सौंफ (Fennel) भारत देश में काफी लोकप्रिय है और इसकी रफ़्तार अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी तेज़ रहती है. ऐसे में सौंफ की खेती कर आप अपना जीवन संवार (Fennel Cultivation Profit) सकते हैं. बता दें कि यह वार्षिक जड़ी बूटी यूरोप की है. इसके बीजों को सुखाने के बाद ज्यादातर मसाले के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही सौंफ फाइबर, विटामिन सी, पोटेशियम का अच्छा स्रोत है जिसकी वजह से यह हमेशा डिमांड में रहता है. तो आइये जानते हैं सौंफ की खेती (Fennel Farming) कैसे की जाती है.
सौंफ की खेती कैसे करें (How to Cultivate Fennel)
सौंफ की खेती (Saunf Ki Kheti) रबी की फसल के रूप में की जाती है. भारत सौंफ का शीर्ष उत्पादक है. इसमें राजस्थान, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा प्रमुख सौंफ उत्पादक राज्य हैं. वहीं सौंफ अपने औषधीय गुण की वजह से जानी जाती हैं जैसे कि इसका सबसे ज़्यादा उपयोग पाचन के लिए किया जाता है. इसके अलावा कब्ज, दस्त, गले के दर्द, सिरदर्द आदि के इलाज के लिए भी किया जाता है.
सौंफ की खेती के लिए मिट्टी (Soil for Fennel Cultivation)
कार्बनिक पदार्थों से भरपूर सभी मिट्टी सौंफ की खेती (Fennel Farming Soil Condition) के लिए उपयुक्त होती है. यह अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट से दोमट मिट्टी में उगाने पर गजब के परिणाम देती है. सौंफ की खेती के लिए उथली मिट्टी से बचना जरूरी है. बता दें कि मिट्टी का पीएच 6.5 से 8 के बीच होना चाहिए.
सौंफ की किस्में (Fennel Seed Varieties)
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लोकल: यह किस्म 150 सें.मी. की ऊंचाई तक बढ़ती है. और यह बुवाई के 185-190 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
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आरएफ 101: 155-160 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. यह 5 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज देती है.
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गुजरात सौंफ 1: 255 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. यह सूखे की स्थिति में भी जीवित रह सकती है. साथ ही यह 6 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज देती है.
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आरएफ 35: यह किस्म 225 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. यह लीफ स्पॉट और शुगर रोग के लिए प्रतिरोधी होती है. इसकी 2 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज होती है.
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CO 1: यह सौंफ 220 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी खेती खारे, जल भराव वाले क्षेत्रों में की जा सकती है. इसकी 3 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज होती है.
बुवाई का समय (Time of sowing)
लंबी अवधि की फसल होने के कारण इसकी बुवाई अक्टूबर में करे तो अच्छा परिणाम आता है.
अंतर (Spacing)
दो पंक्तियों के बीच 45 सेमी और दो फसलों के बीच 10 सेमी की दूरी का होनी चाहिए.
बुवाई की गहराई (Sowing Depth)
बीज को 3-4 सें.मी. की गहराई पर बोयें.
बुवाई की विधि (Sowing Process)
सौंफ को सीधे बोया जा सकता है जबकि कुछ क्षेत्रों में इसे पहले नर्सरी में उगाया जाता है और फिर मुख्य खेत में रोपित किया जाता है.
खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)
खरपतवार की तीव्रता के आधार पर इसकी एक या दो बार निराई-गुड़ाई करें. खरपतवार के रसायन को नियंत्रित करने के लिए पेंडीमेथालिन 1 लीटर प्रति एकड़ पर डालें.
सिंचाई (Irrigation)
सौंफ (Saunf) के बीजों के बेहतर अंकुरण के लिए बुवाई से पहले सिंचाई करें. पहली सिंचाई बुवाई के 10-15 दिन बाद करें. मिट्टी के प्रकार और जलवायु के आधार पर शेष सिंचाई 15-25 दिनों के अंतराल पर करें. फूल आने और बीज बनने की अवस्था में पानी देने से बचें.
कटाई (Harvesting)
उपयोग की गई किस्म के आधार पर फसल 180 दिनों में यानी अप्रैल के अंत या मई के अंत में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. जब फलियां अपना रंग हरे से हल्के पीले रंग में बदल लें तो कटाई शुरू कर दें. फिर इसको 1-2 दिन धूप में और लगभग 8-10 दिन छाया में सुखाया जाता है.
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