भारत में भी अब खेती के लिए परंपरागत तौर-तरीके छोड़कर आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाया जा रहा है. इसके पीछे देश के कृषि वैज्ञानिकों की दूरदर्शी सोच के साथ युवा किसानों की मेहनत, लगन और कुछ अलग करने की ज़िद ही है.
शायद यही वजह है कि देश में हाइड्रोपोनिक्स, एक्वा कल्चर जैसी खेती की आधुनिक तकनीकों के बाद एक्वापोनिक्स फार्मिंग (Aquaponics Farming) के प्रति भी किसानों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है. इस तकनीक को अपनाकर पानी की सतह पर सब्जियां तथा निचली सतह पर मछली पालन करना संभव है. तो आइए जानते हैं क्या एक्वापोनिक्स फार्मिंग और भारत में कहां इस तकनीक को किसान अपना रहे हैं…
बिहार का एक्वापोनिक्स फार्म हो रहा तैयार
ख़बरों के अनुसार, बिहार के भोजपुर के कांधरपुर बधार में प्रदेश का पहला एक्वापोनिक्स फार्म तैयार हो रहा है, जो कि इसी साल अगस्त महीने में चालू हो जाएगा. इसमें मछली पालन के साथ सब्जियों की इंटीग्रेटेड खेती की जाएगी. इसमें जैविक तरीके से सब्जियां उगाई जाएंगी, जिसके लिए आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ती मछलियों के मल-मूत्र से की जाएगी. वहीं लगभग 95 फीसदी पानी की बचत भी होगी. गौरतलब है कि विभिन्न बीमारियों और पानी की कमी के कारण सब्जियां उगाना किसानों के लिए आसान नहीं होता है. ऐसे में इस तकनीक को अपनाकर रोग मुक्त सब्जी उगाई जा सकेगी. बता दें कि इस तकनीक में पॉलीहाउस की जरुरत भी पड़ती है, जिसका निर्माण भी यहां कराया जा रहा है.
महंगी सब्जी उगाई जाएगी
गौरतलब हैकि विदेशों से आई यह तकनीक काफी महंगी होती है, लेकिन देश में इसका शानदार भविष्य देखा जा रहा है. कांधरपुर गांव के प्रोग्रेसिव फार्मर धर्मदेव सिंह का कहना है कि उन्हें इस तकनीक को अपनाने के लिए उनके आईआईटियन बेटे और उसके कुछ मित्रों ने प्रेरित किया. वे इस तकनीक से करीब एक एकड़ जमीन में फार्म तैयार कर रहे हैं. इस तकनीक को अपनाकर वे बाहर से आने वाली महंगी सब्जियां जैसे- ब्रोकली और लेट्स की खेती करेंगे. इन सब्जियों का उपयोग प्रायः सलाद और बर्गर में किया जाता है. इसके अलावा वे औषधीय पौधे अश्वगंधा और गुलाब की खेती करेंगे, जिसकी बाजार में अच्छी डिमांड रहती है.
60 लाख रुपए की लागत
फार्मर धर्मदेव देव का सिंह का कहना है कि एक एकड़ में एक्वापोनिक्स फार्म तैयार करने में 60 लाख रुपए का बजट आएगा. जिसमें लगभग 40 लाख रुपये पॉलीहाउस तैयार करने में खर्च होंगे. इसके अलावा मछली पालन के लिए बायोफ्लॉक तैयार किया गया है जिसमें दस लाख रूपये तक का खर्च हुआ है. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए उन्हें 75 फीसदी अनुदान उद्यान निदेशालय की तरफ से मिला है. वहीं पॉलीहाउस में तापमान नियंत्रण के लिए एयर सर्कुलेटिंग सिस्टम जैसी तकनीक अपनाएंगे, जिसमें भी अच्छा ख़ासा पैसा खर्च होगा.
आखिर क्या है एक्वापोनिक्स फार्मिंग?
बता दें कि एक्वापोनिक्स दो शब्दों से मिलकर बना है- एक्वा और पोनिक्स. एक्वा यानी पानी और पोनिक्स का मतलब सब्जियां. यह एक ऐसी आधुनिक तकनीक है, जिसमें पानी की सतह पर सब्जियां उगाई जा सकती हैं. इसमें सब्जियां उगाने के लिए फ्लोटिंग कार्ड बोर्ड का उपयोग किया जाता है. सबसे अच्छी बात यह है कि इस तकनीक से सब्जियां उगाने में खाद, उर्वरक या कीटनाशक की जरुरत नहीं पड़ती, बल्कि ऑर्गनिक तरीके से ही सब्जी उगाई जाती है. इस तकनीक में पानी के बड़े-बड़े टैंकों में बायोफ्लॉक तकनीक से निचली सतह पर मछली का पालन किया जाता है. वहीं सतह पर सब्जियां, औषधीय पौधे या फल-फूल आदि उगाए जाते हैं. इस तकनीक में पोषण वाला पानी ऊपरी सतह से पौधे ले लेते हैं, जिसके बाद पानी मछली वाले टैंकों में चला जाता है.
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