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Broccoli Farming: ब्रोकोली की खेती से 3 माह में एक लाख तक हो सकता है मुनाफा, जानिए कैसे ?

अगर आप खेती करने की सोच रहे हैं तो ब्रोकोली की खेती आपके लिए अच्छा विकल्प साबित हो सकती है....

जिम्मी
broccoli
Broccoli Farming in India

ब्रोकोली की खेती ठीक फूलगोभी की तरह की जाती है. इसके बीज व पौधे देखने में लगभग फूलगोभी की तरह ही होते हैं. फूलगोभी में जहां एक पौधे से एक फूल मिलता है वहां ब्रोकोली के पौधे से एक मुख्य गुच्छा काटने के बाद भी, पौधे से कुछ शाखायें निकलती हैं तथा इन शाखाओं से बाद में ब्रोकोली के छोटे गुच्छे बेचने अथवा खाने के लिये प्राप्त हो जाते है.

ब्रोकली का रंग हरा होता है इसलिए इसे हरी गोभी भी कहते है उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में जाड़े के दिनों में इन सब्जियों की खेती की जा सकती है जबकि हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल और जम्मू-कश्मीर में इनके बीज भी बनाए जाते हैं इनके बीज की निर्यात की काफी सम्भावनाएं हैं. इसकी खेती में पिछले दिनों काफी बढ़ोतरी हुई है.

इस हरी सब्जी में लोहा, प्रोटीन, कैल्शियम, कार्बोहाइड्रेट, क्रोमियम, विटामिन ए और सी पाया जाता है, जो सब्जी को पौष्टिक बनाता है. इसके अलावा इसमें फाइटोकेमिकल्स और एंटी-ऑक्सीडेंट भी होता है, जो बीमारी और बॉडी इंफेक्शन से लडऩे में सहायक होता है. ब्रोकोली विटामिन सी से भरी हुई है. यह कई पोषक तत्वों से भरपूर है. यह कई बीमारियों से बचाने के साथ ब्रेस्ट कैंसर और प्रोस्टेट कैंसर के भी खतरे को कम करती है.

ब्रोकली की खेती के लिए जलवायु/मिट्टी (Climate/Soil for Broccoli Cultivation)

ब्रोकली के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है यदि दिन अपेक्षाकृत छोटे हों तो फूल की बढ़ोत्तरी अधिक होती है फूल तैयार होने के समय तापमान अधिक होने से फूल छितरेदार ,पत्तेदार और पीले हो जाते हैं.

इस फ़सल की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन सफ़ल खेती के लिये बलुई दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त है. जिसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद हो इसकी खेती के लिए अच्छी होती है हल्की रचना वाली भूमि में पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद डालकर इसकी खेती की जासकती है.

ब्रोकली की प्रजाति (Type of broccoli)

ब्रोकोली की हरे रंग की गंठी हुई शीर्ष वाली किस्में अधिक पसंद की जाती है, इनमें नाइनस्टार,पेरिनियल,इटैलियन ग्रीन स्प्राउटिंग,या केलेब्रस,बाथम 29 और ग्रीनहेड प्रमुख किस्मे हैं.

ब्रोकली की संकर किस्में (Broccoli hybrids)

इसमें पाईरेटपेक, प्रिमियक्राप,क्लीपर, क्रुसेर, स्टिक व ग्रीनसर्फ़ मुख्य है.प्रीमियम क्रॉप, टोपर, ग्रीनकोमट, क्राईटेरीयन आदि. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने हाल ही में पूसा ब्रोकोली 1 क़िस्म की खेती के लिये सिफ़ारिश की है तथा इसके बीज थोड़ी मात्रा में पूसा संस्थान क्षेत्रीय केन्द्र, कटराइन कुल्लू घाटी, हिमाचल प्रदेश से प्राप्त किये जा सकते हैं.

ब्रोकली लगाने का समय (Broccoli planting time)

उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में ब्रोकोली उगाने का उपयुक्त समय ठण्ड का मौसम होता है इसके बीज के अंकुरण तथा पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए तापमान 20 -25 oC होना चाहिए इसकी नर्सरी तैयार करने का समय अक्टूबर का दूसरा पखवाड़ा होता है पर्वतीय क्षेत्रों में क़म उंचाई वाले क्षेत्रों में सितम्बर- अक्टूम्बर, मध्यम उंचाई वाले क्षेत्रों में अगस्त, सितम्बर, और अधिक़ उंचाई वाले क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल में तैयार की जाती हैं.

बीजदर (Seed rate)

गोभी की भांति ब्रोकली के बीज बहुत छोटे होते हैं. एक हेक्टेयर की पौध तैयार करने के लिये लगभग 375 से 400 ग्राम बीज पर्याप्त होता है.

ब्रोकली की नर्सरी की तैयारी (Broccoli nursery preparation)

ब्रोकोली की पत्तागोभी की तरह पहले नर्सरी तैयार करते हैं और बाद में रोपण किया जाता है कम संख्या में पौधे उगाने के लिए 3 फिट लम्बी और 1 फिट चौड़ी तथा जमीन की सतह से 1.5से. मी. ऊँची क्यारी में बीज की बुवाई की जाती है क्यारी की अच्छी प्रकार से तैयारी करके एवं सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाकर बीज को पंक्तियों में 4-5 से.मी. की दूरी पर 2.5 से.मी. की गहराई पर बुवाई करते हैं बुवाई के बाद क्यारी को घास-फूस की महीन पर्त से ढ़क देते हैं तथा समय-समय पर सिंचाई करते रहते हैं जैसे ही पौधा निकलना शुरू होता है ऊपर से घास-फूस को हटा दिया जाता है नर्सरी में पौधों को कीटों से बचाव के लिए नीम का काढ़ा का प्रयोग करें.

ब्रोकली के खेत की तैयारी (Broccoli Farm Preparation) 

ब्रोकोली को उत्तर भारत के मैदानी भागों में जाड़े के मौसम में अर्थात सितंबर मध्य के बाद से फरवरी तक उगाया जा सकता है. इस फसल की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन सफल खेती के लिये बलुई दोमट मिट्टी बहुत उपयुक्त है. सितम्बर मध्य से नवम्बर के शुरू तक पौधा तैयार की जा सकती है बीज बोने के लगभग 4 से 5 सप्ताह में इसकी पौध खेत में रोपाई करने योग्य हो जाती हैं इसकी नर्सरी ठीक फूल गोभी की नर्सरी की तरह तैयार की जाती है.

ब्रोकली की रोपाई (Broccoli seedlings)

नर्सरी में जब पौधे 8-10 या 4 सप्ताह के हो जायें तो उनको तैयार खेत में कतार से कतार, पंक्ति से पंक्ति में 15 से 60 से.मी. का अन्तर रख कर तथा पौधे से पौधे के बीच 45 सें०मी० का फ़ासला देकर रोपाई कर दें. रोपाई करते समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होनी चाहिए तथा रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई अवश्य करें.

खाद और उर्वरक (Manures and fertilizers)

रोपाई की अंतिम बार तैयारी करते समय प्रति 10 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में 50 किलोग्राम गोबर की अच्छे तरीके से सड़ी हुई खाद कम्पोस्ट खाद इसके अतिरिक्त 1 किलोग्राम नीम खली 1 किलोग्राम अरंडी की खली इन सब खादों को अच्छी तरह मिलाकर क्यारी में रोपाई से पूर्व सामान मात्रा में बिखेर लें इसके बाद क्यारी की जुताई करके बीज की रोपाई करें.

रासायनिक खाद की दशा में खाद की मात्रा प्रति हेक्टेयर (In case of chemical fertilizers, the amount of manure per hectare)

गोबर की सड़ी खाद: 50-60 टन

नाइट्रोजन: 100-120 कि०ग्रा०प्रतिहेक्टेयर

फॉसफोरस : 45-50 कि०ग्रा०प्रतिहेक्टेयर

गोबर तथा फ़ॉस्फ़रस खादों की मात्रा को खेत की तैयारी में रोपाई से पहले मिट्टी में अच्छी प्रकार मिला दें. नाइट्रोजन की खाद को 2 या 3 भागों में बांटकर रोपाई के क्रमशः 25 ,45 तथा 60 दिन बाद प्रयोग कर सकते हैं. नाइट्रोजन की खाद दूसरी बार लगाने के बाद, पौधों पर परत की मिट्टी चढ़ाना लाभदायक रहता है.

ब्रोकली की निराई-गुड़ाई व सिंचाई (Broccoli weeding and irrigation)

इस फ़सल में लगभग 10-15 दिन के अन्तर पर हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है. ब्रोकोली की जड़ एवं पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए के क्यारी में से खरपतवार को बराबर निकालते रहना चाहिए गुड़ाई करने से पौधों की बढ़वार तेज होती है गुड़ाई के उपरांत पौधे के पास मिट्टी चढ़ा देने से पौधे पानी देने पर गिरते नहीं है.

कीट एवं बीमारियां रोकथाम (Pest and Disease Prevention)

कीट

➢ सरसों का माहू: माहू कीट हरे रंग का जो पत्तियों की निचली सतह पर रहते हैं, तथा रस चूसते है. इस कीट को प्रकोप दिसम्बर से मार्च तक होता है. इसकी रोकथाम के लिये रोगोर नाम दवा की 1-1 5 मि.ली मात्रा प्रति लीटर दर से छिड़काव करते है.
➢ डायमंड बैक माथ: इस कीट की सुड़ी हल्के हरे रंग की होती है, जो पत्तियों को छेद करके उन्हें खाती है. इसकी रोकथाम के लिये 2 मि.ली मेटासिस्टाक्स नामक दवा को प्रति ली. पानी की दर से आवश्यकतानुसार छिडकाव करनी चाहिए.
➢ कैबेज बोरर: इसकी सुंडी सफेद भूरे रंग की होती हैं ये तनों को खाकर नुकासन पहुंचाती है, जिससे पौधों की बढ़वार रूक जाती है. इसके रोकथाम के लिये मेटास्टिाकक्स की 2 मि.ली. मात्रा प्रति ली. में छिड़काव करें.
➢ सरसों की आरा मक्खी: इस कीट की सुंडियां छोेटी पत्तियों की कुतरकर नुकसान पहंुचाती है. इस कीट के नियंत्रण करने के लिए डाइमेथोएट नामक दवा को 2 मि.ली मात्रा को प्रति ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें.

बीमारियां

आर्दगलन: यह बीमारी नर्सरी में पिथियम, राइजोक्टोनिया, फ्यूजेरियम नामक फफूंद द्वारा लगती है. पौधे अंकुरण के तुरन्त बार मर जाते है. रोकथाम के लिए उपचारित बीजों का प्रयोग करे तथा क्यारियों को कैप्टन नामक दवी की 2 मि.ली. मात्रा ली. पानी की दर से भली भांति तय कर देना चाहिए.

पातगोभी का पीत रोग: यह रोग फ्यूजेरियम फफूंद द्वारा होता है. पौधे रोपण के 2 से 4 सप्ताह बाद पीले पड़ने लगते है, पौधे में वृद्धि रूक जाती है तथा पत्त्ते झड़ने लगते है.

पर्ण चित्ति अंगमारी: यह रोग आल्टरनेरिया नामक फफूंद द्वारा होता है, पत्तियों पर अनेक गहरे गोल आकार के धब्बे बनते है इसकी रोकथाम के लिए डाइथेन जेड- 78 डाइथेन एम-45 का 0.2 प्रतिशत मात्रा का छिड़काव करना चाहिए.

ब्रोकली की कटाई व उपज (Broccoli harvesting and production)

जब हरे रंग की कलियों का मुख्य गुच्छा बनकर तैयार हो जाये, शीर्षरोपण के 65-70 दिन बाद तैयार हो जाते हैं तो इसको तेज़ चाकू या दरांती से कटाई कर लें. ध्यान रखें कि कटाई के साथ गुच्छा खूब गुंथा हुआ हो तथा उसमें कोई कली खिलने न पाएँ. मुख्य गुच्छा काटने के बाद, ब्रोकोली के छोटे गुच्छे ब्रिकी के लिये प्राप्त होगें. ब्रोकोली की अच्छी फ़सल से ल्रगभग 12 से 15 टन पैदावार प्रति हेक्टेयर मिल जाती है.

ब्रोकोली की खेती से कितनी आमदनी बन सकती है

यदि आपके पास 1 एकर प्लाट (43500 स्क्वायर फ़ीट) का क्षेत्र उपलब्ध है तो आप तक़रीबन 125000 से 150000 रुपये तक की आमदनी 3-4 महीने में हो सकती है.

ब्रोकोली के पौधे = 6000 कम से कम
पौधों का नुकसान = 1000 पौधे
स्वस्थ पौधे = 5000

मार्केट रेट के हिसाब से आप हर पौधे (या फूल) को 75 से 150 रुपये तक में बेच सकते हैं, क्यों कि हर पौधे का वजन 500 ग्राम से 1 किलो तक का होगा. मैं इस गणना के लिए 75 रुपये प्रति पीस भी मानू तो,

आमदनी = 5000 x 75 = 375000 रुपए
आपके खर्चे = 1 लाख से लेकर डेढ़ लाख तक (सिंचाई, बीज, कीटनाशक दवाइयाँ, ट्रांसपोर्टेशन, इत्यादि)
आपका कुल मुनाफा = 125000 से 175000 रुपये तक (केवल 3-4 महीने में)

लेखक

सचि गुप्ता एवं अभिनव कुमार

शोध छात्र

उधान एवं वानिकी महाविधालय

नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, फैजाबाद

English Summary: Broccoli farming can be up to one lakh in 3 months, profit, know how? Published on: 03 January 2019, 06:30 PM IST

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