भोजन में लगाना हो स्वाद का तड़का, या साम्भर को बनाना हो टेस्टी, या खिचड़ी, पुलाव को जायकेदार बनाना हो ,काली मिर्च का इस्तेमाल भारत के लगभग हर घर की रसोई में प्रतिदिन किया जाता है. पर क्या आप जानते है कि कालिमिर्ची में है कई औषधीय गुण, इसमें छिपे है कई आयुर्वेदिक गुण . यह कई बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ, उत्तम स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है.
काली मिर्च एक बारहमासी पौध है एवं इसकी पौध एक बेल के आकार में होती है. काली मिर्च की खेती दुनिया में सबसे पहले भारत में हुई थी, इस बजह से भारत को काली मिर्च की जन्मभूमि कहा जाता है. भारत देश के अलावा इसकी खेती दुनिया के अन्य देशों में भी की जाती है, जैसे इंडोनेशिया, बोर्नियो, मलय, लंका और स्याम आदि. मालाबार के जंगलों में यह पौधा अधिक संख्या में पाया जाता है. इसकी पत्तियों का आकार आयताकार होता है, एवं लम्बाई 12 से 18 सेंटीमीटर के बीच होती है और 5 से 10 सेंटीमीटर की चौड़ाई होती है. काली मिर्च के पौध की जड़ उथली हुई होती है. इसके पौधे की जड़ २ मीटर की गहराई में होती है. इस पर सफेद रंग के फूल निकलते है. किसान भाई ये एक बहुत ही महवपूर्ण फसल है जिसकी खेती से आप काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं, इसके साथ ही इस लेख में पढ़िए काली मिर्च के सेवन से होने वाले विशेष फायदों के बारे में-
काली मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
यह एक उष्णकटिबंधीय पौध है. जो अधिक ठण्ड सहन नही कर सकता. इसकी खेती के लिए लिए हल्की ठण्ड वाली जलवायु उत्तम मानी जाती है. 10 से 12 डिग्री सेल्सियस के तापमान में इसकी खेती उचित नहीं होती है एवं इसका पौधा वृद्धि नहीं कर सकता. काली मिर्च की फसल में 2000 मिली मीटर की वार्षिक वर्षा का होना जरूरी होता है.
काली मिर्च की खेती के लिए भूमि का चुनाव
लाल मिट्टी और लाल लेटेराइट मिट्टी इसकी खेती के लिए उत्तम होती है, साथ ही मिट्टी में जल धारण करने की क्षमता होनी चाहिए. काली मिर्च की खेती के लिए भूमि का पी. एच. मान 5 से 6 के बीच होना चाहिए.
काली मिर्च के रोपण का तरीका
काली मिर्च के पौधे की रोपाई करने के लिए कलमों का उपयोग किया जाता है. इसकी एक या दो कलमों को काटकर सितम्बर के मध्य माह में रोपित करें. इसकी कलमों को एक कतार में लगाना चाहिए एवं इसके साथ कलमों को लगाते समय इनके बीच की दुरी का ध्यान रखना चाहिए. एक हेक्टेयर भूमि पर 1666 पौधे का रोपण किया जाता है. चूँकि ये बेलाकर होती है इसलिए इसकी पौध को ३० या 45 मीटर तक की ऊंचाई वाले पेड़ पर चढ़ाया जाता है. इनके फलों को आसानी से तोड़ने के लिए इस पौध की बेल को केवल 8 से 9 मीटर की ऊंचाई तक ही बढ़ने दिया जाता है. काली मिर्च का एक पौधा कम से कम 25 से 30 साल तक फलता – फूलता है.
काली मिर्च की फसल के लिए उपयुक्त उर्वरक
काली मिर्च के फसल में जैविक खाद और कराल खाद की 5 किलोग्राम की मात्रा को मिलाना चाहिए. भूमि में पी. एच. मान के अनुसार अमोनिया सल्फेट और नाइट्रोजन को मिलाना चाहिए. इसके साथ ही फसल में 100 ग्राम पोटेशियम की मात्रा के साथ ही, मैग्नीशियम सल्फेट की 750 ग्राम की मात्रा को भूमि में मिलाना चाहिए. जिस भूमि में एसिड होता है, उसमे 500 ग्राम डोलामाइटिक चूना को २ साल में एक बार जरुर प्रयोग करना चाहिए.
खेती के लिए सिंचाई करने का तरीका
इसकी सिंचाई वर्षा पर आधारित होती है. यदि किसी कारण से बारिश कम हो तो आवश्यकता होने पर काली मिर्च की फसल में सिंचाई करनी चाहिए.
फल की प्राप्ति
इसमें जुलाई माह के बीच सफेद और हल्के पीले फूल निकलते है. इसके फल जनवरी से मार्च के बीच में पककर तैयार हो जाते हैं. इसका फल गोल आकार में 3 से 6 मिलीमीटर का होता है. दक्षिण अफ्रीका में इसकी फसल नवम्बर से जनवरी के महीने में पककर तैयार हो जाती है. इसके फल के सूखने पर हर एक पौधे में से 4 से 6 किलोग्राम गोल काली मिर्च प्राप्त हो जाती है. इसके हर एक गुच्छे में 50 से 60 दाने रहते है. पकने के बाद इन गुच्छों को उतारकर भूमि में या चटाईयां बिछाकर रख दिया जाता है. इसके बाद हथेलियों से दानों को रगड़कर अलगकर दिया जाता है एवं इसके बाद इन्हें 5 या 7 दिन तक धूप में सुखाया जाता है. जब काली मिर्च के दाने पूरी तरह से सूख जाते है तो इनमें सिकुड़न आ जाती है और झुर्रिया हो जाती है. इन दानों का रंग गहरा काला हो जाता है.
काली मिर्च की फसल में लगने वाले रोग एवं कीट
इसकी फसल में आमतौर पर जड़ सड़ांध जैसी बीमारी लग जाती है. इसके चलते इसके पौध की पत्तियां कमजोर हो जाती हैं. यह रोग गीली और खराब मिट्टी में अधिक फैलता है. इस बीमारी से प्रभावित होकर पौधा 10 दिन के अंदर मर जाता है. इसकी फसल में कई प्रकार के परजीवी निमेटोड कीट पाए जाते हैं जैसे जड़ गांठ निमेटोड, सर्पिल निमेटोड, चाकू निमेटोड, और अंगूठी जिसके कारण पौध की जड़ को नुकसान पहुंचता है. इसकी रोकथाम नर्सरी बनाते समय ही शुरू कर देनी चाहिए
उपज
काली मिर्च की लताएं रोपण के बाद 7 वें या 8 वें वर्ष में पूर्ण असर अवस्था प्राप्त कर लेती हैं, और 20 से 25 वर्षों के बाद यह घटने लगती है. उसके बाद पुन: रोपण करना पड़ता है. 7 से 8 साल पुराने एक हेक्टेयर के पौधे से लगभग 800 से 1000 किलो कालीमिर्च मिलती है.
काली मिर्च के लाभ
1. सर्दी, खांसी और जुकाम से पीड़ित लोगों के लिए काली मिर्च एक बेहतरीन औषधि के रूप में कार्य करती है.
2. रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है.
3. ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए उपयोगी है.
4. शरीर की सूजन को कम करती है.
5. दिमाग को तेज एवं स्वस्थ रखने के लिए लाभप्रद है.
नयी शोध
वर्ल्ड जनरल ऑफ़ फार्मास्यूटिकल रिसर्च की एक शोध में काली मिर्च पर गहन अध्ययन किया गया है. इस शोध में खुलासा हुआ है कि काली मिर्च कई बीमारियों का रामबाण इलाज है. दुनिया में काली, सफ़ेद, हरी और लाल चार प्रकार की काली मिर्च पाई जाती हैं. यह सेहत और सुंदरता दोनों के लिए फायदेमंद साबित होती है. इसके साथ ही हाल ही में यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सिलवेनिया द्वारा किए शोध में पता चला है कि काली मिर्च में 'पाइपरलोंग्यूमाइन या पीपरलूमिनिन' नामक रासायनिक यौगिक पाया जाता है, जो ब्रेन ट्यूमर सहित कई अन्य प्रकार के ट्यूमर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को खत्म कर सकता है.
कालीमिर्ची में कई औषधीयगुण हैं, भारतीय बाजार के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी कालीमिर्ची की मांग है. इसके फल को बाजार के साथ-साथ औषधीय कंपनियों में भी बेचा जा सकता है. इसकी खेती से किसान भाई अपनी कमाई दुगुनी कर सकते है . खेती बाड़ी से सम्बंधित जानकारियां जानने के लिए पढ़ते रहिये कृषि जागरण हिंदी पोर्टल.
Share your comments