फुदके से बचाव के लिए खेत में पानी निकाल दें. नीम आयल 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए.
मक्का
• मक्का में अधिक बरसात होने पर जल-निकास की व्यवस्था करें.
• फसल में नर मंजरी निकलने की अवस्था एवं दाने की दूधियावस्था सिंचाई की दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण है. यदि विगत दिनों में वर्षा न हुई हो या नमी की कमी हो तो सिंचाई अवश्य करें.
ज्वार
ज्वार से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए वर्षा न होने या नमी की कमी होने पर बाली निकलने के समय तथा दाना भरते समय सिंचाई करें.
बाजरा
बाजरा की उन्नत/संकर प्रजातियों में नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा यानि 40-50 किग्रा (87-108 किग्रा यूरिया) की टाप ड्रेसिंग बोआई के 25-30 दिन बाद करें.
सोयाबीन
सोयाबीन में वर्षा न होने पर फूल एवं फली बनते समय सिंचाई करें.
मूँगफली
मूँगफली में खूंटिया बनते (पेगिंग) समय तथा फलियाँ बनते समय पर्याप्त नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार सिंचाई अवश्य करें.
गन्ना
पायरिला की रोकथाम के लिए अनुशंसित कीटनाशक से रोकथाम करें.
तोरिया
• तोरिया की बोआई के लिए सितम्बर का दूसरा पखवाड़ा सबसे उत्तम है.
• बुवाई के लिए सदैव उपचारिता बीज का प्रयोग करें.
सब्जियों की खेती
• टमाटर, विशेषकर संकर प्रजातियों व गाँठ गोभी के बीज की बोआई नर्सरी में करें.
• पत्तागोभी की अगेती किस्में जैसे-पूसा हाइब्रिड-2, गोल्डनएकर की बोआई 15 सितम्बर तक माध्यम व पिछेती किस्मे जैसे पूसा ड्रमहेड, संकर क्विस्टो की बुवाई 15 सितम्बर के बाद प्रारम्भ की जा सकती है.
• शिमला मिर्च की रोपाई पौध के 30 दिन के होने पर 50-60×40 सेन्टीमीटर की दूरी पर करें.
• पत्तागोभी की रोपाई सितम्बर के अन्तिम सप्ताह से शुरू की जा सकती है.
बागवानी
• आम में एन्थ्रैक्नोज रोग से बचाव के लिए कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा एक लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें.
• आँवला में फल सड़न रोग की रोकथाम के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें.
•केले में प्रति पौधा 55 ग्राम यूरिया पौधे से 50 सेंटीमीटर दूर घेरे में प्रयोग कर हल्की गुड़ाई करके भूमि में मिला दें.
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