पॉली हाउस खेती (Poly House Farming) में एक ऐसी तकनीक है जिसके माध्यम से ऑफ सीजन में भी सब्जियों तथा फूलों की खेती आसानी से की जाती है. यह तकनीक प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों में एक असरकारक सिद्ध हुई है. सब्जियों या फूलों का चुनाव पॉली हाउस संरचना, सब्जियों या फूलों की बाजार में मांग और बाजार कीमत पर निर्भर है. यह एक संरक्षित खेती है जिसमें सब्जियों में ककड़ी, लौकी, शिमला मिर्च, खीरा, गोभी, टमाटर आदि तथा फूलों की खेती में जरबेरा, कारनेशन, गुलाब, अन्थूरियम आदि को पॉली हाउस में उगाया जाता है. घटती जोत और अधिक मुनाफे के कारण भी किसान इस प्रकार की खेती का रुख कर रहे है.
पॉली हाउस खेती को शुरू करने की कार्य योजना (Action plan to start poly house farming)
पॉली हाउस खेती शुरू करने के लिए प्रशिक्षण लेना आवशयक है इसके लिए कृषि अधिकारी या नजदीकी कृषि विज्ञान केन्द्र या कृषि विश्वविद्यालय के लिए संपर्क किया जा सकता है. या सफल किसान जिसने यह पॉली हाउस लगाया है और खेती कर रहा है, उससे भी इस खेती के बारे में जाना जा सकता है. लेख के अन्तः में भी प्रशिक्षण के बारे में जानकारी दी गई है. राष्ट्रीय बागवानी मिशन के माध्यम से पॉली हाउसों को बढ़ावा राज्य सरकारों द्वारा दिया जा रहा है. जिससे पॉली हाउसों के माध्यम से खेती करने वाले किसानों की आर्थिक दशा तेजी से बदल रही है. किसान सब्जी और फूल का उत्पादन कर रहे हैं. सरकार पॉली हाउस बनाने के लिए लगभग 47-65 प्रतिशत तक सब्सिडी के रूप में देती है, वैसे अलग अलग राज्यों में अलग-अलग सब्सिडी का प्रावधान रखा गया है. पॉली हाउस बनाने के लिए 500 से 4000 वर्ग मीटर क्षेत्र के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी प्रावधान है.
पॉली हाउस का स्ट्रक्चर स्टील से बनाया जाता है है और प्लास्टिक की सीट से ऊपर का हिस्सा ढका जाता है. यह शीट 200 माइक्रान मोटाई वाली पारदर्शी एवं पराबैंगनी किरणों से प्रतिरोधी पॉलीथीन चादर होती है. एक बार पॉली हाउस स्ट्रक्चर बन जाने पर कम से कम 10 साल तक काम करता है. तेज हवा चलने और धूप से प्लास्टिक सीट को हर दो तीन साल बाद बदलना पड़ता है. हालांकि इस पर बहुत कम खर्चा आता है. पॉली हाउस से तेज धूप और तेज बरसात से फूल व सब्जी के पौधों का बचाव हो जाता है. इसके साथ ही इन फसलों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार बना रहता है. पॉली हाउस में किसान बेमौसम सब्जी के साथ गेंदा, जरबेर, गुलदाउदी, रजनीगंधा आदि फूल भी उगा रहे हैं.
पॉली हाउस बनाने में लगाई गई लागत (Estimated Cost for build poly house)
1000 वर्ग मीटर क्षेत्र में पॉली हाउस बनाने में लगभग 10 लाख रुपये का खर्चा आ जाता है तथा 4000 वर्ग मीटर क्षेत्र में यह लागत लगभग 35 लाख आती है. इसके लिए नाबार्ड बैंक की तरफ से लोन भी दिया जाता है. छोटे किसान 500 वर्ग मीटर तक का भी पॉली हाउस बना सकते हैं. पहले गिने चुने लोग इसके लिए आगे आते थे. अब किसानों का रुझान इधर बढ़ा है.
पॉली हाउस निर्माण में रखी जाने वाली सावधानियां (Precautions to be taken in poly house construction)
पॉली हाउस जमीन से नीचे नही अपितु कुछ ऊंचाई पर उठा होना चाहिए. ताकि नमी या जल न रुके. जमीन की ढाल ऐसी होनी चाहिए कि सतह का पानी पॉली हाउस से दूर रहें. अन्यथा फसल में रोग आने की संभावना बढ़ जाती है. पॉली हाउस ऐसे क्षेत्र में होना चाहिए जहां बाजार से कम दूरी, यातायात के साधन आदि की सुविधा रहे. पॉली हाउस के पास बड़ा पेड़ या छाया नही रहनी चाहिए. बाजार की मांग के अनुसार फसल का चयन किया जाना चाहिए. सरकार के प्रोत्साहन से गाज़ियाबाद के आसपास किसानों ने पॉली हाउस में बड़े स्तर पर सब्जी और फूलों की खेती करने लगे हैं.
पॉली हाउस के फायदे (Advantages of Poly house)
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पॉली हाउस के अन्दर लगी सब्जियों को जैविक एवं प्राकृतिक झंझावतों से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है.
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पॉली हाउस प्रति इकाई क्षेत्र उत्पादन, उत्पादकता एवं गुणवत्ता को बढ़ा देता है.
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पॉली हाउस में वर्ष भर उत्पादन लिया जा सकता है.
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पॉली हाउस में बेमौसम सब्जी उगाने के साथ कीटनाशक खर्चे में भी कमी आती है.
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पॉलीहाउस में सब्जियों का उत्पादन सामान्य खेती की तुलना में 3-4 गुना ज्यादा होता है.
सम्पर्क सूत्र (For contact)
पॉली हाउस में दक्षता के लिए इन स्थानों पर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं (You can get training at these places for efficiency in poly houses):
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कृषि विज्ञान केंद्र शारदानगर, मैल्गांव कॉलोनी, बारामती, जिला- पुणे, महाराष्ट्र, मोबाइल: 9923071265, कार्यालय:-02112-255207/27
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संकुल 'डी -8, डीएमएच के आगे, ईरंद्वाना पुणे महाराष्ट्र, मोबाइल: +919823120381, +91-20-25440659
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एन आई पी एच टी बागवानी प्रशिक्षण केंद्र एस.एन. 398-400, सीआरपीएफ कैम्पस, पुणे मुंबई राजमार्ग, तालेगांव दाभाड़े, ताल. मावल, जिला. पुणे, दूरभाष: 02114-223980 फैक्स: 02114-226087 अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कृषि विभाग के उधान विभाग में या किसान हेल्पलाइन नम्बर 1800-180-1551 पर भी सम्पर्क किया जा सकता है.
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