बच एक बारहमासी औषधीय पौधा है. इसकी खेती पहाड़ी क्षेत्रों, मणिपुर और नागा की पहाड़ियों पर होती है. इसका उपयोग बड़े स्तर पर आयुर्वेदिक दवाईयां बनाने के लिए होता है. भारत के अलावा हालैंड, बर्मा, अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इसकी खेती होती है. इसकी लंबाई 2 से 2.5 मीटर तथा पत्तियां नुकीली होती हैं. यह एक प्रसिध्द औषधीय पौधा है और इससे अनिद्रा, पेट की बीमारियां, सांस रोग, बुखार और हिस्टरिया जैसे रोगों के इलाज के लिए दवाइयां बनाई जाती हैं.
खेती का तरीका
तापमान
बच की खेती के लिए 10 से 38 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरुरत होती है. इसकी फसल को वार्षिक 70 से 250 सेंटीमीटर तक की बरसात की जरूरत होती है. इसकी बुवाई जुलाई से अगस्त महीने के बीच होती है.
रोपाई
बच को बीजों या कंदों के माध्यम से लगाया जाता है. खेत में लगाने से पहले कंदों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटने के बाद ही उसकी रोपाई करें. दो सप्ताह बाद यह अंकुरित होना शुरु हो जाता है. याद रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर तक ही रखना चाहिए.
खाद
बच की अच्छी फसल के लिए खेतों में गोबर की खाद या कम्पोस्ट देन बहुत ही जरूरी होता है. आपको प्रति एकड़ 6 से 10 टन खाद की जरुरत होती है. आप पशुओं की अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिला सकते हैं. रासायनिक उर्वरक के रूप में प्रति एकड़ खेत मे नाइट्रोजन 18 किलो, फास्फोरस 5 किलो और पोटाश की मात्रा 5 किलो तक होनी चाहिए.
सिंचाई
बच की खेती में काफी मात्रा में पानी की जरूरत होती है. बरसात के दौरान आपको सिंचाई करने की जरूरत नहीं होती हैं. गर्मियों के दिनों में सप्ताह में एक या दो बार पौधों की सिंचाई जरूर करें.
कटाई
बच की फसल 8 से 9 महीने के भीतर तैयार हो जाती है. इसको जड़ सहित जमीन से बाहर निकाल लिया जाता है. मिट्टी से निकालने के बाद इसे अच्छी तरह से धोया जाता है और फिर इसे छायादार जगह पर सूखने के लिए रखा जाता है.
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कमाई
बच के सूखे जाने के बाद इससे सुगंधित तेल निकाला जाता है. इस सुगंधित तेल की बाजार में कीमत 2 से 3 हजार प्रति किलोग्राम है. वैश्विक बाजार में इसकी कीमत 8 से 9 हजार रुपये तक है. आप किसान भाई भी इसकी खेती कर लाखों रुपये तक की कमाई आराम से कर सकते हैं.
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