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पशुओं के पेट में कीड़े होने के लक्षण एवं बचाव के उपाय

पशुओं के शरीर में कीड़े पड़ना एक सामान्य बीमारी है. लेकिन इसके इलाज में देरी होना एक गंभीर बीमारी हो जाती है. 3 महीने में करायें अपने पशुओं के पेट की जांच.

प्रबोध अवस्थी
प्रबोध अवस्थी
पशुओं में होने वाले रोग और उसके लक्षण एवं बचाव के तरीके
पशुओं में होने वाले रोग और उसके लक्षण एवं बचाव के तरीके

हम अपने पशुओं के पेट में कीड़े पड़ने की समस्या को लेकर अक्सर परेशान रहते हैं. जिसके चलते पशु में कई तरह की अन्य बीमारियां भी हो जाती हैं. यह कीड़े पशुओं के शरीर से 40 से 50 प्रतिशत तक भोज्य पदार्थों का सेवन कर लेते हैं साथ ही अन्य बीमारियाँ भी पैदा कर देते हैं. जिनके कारण पशु बार-बार बीमार होने लगते हैं.

किन कारणों से हो जाते हैं कीड़े

पशुओं को जब उचित पोषक तत्व नहीं मिलते हैं तो वो उनकी पूर्ति के लिए इधर उधर की चीजें खाने लगते हैं, जैसे- मिटटी खाना, गन्दा पानी पीना, गन्दा चारा खाना आदि. इन सभी कारणों से सबसे ज्यादा पशु बीमार पड़ते हैं. यह समस्या केवल पशुओं के लिए ही नहीं बल्कि उनके पालने वाले किसान या मालिक के लिए भी हो जाती है. डेयरी का काम करने वाले लोगों के लिए यह एक बहुत बड़ी समस्या है. क्योंकि ऐसी स्थिति में पशु दूध देना भी कम कर देता है जिसका सीधा असर दूध व्यापारी के काम पर पड़ता है. पशुओं में बीमार करने वाले कीड़ों में सबसे ज्यादा कृमि, गोलकृमि, परंकृमि आदि पाए जाते हैं.

क्या उपाय करें

डेयरी पशुपालकों के लिए सबसे बड़ी समस्या पशुओं का बार बार बीमार होना होता है. जिसकी सबसे सामान्य बीमारी पेट में कीड़े पड़ जाने के कारण होती है. यह बीमारी तुरंत समझ में नहीं आती है लेकिन धीरे-धीरे आने लगती है. जब पशु मिट्टी का सेवन करने लगे, पशु सुस्त और कमजोर दिखने लगे, मटमैले दस्त आने लगे या पशु के गोबर में काले रंग का खून या कीड़े दिखाई देने लगते हैं। जिसका पता चलते ही हमको तुरंत ही पशु की चिकित्सा के लिए चेकअप करवाना चाहिए. सामान्य तौर पर हमें हर तीन माह के बाद पशुओं के पेट में कीड़े की जांच करवानी चाहिए. जिससे शरुआती दिनों में ही यह समस्या समाप्त की जा सकती है. जिसके बाद पशु बीमार नहीं होने पाता है.

ये भी पढ़ें- पशुओं के प्रमुख परजीवी रोग - रोकथाम एवं उपचार

पशुओं के नवजात बच्चों का रखें विशेष ध्यान

पशुओं के जो भी नवजात बच्चों के लिए ख्याल रखने की बातें होती हैं उनमें सबसे ज्यादा ध्यान उनके पेट सम्बन्धी रोगों को लेकर होता है. गाय या भैस के बछड़ों के पेट में कीड़े बहुत जल्दी पड़ते हैं, जिस कारण इनको हर 15 दिन बाद कीड़े मारने वाली दवा को लगातार 8 महीने तक देना चाहिए.

English Summary: Symptoms and prevention of worms in the stomach of animals Published on: 05 April 2023, 04:58 IST

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