केंद्र सरकार द्वारा संचालित ‘सिस्टम ऑफ़ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च सेंटर’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल दिल्ली के समग्र प्रदूषण में से 32 प्रतिशत प्रदूषण का कारण पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली है. सरकार के अलग-अलग प्रयासों के बाद भी किसानों का पराली जलाना जारी है. ऐसे में किसान पराली को जलाने के स्थान पर निम्नलिखित फसल अवशेष प्रबंधन उपाय को अपनाकर पर्यावरण को प्रदूषण से बचायें और भूमि की उर्वरा शक्ति बढायें.
1. खाद बनाएं
1. स्थानीय विधि से फसल अवशेषों में यूरिया का स्प्रे करके खाद बनाएं.
2. किसान छिद्रयुक्त टैंक में लैब में प्रयुक्त होने वाले सूक्ष्मजीवों के मिश्रण का प्रयोग करके खाद बनाए.
3. किसान मौसम के अनुसार खाद को खुले में या खड्डे में बना सकते है.
2. फसल अवशेष को मिटटी में मिलाएं
निम्न कृषि यंत्रों के द्वारा किसान फसल अवशेष को मिटटी में मिलाएं और अवशेषों को धरती माता का आहार बनाएं
1. स्ट्रॉ चोपर से फसल अवशेषों को बारीक तुक्रों में काटकर भूमि पर फैलाएं. तत्पश्चात हैप्पी सीडर द्वारा गेहूं की सीधी बिजाई करें.
2. फसल अवशेष को मल्चेर द्वारा मिटटी में मिलाएं. प्रतिवर्ती हल द्वारा फसल अवशेष को मिटटी में दबाएं. अपघटन द्वारा खाद बनाएं.
3. स्ट्रॉ चोपर, हे-रैक, स्ट्रॉ बेलर का प्रयोग करके फसल अवशेषों की गांठे बनाएं.
4. जीरो ड्रिल, रोटावेटर, रीपर- बाइंडर व अन्य स्थानीय उपयोगी व सस्ते कृषि यंत्रों को भी फसल अवशेष प्रबंधन हेतु अपनाएं.
3. ऊर्जा बनाएं
फसल अवशेष की गांठों को बायोमास प्लांट, बायोगैस प्लांट अथवा एथेनॉल प्लांट में पहुंचाएं और प्रति एकड़ 6000 से 7000 रु कमायें.
4.बायोचार बनाएं
किसान भाई भट्ठी का प्रयोग करके बायोचार (एक प्रकार का कच्चा कोयला ) बनायें. बायोचार का खाद के रूप में प्रयोग करके भूमि का थोक घनत्व एवं छिद्रता बढ़ा कर फसलों की अधिक उपज करें.
5. घरेलू प्रयोग
1. बेलर- गीज़र में पानी गर्म करने के लिए प्रयोग करें.
2. छतों पर इंसुलेशन द्वारा कमरों को गरम व ठंडा रखें.
3. फसल अवशेष की गांठों से पशुओं का चारा बनाएं.
4. पशुओं के लिए बिछावन रूप में प्रयोग करें.
6. उद्योगों में उपयोग
किसान आस पास के राइस मिल, गत्ता फैक्ट्री, पेपर मिल, कांच व सैनेटरी के सामान को पैक करने वाली उद्योग व अन्य जरुरत के सामानों को कारखानों को बेचकर पैसा कमायें और अपनी आमदनी बढ़ाएं.
7. पराली को ज़मीन में मिलाने के लाभ
फसल अवशेषों को खेत में मिलाने से मिटटी और अधिक उपजाऊ हो जाती है तथा एक टन पराली ज़मीन में मिलाने से निम्नानुसार पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है:
1. नाइट्रोजन : 20-30 किलोग्राम
2. सल्फर : 4-7 किलोग्राम
3. पोटाश : 60-100 किलोग्राम
4. आर्गेनिक कार्बन : 1600 किलोग्राम
इन सब से किसान को 1500-2000 रूपये प्रति हेक्टेयर का लाभ होगा. किसान सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभ का अधिक से अधिक फायदा उठा कर अपनी आजीविका बढ़ा सकते हैं साथ ही पर्यावरण को भी प्रदूषण मुक्त रख सकते हैं.
सरकार द्वारा किसानों के हित में लिए गए कुछ कदम:
1. किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी खरीदने हेतु 50 प्रतिशत तक का अनुदान.
2. फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के कस्टम हिरिंग केंद्र स्थापित करने हेतु 80 प्रतिशत तक का अनुदान.
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा की विभिन्न स्कीमो की विस्तृत जानकारी हेतु विभाग की वेबसाइट www.agriharyana.in एवं www.agriharyana.nic.in पर संपर्क करें.
डॉ तनवी एवं डॉ अंकित कुमार
सूक्ष्म जीव विभाग, सी सी एच एच ए यू, हिसार (हरियाणा)
पशु औषधि विज्ञान विभाग, लुवास, हिसार (हरियाणा)
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