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बथुआ की खेती में है बंपर कमाई, किसान सर्दियों में कर सकते हैं अच्छी पैदावार

नए साल का आगाज हो गया है. कृषि क्षेत्र में भी इस साल में बहुत कुछ नया होने वाला है. फसलों से बेहतर उत्पादन के लिए किसान लगातार प्रयासरत हैं. अभी कई किसानों के खेत में गेहूं, सरसों, तोरिया और सब्जी फसलें लगी होंगी. यदि खेत खाली हैं तो मौसम के हिसाब से कुछ खास सब्जियां उगाकर 2 से 3 महीने में बढ़िया पैदावार ले सकते हैं.

राशि श्रीवास्तव
बथुआ की खेती
बथुआ की खेती

नए साल का आगाज हो गया है. कृषि क्षेत्र में भी इस साल में बहुत कुछ नया होने वाला है. फसलों से बेहतर उत्पादन के लिए किसान लगातार प्रयासरत हैं. अभी कई किसानों के खेत में गेहूं, सरसों, तोरिया और सब्जी फसलें लगी होंगी. यदि खेत खाली हैं तो मौसम के हिसाब से कुछ खास सब्जियां उगाकर 2 से 3 महीने में बढ़िया पैदावार ले सकते हैं. ऐसे में आप सर्दियों की मशहूर हरी सब्जियों में से एक बथुआ भी उगा सकते हैं. यह रोग प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने के साथ कब्ज और गैस की समस्या से राहत दिलाने में मददगार है. इसके औषधीय गुणों को देखते हुए ही बाज़ार में सर्दियों में इसकी मांग बढ़ जाती है. जिससे किसानों की अच्छी कमाई होती है. आइए जानते हैं बथुआ की खेती का तरीका 

मिट्टी और जलवायु - बथुआ की खेती ठंड के मौसम में ही की जाती है. इसलिए अक्टूबर में बुवाई करना उपयुक्त होता है. वैसे तो बथुआ किसी भी प्रकार की मिट्टी में उग जाता है, लेकिन बलुई दोमट और दोमट मिट्टी खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है. बथुआ के पौधों के बड़ा होने पर उन्हें सहारा देने की ज़रूरत पड़ती है, वरना फूल और बीज के भार से पौधे गिरने लगते हैं. इसके पौधों की लंबाई 30-80 सेंटीमीटर तक होती है. 

बथुआ की बुवाई - बुवाई से पहले खेत में 2-3 बार जुताई करें और आखिरी जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर 5-6 टन गोबर की खाद मिलाएं. बथुआ के बीज बहुत छोटे होते हैं, इसलिए गोबर की खाद में मिलाकर 5-10 मिलीमीटर गहराई में बो सकते हैं. बथुआ की बुवाई सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर मार्च के पहले सप्ताह तक की जा सकती है. एक हेक्टेयर खेत के लिए एक से डेढ़ किलो बीज की ज़रूरत होती है. बथुआ की नर्सरी भी तैयार की जा सकती है और फिर पौधों के 7-8 सेंटीमीटर लंबा होने पर उन्हें खेत में लगाया जा सकता है.

ये भी पढ़ेंः बथुवा की खेती कर यहां के किसान कमा रहे हैं भारी मुनाफा, जानिए कैसे

बथुआ की बुवाई - बुवाई से पहले खेत में 2-3 बार जुताई करें और आखिरी जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर 5-6 टन गोबर की खाद मिलाएं. बथुआ के बीज बहुत छोटे होते हैं, इसलिए गोबर की खाद में मिलाकर 5-10 मिलीमीटर गहराई में बो सकते हैं. बथुआ की बुवाई सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर मार्च के पहले सप्ताह तक की जा सकती है. एक हेक्टेयर खेत के लिए एक से डेढ़ किलो बीज की ज़रूरत होती है. बथुआ की नर्सरी भी तैयार की जा सकती है और फिर पौधों के 7-8 सेंटीमीटर लंबा होने पर उन्हें खेत में लगाया जा सकता है.

English Summary: Bumper earning in Bathua farming, farmers can get good yield in winter Published on: 13 January 2023, 12:16 PM IST

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