अब बिना छिलका हटाए लें देसी खीरे का स्वाद
अगर आने वाले समय में सब ठीक रहा तो आप बेमौसम में भी आसानी से पतले छिलके और बिना बीज वाले देशी खीरे का मजा ले सकते है. दरअसल बिहार के भागलपुर में कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इस पर शोध कार्य शुरू कर दिया है, साथ ही विश्वविद्द्यालय में खीरे का फलन भी शुरू हो गया है. वैज्ञानिक उसकी गुणवत्ता की परख कर रहे है, उन्हें उम्मीद है कि इस नई किस्म का देसी लुक लिए खीरा लोगों के बीच काफी बेहतर पसंद बनेगा।
खीरे में खास क्या है
सब्जी विभाग के अध्यक्ष डॉ. रणधीर कुमार और प्रधान वैज्ञानिक ने संयुक्त रूप से इस बात की जानकारी दी कि पॉली हाउस में पैदा होने वाली यह खीरे की नई किस्म होती है. सामान्य तौर पर हाईब्रिड वाले खीरे में काटे नहीं देखने को मिलते हैं. किसान अभी तक जो देसी खीरा उगा रहे थे और उसके अन्य देशी खीरे के मुकाबले में अच्छा होगा. खीरे में कोई बीमारी भी नहीं लगेगी. इस खीरे में कड़वापन नहीं होगा. अभी तक देश में इस तरह की खीरे की किस्म का विकास नहीं किया गया है. यह बेहद ही नई उपज और शोध है जिसका आने वाले समय में फायदा होगा.
ऐसी होगी खीरे की खेती
खीरे की संरक्षित खेती पॉली हाउस के शेड में ही संभव है. उसमें फसल के अनुसार तापमान और वातावरण दिया जाता है. साथ ही बाहरी कीट फसल और पौधे को नुकसान नहीं कर पाते हैं. इससे उसकी गुणवत्ता काफी ज्यादा होती है. कई बार अनुकूल वातावरण की वजह से बेमौसम में भी फसल उत्पादित करना काफी ज्यादा संभव हो जाता है. जिस तरह से खुले में फसल लगाई जाती है उसी तरह से पॉली हाउस के अंदर भी फसल लगाने का कार्य किया जाता है. आमतौर पर खीरा की खेती खुले आसमान में कर देने से एक पौधे में नर और मादा का अलग-अलग फूल होता है. फूल पर मधुमक्खी सहित अन्य कीट बैठकर पर परागन की क्रिया संपन्न कराते हैं, जिससे उसमें फल आता है। इससे फल में कई कीट बीमारी भी लगती है, इससे उत्पादन कम होता है। यदि शोध पूरी तरह से सफल हो गया तो जल्द ही बाजार में खीरा खाने के लिए उपलब्ध होगा.
नई किस्मों पर शोध जारी
किसानों को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लागातर खीरे की नई फसलों की किस्म पर शोध कर रहे हैं, खीरे पर भी अलग तरह का शोध जारी है जिससे आने वाले समय में किसानों को फायदा होगा.
Share your comments