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मधुमक्खी पालन बेरोजगारों के जीवन में घोल रहा है मिठास

कोई भी काम कभी भी छोटा या फिर किसी भी रूप में बड़ा नहीं होता है. कोशिश यही हो कि जो भी कार्य हो वह ऐसा होना चाहिए जो कि जिंदगी में खुशहाली को लेकर आए. इसीलिए बिहार के सुपौल में बेरोजगार युवाओं को रोजगार परक बनाने के लिए सरकार के द्वारा कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे है. जोकि अब आम लोगों के जीवन में मिठास को घोलने का काम कर रहे है. इस तरह से कम लागत में अधिक से अधिक मुनाफा कमाना का कार्य कर रहे है. आज बड़े से बड़े संस्थान में पढ़ने वाले डिग्रीधारी युवा अब बेरोजगार घूम रहे हैइसीलिए अब वह खुद ही कुछ न कुछ नया स्टार्टअप शुरू करके

किशन
bee
Bee Keeping

कोई भी काम कभी भी छोटा या फिर किसी भी रूप में बड़ा नहीं होता है. कोशिश यही हो कि जो भी कार्य हो वह ऐसा होना चाहिए जो कि जिंदगी में खुशहाली को लेकर आए. इसीलिए बिहार के सुपौल में बेरोजगार युवाओं को रोजगार परक बनाने के लिए सरकार के द्वारा कई तरह के कार्यक्रम चलाए जा रहे है. जोकि अब आम लोगों के जीवन में मिठास को घोलने का काम कर रहे है.

इस तरह से कम लागत में अधिक से अधिक मुनाफा कमाना का कार्य कर रहे है. आज बड़े से बड़े संस्थान में पढ़ने वाले डिग्रीधारी युवा अब बेरोजगार घूम रहे हैइसीलिए अब वह खुद ही कुछ न कुछ नया स्टार्टअप शुरू करके रूपये कमाने के नए-नए साधन खोजने में लग गए है. दरअसल सुपौल के खेतों में खिले हुए सरसों के फूल के बाद सूरजमुखी फूल से व्यापक पैमाने पर मधु का काफी उत्पादन हो रहा है.अब यहां पर मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन, गाय पालन समेत कई तरह के कार्य बेरोजगारी को दूर करने में काफी  कारगर साबित हो रहे है.

मधुमक्खी पालन बना आकर्षक का केंद्र (Beekeeping became the center of attraction)

सुपौल के कई जगहों पर आम के बगीचे है. जहां पर मधुमक्खी पालन और मधु के संग्रह का कार्य अब हब के रूप में दिखाई दे रहा है. जिसमें फूलवाली खासकर की सरसों और सूरजमुखी की फसल काफी ज्यादा सहायक हो रही है.

अब तो आसापास के लोग भी इस प्रखंड के रास्ते से होते हुए गुजरते है तो यह मधुमक्खीपालन का कार्य उनके लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है. मधुमक्खी पालक रणबीर कुमार कहते है कि पिछले एक माह से क्षेत्र में सरसों के बाद सूर्यमुखी के खिले फूल मधु के संग्रह में काफी सहायक साबित हुए है. फिलहाल सरसों की खेती का समय बीत चुका है, लेकिन फिर भी अन्य फसलों में लगे फूल के कारण अब इसमें भी कुछ मधु उत्पादन होने लगा है. बता दें कि मधुमक्खीपालन के लिए किसी भी प्रकार से कोई भी विशेष योग्यता की आवयकता नहीं होती.

कम खर्च अधिक मुनाफा (less cost more profit)

कम खर्च में प्रशिक्षण प्राप्त करके खासकर युवा वर्ग मधुमक्खीपालन करके अपनी बेरोजगारी को दूर कर रहे है. कृषि से जुड़ें युवा जो कम लागत में व्यापार की इच्छा रखते है, उनके लिए मधुमक्खी पालन काफी फायदेमंद साबित हो रहा है.

पिछले कई सालों के भीतर लोगों का रूझान इसकी तरफ बढ़ा है, बल्कि ग्रामीण खादी उद्योग भी अपनी तरफ से कई सुविधाओं को मुहैया करवा रहा है. यह एक ऐसा व्यापार है जिसमें सबसे ज्यादा मोम और शहद प्राप्त होता है.

मधुमक्खियों की चार प्रजातियां है. जिनमें एपिस मेलीफेरा,एपिस डोरसाला, एपिस फ्लोरिया और एपिस इंडिका आदि शामिल है. इनमें एपिस मेलीफेरा मधुमक्खी बहुत ही शांत स्वभाव की होती है. इन्हें डिब्बों में आसानी से बंद करके पाला जा सकता है. 

इस प्रजाति की रानी के अंडे देने की क्षमता भी ज्यादा होती है. मधुमक्खीपालन जब भी किया जाए तब लकड़ी का बॉक्स, बॉक्स फ्रेम, मंह पर ढकने के लिए जालीदार कवर, दस्तानें, चाकू, शहद, शहद इकट्ठा करने के ड्र्म का इंतेजाम बेहद जरुरी होता है.

English Summary: Beekeeping in the life of unemployed is sweetness Published on: 02 May 2019, 02:27 PM IST

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