चॉकलेट नाम सुनते ही सभी के मुंह में पानी आ जाता है और आए भी क्यों ना इसका स्वाद होता ही ऐसा है, क्या आपने कभी चॉकलेट की खेती के बारे सोचा है. अगर नहीं सोचा है तो अब सोच लीजिए क्योंकि ये एक बंपर मुनाफे के लिए शानदार खेती है. अब हम एक-एक करके वो सभी तरीके बताएंगे जो चॉकलेट की खेत में अपनाए जाते हैं. आपको बता दें कि चॉकलेट बनाने के लिए कोको की खेती की जाती है. कोको दुनिया भर में उगाई जाने वाली एक मशहूर फसल है. केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चॉकलेट की लोकप्रियता बड़े स्तर है. क्योंकि इसकी मांग बहुत ज्यादा है. चॉकलेट के प्रति लोगों का प्रेम कभी कम नहीं हुआ बल्कि दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है. और इसीलिए कोको की खेती कमाई के लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है. खास बात ये है कि काजू और कोको विकास निदेशालय देशभर में एक बेहतरीन योजना के तहत कोको की खेती को बढ़ावा देने में जुटे हैं. कोको एक निर्यात और नगदी फसल है. हमारे देश में जहां-जहां कोको की खेती मुख्य रूप से की जाती है वहां ऐसी 10 बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं जो कोको पाउडर, कोको बटर, चॉकलेट, बीन और ऐसे कई प्रकार के अन्य कोको के प्रोडक्ट को निर्यात करती हैं.
कहां होती है कोको की सबसे ज्यादा खेती? (Where is the maximum cultivation of cocoa?)
बीसवीं सदी के शुरुआत में एमेजॉन मूल से कोको की फसल भारत में लाई गई थी. भारत में कोको की खेती मुख्य रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, और केरल जैसे राज्यों में की जाती है. कोको विकास निदेशालय के मुताबिक कोको की फसल मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका में पाई जाती है.
कोको की खेती के तरीकें
कोको की खास बात यह है कि इसे इंटर क्रॉपिंग या फिर मुख्य फसल के रूप में भी उगाया जा सकता है. इंटरक्रॉपिंग का मतलब है कि कोको की खेती दूसरी फसलों के बीच में भी की जा सकती है. उदाहरण के तौर पर आप नारियल या सुपारी के बगीचे में कोको की खेती भी कर सकते हैं. जिन किसानों को अपनी फसलों के बदले अच्छा दाम नहीं मिलता या सिर्फ फसलों की बिक्री कमाई नहीं देती तो वह कोको की खेती आजमा कर सटीक मुनाफा कमा सकते हैं.
कोको की खेती के लिए क्या रखें सावधानी
अगर आप कोको की खेती मुख्य रूप से करने का विचार कर रहे हैं तो 1 एकड़ जमीन पर 400 पौधे लगाए जा सकते हैं. दो सीडलिंग्स के बीच कम से कम 4 मीटर की दूरी होनी जरूरी है. कोको के अच्छे उत्पादन के लिए इसके पौधों को पर्याप्त मात्रा में धूप मिलना जरूरी है. कोको की उन्नत खेती के लिए सूखी मिट्टी का इस्तेमाल करें. हाइब्रिड सीडलिंग का इस्तेमाल करने का यह लाभ है कि प्रत्येक फली से अधिक से अधिक फलियों मिल सकती हैं.
कोको की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी
कोको की खेती के लिए ऐसी जलवायु उपयुक्त है जहां का तापमान 18° से 32° के बीच रहता हो. वैसे तो कोको की खेती कई तरह की मिट्टी में की जा सकती है. अगर गहरी और समृद्ध मिट्टी का उपयोग हो तो ज्यादा अच्छा है.कोको की नियमित रूप से खेती करने के लिए ऐसी मिट्टी चुनें जिसमें नमी बनी रहे और कोको की खेती करने का सबसे उचित समय मानसून के शुरुआत में होता है.
कोको की खेती के लिए खाद और उर्वरक
जो किसान कोको की खेती से बेहतर पैदावार देख पा रही हैं उनका कहना है कि खाद कोको की खेती के लिए एक अच्छा उर्वरक है. इसकी वजह ये है कि कोको बिना देखभाल के 3 साल के भीतर बेहतरीन पैदावार देने के लिए सक्षम है. किसानों के अलावा अगर गृहिणियां भी चाहे तो चार या पांच पेड़ों के माध्यम से एक अच्छी आय अर्जित कर सकती हैं. कोको को रसोई के बेकार पानी का इस्तेमाल करके छोटे पैमाने पर उगाया जा सकता है.
उत्पादन और मुनाफा
बाजार में कोको लगभग 200 रुपए प्रति किलोग्राम मिलता है. फर्मेंटेड कोको बीन्स और भी ज्यादा महंगे होते हैं.कोको की खेती करने से सबसे बड़ा फायदा यह है कि इस फसल से पूरे साल 100% उपज होती है. आपको यह जानकर खुशी होगी कि यह फसल आपकी कमाई के लिए एकदम सुरक्षित है.
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