Chemical Fertilizer: कृषि में उर्वरक का प्रयोग पौधों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है. आज भारत ही नहीं वरन विश्व के सभी देश ज्यादा फसल के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों (Chemical Fertilizer) का प्रयोग कर रहे हैं. भारत में खाद का प्रयोग की बात करें तो यह आज़ादी के बाद भारत में एक बड़े बिजनेस के रूप में उभर कर कृषि जगत में आया है. लेकिन क्या हम जानते हैं कि भारत में इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई? आज हम आपको भारत में खाद की शुरुआत से लेकर उसके विशाल कारोबार तक की पूरी जानकारी देंगें.
कब से हुई भारत में खाद की शुरुआत
भारत में रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) की रणनीति आजादी से पहले ही बन गई थी. भारत में इसकी शुरूआत अच्छी फसल की पैदावार को लेकर तब की गयी थी जब बंगाल में अकाल की स्थिति बन गयी थी. सरकार ने ऐसी परिस्थितियों के लिए ज्यादा फसल की पैदावार और अनाज एकत्रीकरण को बढ़ावा देने के लिए इसकी शुरुआत की थी. भारत में पहली रासायनिक उर्वरक खाद (Chemical Fertilizer) की फैक्ट्री की शुरुआत के प्रयास वर्ष 1930 के दशक में शुरू कर दिए गए थे. उस समय भारत के बंगाल प्रांत में अकाल के कारण भुखमरी के हालात पैदा हो गए थे.
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लोगों के पास न ही खाने को अनाज रह गया था और न ही पैसा जिससे वे अपने घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए गुजारा कर सकें. स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने वर्ष 1930 में शुरू की गई योजना की शुरूआत आजादी के बाद झारखंड के जिला सिंदरी में उर्वरक प्लांट (Sindri fertilizer plant) का प्रारम्भ कर किया गया. इसकी शुरुआत उस समय हरित क्रांति के लिए एक अहम कदम था. इस उर्वरक प्लांट (Sindri fertilizer plant) के निर्माण के शुभारम्भ की तारीख 02 मार्च 1951 थी. उस समय के तात्कालिक प्रधानमंत्री नेहरू ने इस कार्य योजना का उद्घाटन कर यह प्लांट को देश को समर्पित किया था. वर्तमान में कुछ कारणों से यह फैक्ट्री बंद कर दी गयी है. साथ ही इसके सभी कर्मचारियों को भी रिटायर कर दिया गया है.
वर्तमान में रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) के लिए अन्य बड़ी कंपनियां
आजादी के बाद से लेकर भारत में कई बड़ी कंपनियां इस बाज़ार में उभर कर आई हैं. इनमें प्रमुख कंपनियों के नाम निम्न हैं:
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Coromandel International Limited
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Chambal Fertilizers & Chemicals Limited
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Gujarat Narmada Valley Fertilizers & Chemicals Limited.
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Rashtriya Chemicals & Fertilizers Limited
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Fertilizers & Chemicals Travancore Ltd.
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National Fertilizers Ltd.
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Tata Chemicals Ltd.
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Mangalore Chemicals & Fertilizers Limited
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Southern Petrochemical Industries Corporation Limited
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Zuari Agro Chemicals Limited
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Deepak Fertilizers & Petrochemicals Corporation Limited
रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) की खपत
विश्व में यदि हम Chemical Fertilizer के उपयोग की बात करें तो विश्व में उत्पादित कुल रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) का 40 प्रतिशत केवल भारत और चीन के द्वारा उपयोग में लाया जाता है. भारत में अभी तक रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) की खपत 25.6 मिलियन टन लगभग है. लेकिन एक अनुमान के तौर पर यह आंकड़ा वर्ष 2025 तक 300 मिलियन टन तक होने की संभावना है. भारत में वर्तमान में सबसे बड़ी Chemical Fertilizer कंपनी “भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (IFFCO)” है. यह कंपनी भारत में एक बहुत बड़े स्तर पर रासायनिक खाद का उत्पादन करती है. वर्ष 2022-23 में इस कंपनी ने 95.62 लाख मीट्रिक टन खाद का उत्पादन किया है.
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रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) में प्रयोग होने वाले केमिकल्स (Chemicals)
पौधों में प्रयुक्त होने वाली यह रासायनिक खाद कई तरह के केमिकल्स से बनाये जाते हैं. यह केमिकल मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ा कर पौधों के उत्पादन क्षमता की वृद्धि करती हैं. रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) में प्रयुक्त होने वाले केमिकल्स (Chemicals) में निम्न प्रमुख होते हैं:
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Urea (यूरिया)
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Di Ammonium Phosphate (D.A.P.) (डाई अमोनियम फास्फेट (डी. ए.पी.)
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Super Phosphate (सुपर फास्फेट)
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Zinc Sulphate (जिंक सल्फेट)
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Potash Fertilizer (पोटाश खाद)
रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) के लाभ
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रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) पौधों की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है.
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यह जड़ों का विकास करती है.
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पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है.
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यूरिया (Urea) के प्रयोग से फसल की उत्पादकता का विकास होता है.
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यह पौधों में सभी तरह के पोषक तत्वों की कमी को पूरा करते हैं.
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रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) के प्रयोग के नुकसान
यूरिया या रासायनिक खाद के प्रयोग से एक जगह जहां लाभ होते हैं वहीं इसके नुकसान भी बहुत होते हैं. इसके नुकसान का प्रमुख कारण इसके अनुपात की सही मात्रा का मालूम न होना है. फसल में जब भी हम किसी रासायनिक खाद का प्रयोग करते हैं तो उनको एक निश्चित मात्रा में डालना होता है लेकिन जब उसकी मात्रा का अनुपात सही नहीं हो पाता है या सही भी रहा तो छिड़काव करते समय इसका अनुपात बिगड़ने से नुकसान होता है.
इन रसायनों के प्रयोग से होने वाले नुकसान निम्न हैं:
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बालों का झड़ना
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कुपोषण की समस्या
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मिट्टी का अम्लीय होना
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जिंक और बोरान की कमी होना
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कई तरह की अन्य बीमारियों का होना
अन्य सुझाव
भारत में आज़ादी के बाद से शुरू हुई यह रासायनिक खाद (Chemical Fertilizer) के प्रयोग की क्रांति से आज बहुत ही ज्यादा नुकसान दिखाई दे रहे हैं. इसके बचाव के लिए केवल एक ही उपाय है. वह उपाय जैविक खाद के प्रयोग को बढ़ावा देना है. भारत में खेती एक सबसे बड़ा रोजगार का क्षेत्र है जिसमें जैविक खाद के प्रोत्साहन को बढ़ावा किसानों के साथ ही सामान्य जन जीवन के लिए भी वरदान साबित होगा. वर्तमान में भारत सरकार भी इस क्षेत्र में कई बड़े कदम उठाने की तैयारी कर रही है. सरकार प्रोत्साहन के साथ कई तरह की सब्सिडी योजनाओं को भी जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए चला रही है. इस दिशा के सकारात्मक बदलाव के लिए केंद्र और राज्य सरकार एक साथ या अलग-अलग विकास के लिए कदम उठाती हैं.
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