Paddy Cultivation: भारत में खरीफ सीजन की मुख्य फसलों में धान अव्वल स्थान रखती है. धान की खेती उत्तर से दक्षिणी प्रदेशों तक मानसून में की जाती है. लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी है जहां धान का सीजन (Paddy Season) दो बार होता है. धान की फसल में कीटों का खतरा बना रहता है, क्योंकि कीट इसकी पूरी फसल को भी खराब कर सकती है. ऐसे में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने धान की खेती करने वाले किसानों के लिए एक अहम एडवाइजरी जारी की है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि, यह समय ब्राउन प्लांट हॉपर कीट के आक्रमण का है, जो धान की फसल को नष्ट कर सकती है. किसानों को खेत के अंदर जाकर धान के पौधे के निचले भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करना चाहिए.
धान की फसल के लिए जारी एडवाइजरी में कहा गया कि, धान की फसल इस वक्त वानस्पतिक वृद्धि कर रही है, इसलिए किसानों को अपनी फसल में कीटों की निगरानी जरूर करनी चाहिए. तना छेदक कीट की निगरानी करने के लिए किसान फिरोमोन ट्रैप लगा सकते हैं, 1 एकड़ खेत में 3 से 4 ट्रैप काफी होते हैं. वहीं अगर इसके खेत में पत्त्ता मरोंड़ या तना छेदक कीट का अधिक प्रकोप है, तो ऐसे में करटाप दवाई 4 फीसदी दाने 10 किलोग्राम प्रति एकड़ का बुरकाव कर लेना चाहिए.
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अक्टूबर तक रहता है इस कीट का असर
एडवाइजरी में कहा गया कि, धान की फसल पर ब्राउन प्लांट हॉपर कीट का असर सितंबर से लेकर अक्तूबर तक रहता है. इस कीट का 20 से 25 दिन का जीवन च्रक होता है. इसके शिशु और कीट दोनों ही धान के पौधों के तने और उसकी पत्तियों से रस चूसने का काम करते हैं. ज्यादा रस निकलने की वजह से इसकी पत्तियों के ऊपर काले रंग की फफूंदी उगने लग जाती है. इसके बाद प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया ठप होने लगती है, जिससे पौधे भोजन कम बनाते हैं और उनका विकास भी रुक जाता है. इस कीट का रंग हल्का भूरा होता है और इससे प्रभावित फसल को हॉपर बर्न कहा जाता है.
एडवाइजरी में कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि, किसान स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न और गाजर की बुवाई मेड़ों पर करें. किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से 4 से 6 किलोग्राम बीजों की बुवाई करें. बुवाई से पहले आपको बीजों को केप्टान 2 ग्राम/किलोग्राम की दर से उपचार करना है. वहीं खेत तैयार करते वक्त किसानों को खेत में देसी खाद और फास्फोरस उर्वरक को जरूर डालना चाहिए.
ऐसे करें फसल का बचाव
कृषि वैज्ञानिकों ने एडवाइजरी में कहा है कि, धान की फसल में कीड़ों और बीमारियों की किसानों को निरंतर निगरानी करते रहना चाहिए. सही जानकारी लेने के बाद ही अपने खेत में दवाईयों का उपयोग करें, किसानों को सही जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करना चाहिए. यदि आपकी फसल फल मक्खी से प्रभावित हुई है, तो ऐसे में आपको फलों को तोड़कर गहरे गड्ढे में दबा देना चाहिए. फसल को फल मक्खी के प्रभाव से बचाने के लिए खेत में विभिन्न जगहों पर गुड़ या चीनी के साथ (कीटनाशी) का घोल बनाकर रखें. आप इस घोल को किसी छोटे कप या बरतन में डालकर भी खेत में रख सकते हैं.
एडवाइजरी में कहा गया है कि, मिर्च के खेत में विषाणु रोग होने पर आपको उससे ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में दबा देना चाहिए. यदि इसके बाद भी इस रोग का प्रकोप अधिक हो, तो आपको इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मिली/लीटर की दर से छिड़काव करना चाहिए.
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