
कृषि कार्यों की दृष्टि से अगस्त माह अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. इस समय खरीफ फसलें जैसे धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली आदि अपनी वृद्धि की अवस्था में होती हैं और मौसम की नमी का लाभ उठाकर किसान अनेक कृषि कार्य कर सकते हैं. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि किसान इस माह में वैज्ञानिक ढंग से कार्य करें, तो उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है.
धान की देखभाल
धान की फसल में निराई-गुड़ाई के साथ-साथ खरपतवार नियंत्रण पर ध्यान देना आवश्यक है. कीट एवं रोग नियंत्रण हेतु फफूंदनाशकों व कीटनाशकों का छिड़काव करें. यदि पौधों में झुलसा रोग, तना छेदक या भूरे धब्बे दिखाई दें तो उचित दवाएं तुरंत प्रयोग में लाएं.
दलहनी व तिलहनी फसलें
मूंग, उड़द, सोयाबीन और मूंगफली की फसलों में भी कीट नियंत्रण जरूरी है. इस समय तना मक्खी, सफेद मक्खी, चितला कीट का प्रकोप अधिक होता है. नीम आधारित जैविक कीटनाशकों या अनुशंसित रसायनों का छिड़काव करें.
सब्जी उत्पादन:
भिंडी, टमाटर, मिर्च, लौकी जैसी सब्जियों की बुवाई के लिए भी यह माह उपयुक्त है. किसान उन्नत किस्मों का चयन करें और रोग रहित बीजों का प्रयोग करें. समय पर सिंचाई और कीट नियंत्रण करें.
फलोद्यान प्रबंधन:
आम, अमरूद, नींबू, अनार जैसे फलों के बागानों में खाद व सिंचाई की व्यवस्था करें. नींबू वर्गीय पौधों में गंधक युक्त खाद देना लाभकारी होता है. साथ ही दीमक और अन्य कीटों से बचाव करें.
फूलों की खेती:
गेंदे, गुलदाऊदी और गेंदा जैसे फूलों की बुवाई भी अगस्त में की जा सकती है. समय पर निराई और सिंचाई करें ताकि पौधे स्वस्थ रहें.
खाद एवं उर्वरक प्रबंधन:
फसलों को पोषण देने हेतु जैविक खादों (गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट) के साथ-साथ रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग करें. मृदा परीक्षण करवाकर उर्वरक मात्रा निर्धारित करना लाभकारी होता है.
मिट्टी व जल संरक्षण:
अगस्त में वर्षा की अधिकता के चलते खेतों में जल निकासी का प्रबंध करना अनिवार्य है. जल भराव से फसलों को नुकसान हो सकता है. कंटूर बंडिंग, गड्ढों की खुदाई जैसे उपाय अपनाएं.
निष्कर्ष:
यदि किसान अगस्त माह के दौरान ऊपर बताए गए कार्यों को उचित समय पर अपनाते हैं, तो उनकी फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है. कृषि वैज्ञानिकों की सलाह और मौसम पूर्वानुमान को ध्यान में रखकर ही सभी कार्य करें.
लेखक: संदीप गोयल, किसान पत्रकार, कृषि जागरण
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